मुझे जबरन रूसी सेना में... यूक्रेन वॉर में बलि का बकरा बना बीकानेर का युवक, मौत से पहले भेजा था लास्ट वीडियो
राजस्थान के बीकानेर जिले के लूणकरणसर क्षेत्र के अर्जुनसर गांव के 22 वर्षीय अजय गोदारा की रूस-यूक्रेन युद्ध में दर्दनाक मौत हो गई. अजय नवंबर 2024 में स्टडी वीजा पर रूस गए थे, जहां पढ़ाई या भाषा कोर्स करने का इरादा था. लेकिन वहां पहुंचकर एजेंटों और एक रूसी महिला के झांसे में आ गए, जिन्होंने किचन स्टाफ या हेल्पर की अच्छी सैलरी वाली नौकरी का लालच दिया.;
राजस्थान के बीकानेर जिले के लूणकरणसर क्षेत्र में अर्जुनसर गांव के रहने वाले 22 साल के अजय गोदारा की जिंदगी एक सपने की तरह शुरू हुई थी, लेकिन वह एक भयानक सपने में बदल गई. अजय बेहतर पढ़ाई और नौकरी की उम्मीद में रूस गए थे, लेकिन वहां धोखे से उन्हें रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया और यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में जबरदस्ती झोंक दिया गया. आखिरकार, इस युद्ध में उनकी मौत हो गई. उनका शव 17 दिसंबर 2025 को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचा और फिर बीकानेर ले जाया गया. परिवार वाले और पूरे गांव वाले गहरे सदमे में हैं, उनकी आंखों में सिर्फ आंसू हैं.
अजय गोदारा नवंबर 2024 में स्टडी वीजा पर रूस गए थे. उनका इरादा वहां भाषा कोर्स या मेडिकल की पढ़ाई करने का था. रूस पहुंचने के बाद कुछ एजेंटों या वहां की एक महिला ने उन्हें अच्छी नौकरी का लालच दिया. कहा गया कि किचन स्टाफ या हेल्पर का काम मिलेगा, जिसमें हर महीने 2 लाख रुपये तक सैलरी होगी. अजय और उनके जैसे कई अन्य भारतीय युवकों को यह झांसा दिया गया. लेकिन असल में यह एक जाल था. उनके दस्तावेज जब्त कर लिए गए और जबरदस्ती रूसी सेना में भर्ती करवा दी गई.
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मदद के लिए लगाते रहे गुहार
कॉन्ट्रैक्ट में तीन महीने की ट्रेनिंग की बात थी, लेकिन बिना पूरी ट्रेनिंग के ही उन्हें युद्ध के मैदान में भेज दिया गया. अजय के साथ कई अन्य भारतीय युवक भी थे, जिन्हें इसी तरह धोखा दिया गया था. सितंबर 2025 में अजय के दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए. इन वीडियो में अजय सेना की वर्दी पहने नजर आए. उन्होंने मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि उन्हें और अन्य भारतीयों को धोखे से सेना में डाला गया है और अब जबरदस्ती युद्ध में भेजा जा रहा है. एक वीडियो में उन्होंने कहा, 'यह मेरी आखिरी वीडियो हो सकती है.' दूसरे वीडियो में बताया कि यूक्रेन की सेना मिसाइल और ड्रोन से हमला कर रही है. उनके ग्रुप में एक साथी की मौत हो गई, जबकि दो साथी भाग निकले. अजय ने बताया कि वे जंगलों में भटक रहे थे और लगातार गोलीबारी हो रही थी. इन वीडियो के बाद अजय के परिवार वाले बहुत परेशान हो गए. उन्होंने भारत सरकार से मदद मांगी कि उनके बेटे को सुरक्षित वापस लाया जाए.
परिवार ने क्या कोशिश की?
वीडियो वायरल होने के बाद अजय के परिवार ने काफी प्रयास किए. उनके पिता महावीर गोदारा, भाई और रिश्तेदारों ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (जो बीकानेर से सांसद भी हैं) से मुलाकात की. स्थानीय विधायक सुमित गोदारा ने भी इस मामले को उठाया. परिवार ने दिल्ली में प्रदर्शन भी किए और विदेश मंत्रालय से संपर्क किया. भारत सरकार ने रूस से इस बारे में बात की और भारतीयों की भर्ती रोकने व वापसी की मांग की, लेकिन दुर्भाग्य से, अजय को बचाया नहीं जा सका. अजय ने आखिरी बार परिवार से 21 सितंबर 2025 को बात की थी. उसके बाद कोई संपर्क नहीं हुआ. तीन महीने बाद, 9 दिसंबर 2025 को भारतीय दूतावास से परिवार को सूचना मिली कि अजय की युद्ध में मौत हो गई है.
शव की वापसी और गांव का माहौल
17 दिसंबर 2025 को अजय का शव दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचा. उनके साथ उत्तराखंड के एक अन्य युवक राकेश कुमार का शव भी आया, जिनकी भी इसी युद्ध में मौत हुई थी. अजय का शव बीकानेर लाया गया, जहां अंतिम संस्कार हुआ. परिवार वाले रो-रोकर बेहाल थे गांव वाले भी अपने युवा बेटे को खोने का गम मना रहे थे. पूरे इलाके में शोक की लहर है. यह मामला सिर्फ अजय का नहीं है कई भारतीय युवक अच्छी नौकरी या पढ़ाई के लालच में रूस गए और धोखे से युद्ध में फंस गए. कुछ की मौत हो चुकी है, कुछ अभी भी वहां फंसे हैं. सरकार ने रूस से ऐसे भारतीयों को वापस लाने की कोशिश की है, लेकिन यह समस्या अभी भी बनी हुई है.