गांजा तस्कर का सरगना और पूर्व NSG कमांडो बजरंग गिरफ्तार, 26/11 आतंक विरोधी अभियान था हिस्सा,तस्करी के धंधे में कैसे आया?
राजस्थान निवासी गांजा तस्करी गिरोह का सरगना बजरंग सिंह को राज्य पुलिस ने उसके गुप्त ठिकानों से गिरफ्तार कर लिया. हैरानी की बात यह है कि वह कभी 26/11 आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन का हिस्सा रहा था. सवाल उठता है कि सेना और सुरक्षा से जुड़ा ये शख्स आखिर अपराध की दुनिया में कैसे उतर गया और तस्करी का सरगना कैसे बना?;
एक समय देश की सुरक्षा के लिए मोर्चे पर खड़ा रहने वाला बजरंग सिंह अब गांजा तस्करी के धंधे में लिप्त पाया गया है. 26/11 के आतंकवाद विरोधी अभियान में अहम भूमिका निभाने वाला यह शख्स आखिर किन परिस्थितियों में अपराध की अंधेरी दुनिया तक पहुंचा? उसकी गिरफ्तारी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए, जानते हैं उसके बारे में सब कुछ.
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) का एक पूर्व कमांडो ड्रग तस्करी नेटवर्क में शामिल पाया गया है. जबकि बजरंग सिंह ने मुंबई में 26/11 के आतंकवाद विरोधी अभियान में हिस्सा लिया था. राजस्थान पुलिस ने अब उसे गांजा तस्करी गिरोह का सरगना घोषित कर दिया है. पुलिस ने बताया कि उसे बुधवार (01 सितंबर 2025) की रात चुरू से गिरफ्तार किया गया.
25 हजार का इनामी तस्कर था बजरंग
पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि सिंह तेलंगाना और ओडिशा से राजस्थान में गांजा तस्करी में शामिल था. उन्होंने बताया कि पूर्व कमांडो को 200 किलोग्राम प्रतिबंधित ड्रग के साथ पकड़ा गया है. सीकर जिले का निवासी बजरंग सिंह अपनी आपराधिक गतिविधियों के कारण पुलिस की रडार पर था और उस पर 25,000 रुपये का इनाम था.
आईजीपी कुमार ने कहा, "यह ऑपरेशन हफ्तों की योजना और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान का नतीजा था. बजरंग जैसे कुशल आतंकवादी की गिरफ्तारी राजस्थान में आतंकवाद-मादक पदार्थों के गठजोड़ को बेअसर करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है."
राजस्थान पुलिस ने बताया कि राज्य के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) और मादक पदार्थ निरोधक कार्यबल (एएनटीएफ) द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन गंजने' के तहत दो महीने तक जारी प्रयास के बाद सिंह को गिरफ्तार किया है.
सीमा पर घुसपैठियों से की देश की रक्षा
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक बजरंग सिंह ने दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. उसकी छह फुट लंबी कद-काठी और फिटनेस ने उन्हें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में करियर बनाने में मदद की. बीएसएफ कांस्टेबल के रूप में अपनी सेवा के दौरान उसने पंजाब, असम, राजस्थान, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों से देश की सीमाओं की रक्षा की और माओवादियों से लड़ाई लड़ी.
इस वजह से हुआ था NSG में चयन
देश की सुरक्षा के प्रति उनके समर्पण को उनके अधिकारियों ने देखा और उन्हें देश के विशिष्ट आतंकवाद निरोधी बलों, एनएसजी, के लिए चुना गया. उसने सात साल तक कमांडो के रूप में सेवा की. एनएसजी में अपनी सेवा के दौरान उसने 2008 में 26/11 के आतंकवाद विरोधी अभियान में भाग लिया.
पहले पॉलिटिक्स, फिर क्राइम में एंट्री की कहानी
राजस्थान पुलिस ने बताया कि 2021 में सिंह की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं स्पष्ट हो गईं. वह राजस्थान स्थित अपने गांव लौट आए और एक राजनीतिक दल के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए. उन्होंने अपनी पत्नी को भी गांव के चुनाव में खड़ा किया, लेकिन वह हार गईं.
बजरंग सिंह इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे एक कमांडो, जिसे कभी देश की रक्षा का दायित्व सौंपा गया था, खुद को भ्रष्ट कर बैठा और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी नापाक साजिश का हिस्सा बन गया. राजनीति में रहते हुए ही उनका संपर्क आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों से हुआ. ऐसे ही एक सहयोगी से उन्हें गांजा के कारोबार से होने वाले आर्थिक लाभ के बारे में पता चला.
ओडिशा के बारे में अपने ज्ञान और बीएसएफ के दिनों के अनुभव का इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने ओडिशा और तेलंगाना में अपने पुराने संपर्कों का इस्तेमाल किया और ऐसे अपराधों में शामिल कुछ लोगों से दोस्ती की. एक साल के भीतर, वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए और गांजा सिंडिकेट का सरगना बन गए.
2 क्विंटल गांजा की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार
सिंह छोटी-छोटी खेपों का कारोबार नहीं करते थे. उसने ऐसे काम किए जो बहुत जोखिम भरे थे. राज्य की सीमाओं के पार क्विंटलों गांजा पहुंचाना आसान काम नहीं होता. पिछले कुछ वर्षों में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए, जिनमें से एक उसके गृह जिले सीकर में भी दर्ज किया गया था, जहां उसके पास से कई क्विंटल प्रतिबंधित नशीला पदार्थ बरामद किया गया था. 2023 में उसे हैदराबाद के पास दो क्विंटल गांजा की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
ऐसे पकड़ा गया पूर्व फौजी
एटीएस और एएनटीएफ की टीमें दो महीने से सिंह की तलाश में थीं. वे गांजा कारोबार के मास्टरमाइंडों से संपर्क की तलाश में थीं. सिंह का नाम बहुत बाद में सामने आया, हालांकि उसने अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की, लेकिन वह गिरफ्तारी से बचता रहा, फर्जी मोबाइल आईडी का इस्तेमाल करता रहा और दूरदराज के गांवों में छिपता रहा.
पुलिस टीमों ने उसके रसोइए के जरिए उस तक पहुंच बनाई. एक भरोसेमंद घरेलू सहायक होने के नाते रसोइया सिंह के तस्करी के धंधे में शामिल नहीं था. उसके रिश्तेदारों के साथ उसके संवाद की जांच करते हुए, तकनीकी खुफिया जानकारी जुटाने वाली टीम को चूरू के रतनगढ़ की ओर इशारा करने वाले महत्वपूर्ण सुराग मिले. आगे की जांच से उन्हें सिंह के संभावित ठिकानों का पता लगाने में मदद मिली.
गुप्त ठिकानों से पुलिस ने दबोचा
पुलिस की कोशिशें बुधवार को रंग लाई जब उन्होंने सिंह को मोटरसाइकिल चलाते हुए देखा. पुलिस ने उसे तुरंत गिरफ्तार नहीं किया, क्योंकि उन्हें एहसास था कि एक पूर्व कमांडो के खिलाफ ऐसा कदम खतरनाक हो सकता है. वे चुपचाप उसके गुप्त ठिकानों तक उसका पीछा करते रहे और पूरी योजना के बाद ही अचानक छापा मारा.