बाढ़ की मार के बीच, किसान परमजीत ने दिखाई दरियादिली, बेघर लोगों के लिए खोला अपना आशियाना
पंजाब में आई भीषण बाढ़ ने लाखों लोगों की ज़िंदगियां पलट दी हैं. कई परिवार अपने घर, खेत और ज़िंदगी की छोटी-छोटी खुशियां पानी की लहरों में बहा बैठे. ऐसे कठिन समय में इंसानियत की मिसालें ही दिलों को छू जाती हैय कपूरथला के बापुर गांव के किसान परमजीत सिंह ने इसी मुश्किल घड़ी में दरियादिली दिखाई. उन्होंने अपने घर के दरवाज़े खुले रखे.;
पंजाब में बाढ़ ने इस बार कई गांवों और घरों को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले लिया. पानी ने खेतों, सड़कों और लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित कर दिया, लेकिन इसी आपदा के बीच एक ऐसी कहानी सामने आई जिसने मानवता की ताकत को याद दिला दिया. कपूरथला के बापुर गांव के किसान परमजीत सिंह ने जब लोग बाढ़ में फंसे और सुरक्षित जगह की तलाश में भटक रहे थे, तो सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया.
परमजीत ने अपने घर को बेघर हुए लोगों के लिए खोल दिया. उन्होंने नाव के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया और यह साबित किया कि सच्चा वीर वही है जो संकट में दूसरों की मदद करता है. इस बाढ़ ने कई चीज़ें बहा दी, लेकिन परमजीत की दरियादिली ने सभी के दिलों में एक उम्मीद की लौ जगा दी.
घर बना आश्रय स्थल
परमजीत सिंह का घर अब सिर्फ उनका नहीं रहा. यह बाढ़ से प्रभावित परिवारों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन चुका है. उनके घर के दरवाजे पर बिखरे हुए सामान में टेबल फैन, आटे के डिब्बे, टीवी सेट, स्टील की अलमारी और कूलर शामिल हैं. सभी उन परिवारों की जल्दी-जल्दी बचाई हुई चीजें, जिन्हें पानी से सुरक्षित रहने के लिए इकट्ठा करना पड़ा. जहां दूसरी ओर घर के बरामदे में बुजुर्ग और महिलाएं बैठी हैं, जिनमें से एक ने कहा कि अभी हमारे पास इतना ही है. लेकिन हम जिंदा हैं और यह सब परमजीत की वजह से ही हुआ.
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आपदा में मानवता
जब बाढ़ का पानी गांव में घुसा, परमजीत सबसे पहले बचाव कार्य में जुट गए. उन्होंने किसी का इंतजार नहीं किया और नाव के जरिए लोगों को सुरक्षित जगहों तक पहुंचाया. इस पर उन्होंने कहा कि 'मैंने वही किया जो किसी भी इंसान को करना चाहिए. आज ये नावें भले ही कबाड़ जैसी लगती हों, लेकिन जब पानी आया था, तब इनकी कीमत बीएमडब्ल्यू से भी अधिक थी.'
परिवारों की राहत
प्रभावित परिवारों ने बताया कि कैसे बाढ़ के दौरान उनके घरों की दीवारें गिर गई थी. इस दौरान परमजीत नाव से आए और हमें और हमारे बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला.
परमजीत का नजरिया
परमजीत इस तारीफ को भले ही कम आंकते हों, लेकिन उनकी कहानी यह सिखाती है कि संकट के समय मानवता ही सबसे बड़ा धन है. उनके प्रयास ने न केवल लोगों की जान बचाई, बल्कि बाढ़ के भय में आशा की लौ भी जलाई.