मुआवजा न मिलने पर आत्महत्या कर रहा था किसान, पहले पुलिस ने बचाई जान, फिर मांगे 10 लाख रुपये

राजस्थान के झुंझुनू जिले का किसान विद्याधर यादव ने नवंबर में नवलगढ़ के गोठड़ा गांव में सीमेंट प्लांट के लिए अपना घर ढहाए जाने के बाद मुआवजा न मिलने पर दुख व्यक्त किया. इसके अलावा उसने आत्महत्या करने की भी कोशिश की.;

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Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 26 Nov 2025 3:42 PM IST

राजस्थान के झुंझुनू जिले से एक किसान के आत्महत्या करने की कोशिश का मामला सामने आया है. जहां किसान ने अपनी जमीन के मुआवजे की गुहार लगाई जब उसे सही मुआवजा नहीं मिला तो उसने आत्महत्या करने का प्रयास किया. जिसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए किसान को आत्महत्या करने से बचा लिया. लेकिन असल मोड़ तब आया जब किसान को उसकी जान बचाने के लिए 10 लाख रुपये का नोटिस पकड़ा दिया गया.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सोमवार को बताया कि राजस्थान के झुंझुनू जिले का किसान विद्याधर यादव ने नवंबर में नवलगढ़ के गोठड़ा गांव में सीमेंट प्लांट के लिए अपना घर ढहाए जाने के बाद मुआवजा न मिलने पर दुख व्यक्त किया. किसान ने कहा कि उसके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि फैक्ट्री बनाने के नाम पर उसकी सारी जमीन ले ली गई थी और बिना कोई मुआवजा दिए उसका घर भी ध्वस्त कर दिया गया था. यादव ने कहा कि उन्होंने कभी भी पुलिस सुरक्षा का अनुरोध नहीं किया, जिसके लिए अब उन पर आरोप लगाया जा रहा है.

खाली हुआ सरकारी खजाना

हालांकि जानकारी के मुताबिक किसान विद्याधर यादव को उसकी जमीन देने के बदले लगभग 3.8 करोड़ का मुआवजा दिया गया है. 17 दिसंबर को, झुंझुनू में पुलिस अधीक्षक ने एक नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया कि एक एसपी, दो डीएपी, दो निरीक्षक, तीन सब-इंस्पेक्टर, छह असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर,18 हेड कांस्टेबल समेत 99 पुलिस कर्मियों और 67 सिपाही को विद्याधर यादव की सुरक्षा में तैनात किए गए थे. इसके अलावा, सरकारी वाहनों का इस्तेमाल किया गया, जिससे राज्य पर वित्तीय बोझ पड़ा. नोटिस में आगे उल्लेख किया गया है कि उनकी सुरक्षा पर खर्च किए गए 9,91,577 विद्याधर से वसूले जाएंगे. एसपी झुंझुनू शरद चौधरी ने कहा, ''सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात होने के कारण वसूली के लिए नोटिस दिया गया है.

मैंने सुरक्षा की मांग नहीं की

यादव ने कहा कि जब जिला प्रशासन और सीमेंट कंपनी के अधिकारी उनके मुआवजे के संबंध में पर्याप्त जवाब देने में विफल रहे, तो उन्होंने 9 दिसंबर को जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने 11 दिसंबर को सुबह 11 बजे तक अपना जीवन समाप्त करने का अल्टीमेटम दिया. उन्होंने कहा, 'मैं अक्सर एसडीएम और कंपनी के अधिकारियों से मुआवजा राशि जारी करने का अनुरोध करता रहा, लेकिन कोई उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली, इसलिए मैंने इच्छामृत्यु के लिए राष्ट्रपति को संबोधित जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया और 11 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया. यादव को ऐसी कठोर कार्रवाई करने से रोकने के लिए, 11 दिसंबर को गांव में पुलिस तैनात की गई थी. यादव ने खुद को आग लगाने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. यादव ने कहा, 'मैंने सुरक्षा की मांग नहीं की थी. जिला प्रशासन और पुलिस ने व्यवस्था की और अब एसपी ने मुझे वसूली नोटिस दिया है.'

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