इंदौर में जन्मी 'दुर्लभ बच्ची', दो सिर, एक धड़ और दो लिवर... ऑपरेट कर अलग क्यों करना चाहते हैं डॉक्टर्स?
इंदौर के एमटीएच अस्पताल में एक दुर्लभ बच्ची का जन्म हुआ, जिसके दो सिर हैं लेकिन शरीर एक. इसे पैरापैगस डाइसिफेलिक ट्विन्स कहा जाता है. बच्ची का वजन 2.8 किलो है और उसे SNCU वार्ड में रखा गया है. डॉक्टरों की छह सदस्यीय टीम उसकी सर्जरी और जीवन-क्षमता को लेकर निगरानी कर रही है. यह मामला मेडिकल साइंस की बड़ी चुनौती बन गया है.;
मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित एमटीएच अस्पताल में एक अत्यंत दुर्लभ नवजात का जन्म हुआ है. इस बच्ची के दो सिर हैं, लेकिन शरीर एक ही है. डॉक्टरों का कहना है कि इस प्रकार की जन्मजात स्थिति बेहद रेयर होती है और लाखों मामलों में एक बार सामने आती है. इस असामान्यता ने अस्पताल के स्टाफ और डॉक्टरों को भी चौंका दिया है. फिलहाल बच्ची को SNCU (Sick Newborn Care Unit) में विशेष निगरानी में रखा गया है.
इस नवजात की स्थिति को चिकित्सा विज्ञान में Parapagus Dicephalus Twins कहा जाता है. इस दुर्लभ परिस्थिति में दो सिर होते हैं लेकिन धड़ साझा होता है. डॉक्टरों ने पुष्टि की है कि बच्ची के दो सिरों के साथ दो लीवर, एक दिल और दो फेफड़े हैं. बच्ची का वजन 2.8 किलोग्राम है. विशेषज्ञ इसे मेडिकल इतिहास का एक मुश्किल और संवेदनशील केस मान रहे हैं.
सोनोग्राफी में भी नहीं दिखी गड़बड़ी
22 जुलाई को देवास जिले के हरनगांव की रहने वाली 22 वर्षीय महिला को प्रसव पीड़ा के चलते इंदौर लाया गया था. आश्चर्य की बात यह है कि गर्भावस्था के दौरान चार बार जांच होने के बावजूद अल्ट्रासाउंड में किसी असामान्यता का पता नहीं चला. यह सवाल खड़ा करता है कि सोनोग्राफी तकनीक में चूक कैसे रह गई और इसे कैसे सुधारा जाए.
सीजेरियन से हुई डिलीवरी
महिला की हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने सीजेरियन करने का फैसला किया. ऑपरेशन के दौरान जैसे ही बच्ची को बाहर निकाला गया, टीम चौंक गई. दो सिर और एक शरीर वाले इस नवजात को देखकर डॉक्टरों ने तत्काल वरिष्ठों को सूचित किया और स्पेशल टीम को सक्रिय किया गया. यह प्रसव मेडिकल दृष्टिकोण से अत्यंत चुनौतीपूर्ण था और सूझबूझ के साथ संभाला गया.
ऑपरेशन पर हो रहा विचार
फिलहाल डॉक्टर बच्ची की पूरी संरचना और अंगों की कार्यक्षमता का अध्ययन कर रहे हैं. सर्जरी की संभावना पर विचार हो रहा है, जिसमें एक सिर को हटाया जा सकता है. लेकिन इससे पहले जरूरी होगा यह जानना कि अंग – विशेषकर दिल और फेफड़े- सर्जरी के बाद भी स्वतंत्र रूप से कार्य कर पाएंगे या नहीं. फिलहाल बच्ची की देखरेख छह विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम कर रही है.
अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी बच्ची की ज़िंदगी
बच्ची के भविष्य को लेकर डॉक्टरों की टीम में गहन विचार चल रहा है. इस निर्णय में शिशु रोग विशेषज्ञ, न्यूरोसर्जन और रेडियोलॉजिस्ट शामिल हैं. यह जांचा जा रहा है कि अगर सिर को हटाने की सर्जरी होती है तो शरीर में जीवन समर्थन के सभी तंत्र कितने सक्षम हैं. फिलहाल बच्ची स्थिर है, लेकिन उसकी स्थिति अत्यंत संवेदनशील बनी हुई है और हर कदम सोच-समझकर उठाया जा रहा है.