कौन हैं SIT टीम के तीन आईपीएस जो करेंगे मंत्री विजय शाह केस की जांच?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने मंत्री कुंवर विजय शाह की टिप्पणी मामले की जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है. इसमें प्रमोद वर्मा, कल्याण चक्रवर्ती और वाहिनी सिंह शामिल हैं. यह टीम 28 मई तक कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी। मामले ने प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है.;
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री कुंवर विजय शाह की 'माफी' अस्वीकार करते हुए 28 मई तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी, जिसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने रातों‑रात तीन‑सदस्यीय एसआईटी गठित कर दी. टीम का एकमात्र लक्ष्य कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की हर परत की जांच कर सच्चाई अदालत के सामने रखना है.
कर्नल कुरैशी, जो संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारतीय महिला बटालियन की पहली कमांडर रह चुकी हैं, पर की गई टिप्पणी ने न सिर्फ़ सामाजिक क्षोभ पैदा किया बल्कि सैन्य सम्मान को भी चोट पहुंचाई है. विजय शाह के सार्वजनिक जीवन पर यह सबसे बड़ा दाग माना जा रहा है और इस मामले ने राज्य की राजनीतिक फिजा बदल दी है. आइये जानते हैं कि SIT में शामिल ये तीन आईपीएस कौन कौन हैं.
सागर ज़ोन के आईजी प्रमोद वर्मा
2004‑बैच के आईपीएस प्रमोद वर्मा एनकाउंटर‑समीक्षा, नक्सल सर्ज और साइबर अपराध पर विशेषज्ञ माने जाते हैं. सागर, छतरपुर और छिंदवाड़ा में ‘ब्लू‑ऑपरेशन’ जैसी छापामार कार्रवाई उनके खाते में हैं. शांत‑स्वभाव लेकिन कड़क अनुशासन के लिए पहचाने जाने वाले वर्मा को एसआईटी का प्रभारी बनाया गया है ताकि जांच की दिशा और गति दोनो ही सटीक रहें.
एसएएफ डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती
2010‑बैच के कल्याण चक्रवर्ती ने भोपाल गैस त्रासदी की 35वीं बरसी और G‑20 शेरपा मीट जैसे हाई‑प्रोफाइल आयोजनों में भीड़‑नियंत्रण मॉडल तैयार किया. विशेष सशस्त्र बल (SAF) में वे शस्त्र‑संग्रह के आधुनिकीकरण और दंगा‑रोधी इकाइयों के RFID ट्रैकिंग प्रोजेक्ट के नेतृत्व के कारण चर्चित हुए. कानून‑व्यवस्था की बारीक समझ उन्हें एसआईटी का संचालन‑समन्वय विशेषज्ञ बनाती है.
डिंडोरी की एसपी वाहिनी सिंह
2016‑बैच की वाहिनी सिंह ने बाल तस्करी‑रोधी ‘उड़ान’ अभियान और वनांचल में मादक‑पदार्थ नेटवर्क तोड़ने वाले ऑपरेशन ‘हन्टर’ से तेजी से पहचान बनाई. तकनीक‑आधारित साक्ष्य संकलन और पीड़िता‑केंद्रित पूछताछ में निपुण सिंह को टीम में शामिल कर सुप्रीम कोर्ट ने संदेश दिया है कि महिला सम्मान से जुड़े मामलों में संवेदनशील दृष्टिकोण अनिवार्य है.
एसआईटी की संरचना और कार्य योजना
तीनों आईपीएस अधिकारियों वाली विशेष जांच टीम (SIT) को दिल्ली‑भोपाल होकर घटना‑स्थल और डिजिटल साक्ष्यों तक पहुंचना है. टीम को कॉल‑रिकॉर्ड, सोशल‑मीडिया पोस्ट, गवाह बयान और मंत्री के सार्वजनिक वक्तव्यों का फोरेंसिक विश्लेषण कर निष्कर्ष देना होगा.
SC की ‘घड़ियाली आंसू’ पर टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने शाह के वकील से दो‑टूक पूछा, "माफ़ी का वीडियो दिखाइए, लिखित स्वीकारोक्ति कहां है?' अदालत ने चेताया कि महज़ ‘घड़ियाली आंसू’ क़बूल नहीं होंगे, वास्तविक पश्चाताप और त्वरित जांच ही मंत्री को राहत दिला सकते हैं.
अगला पड़ाव-28 मई
एसआईटी को 12 दिन में प्राथमिक तथ्य इकट्ठा कर अंतरिम निष्कर्ष सुप्रीम कोर्ट को सौंपना है. इसके बाद दोषियों पर आपराधिक धाराएं जुड़ सकती हैं, जबकि अदालत स्वतः संज्ञान लेकर मानहानि या अवमानना की कार्यवाही भी आगे बढ़ा सकती है.