मध्यप्रदेश में करोड़ों की साइबर ठगी: आरोपी की जमानत याचिका खारिज, पाकिस्तानी कनेक्शन का खुलासा

एमपी हाई कोर्ट ने एक बड़े साइबर अपराध के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. मामला 2024 अगस्त का है जब भोपाल क्राइम ब्रांच को शिवम शर्मा नामक व्यक्ति से शिकायत मिली थी. शिवम ने बताया कि उसके बैंक खाते में बड़ी रकम आई थी और कुछ ट्रांजैक्शन हुए थे.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 14 Nov 2025 5:29 PM IST

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक बड़े साइबर अपराध के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है, जो लाखों-करोड़ों रुपये की ठगी में शामिल था. जस्टिस पी.के. अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी बाबूलाल उर्फ बबलू की जमानत याचिका को अस्वीकार कर दिया. यह आरोपी श्रीलंका की सिम का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के 'गनी बाबा' नामक मास्टरमाइंड के लिए काम कर रहा था, और उसने कई लोगों के बैंक अकाउंट डिटेल्स पाकिस्तान भेजे थे, जिनकी मदद से मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर साइबर फ्रॉड हुए थे.

यह मामला तब सामने आया जब अगस्त 2024 में भोपाल क्राइम ब्रांच को शिवम शर्मा नामक व्यक्ति से शिकायत मिली थी. शिवम ने बताया कि उसके बैंक खाते में बड़ी रकम आई थी और कुछ संदिग्ध ट्रांजेक्शन हुए थे. क्राइम ब्रांच की जांच में यह सामने आया कि आरोपी वैभव और उसका साथी भोपाल, सीहोर, और आष्टा क्षेत्रों के भोले-भाले लोगों के बैंक खातों को किराए पर लेकर ऑनलाइन ठगी करते थे. इन खातों का इस्तेमाल ठगी से प्राप्त पैसे को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था.

बाबूलाल और पाकिस्तान कनेक्शन का खुलासा

जांच में जब पुलिस ने मुख्य आरोपी बाबूलाल उर्फ बबलू को गिरफ्तार किया, तो उसके पास से कई अहम सबूत मिले, जिनमें श्रीलंका की सिम कार्ड और पाकिस्तान से जुड़े सुराग थे. बाबूलाल पैसे निकालकर उसे क्रिप्टो करंसी में बदल देता था और फिर उस क्रिप्टो करंसी को पाकिस्तान में 'गनी बाबा' नामक व्यक्ति को भेज देता था. इस प्रक्रिया में शामिल सभी आरोपियों को कमीशन मिलता था.

कोर्ट ने क्यों खारिज की जमानत?

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में यह खुलासा हुआ कि बाबूलाल का पूरा गिरोह अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध में लिप्त था और उसने भारत के विभिन्न राज्यों में करोड़ों रुपये की ठगी की थी. इसके अलावा, आरोपी के पास पाकिस्तान से जुड़े कई अन्य सबूत भी थे. क्राइम ब्रांच के द्वारा पेश किए गए सबूतों को देखते हुए जस्टिस पी.के. अग्रवाल ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने इसे एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल चुके साइबर अपराध के रूप में माना, जिससे जमानत देना उचित नहीं समझा गया.

शिवम शर्मा की शिकायत से मामला उजागर

यह मामला तब और गंभीर हो गया जब भोपाल निवासी शिवम शर्मा ने पुलिस को बताया कि उसका अकाउंट वैभव ने लोन दिलाने के नाम पर लिया था और फिर उससे ब्लैंक चेक और एटीएम कार्ड भी ले लिया. इसके बाद बैंक खातों से बड़ी रकम निकाली गई और उसे ऑनलाइन ठगी में इस्तेमाल किया गया. इसके चलते वैभव, बाबूलाल और उनके अन्य साथियों की गिरफ्तारी हुई, और इस मामले की जांच ने पाकिस्तान और श्रीलंका तक अपने पांव फैलाए.

पुलिस की कार्रवाई और आरोपी की गिरफ्तारी

पुलिस ने इस मामले में अब तक कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और जांच जारी है. इस मामले में विदेशी कनेक्शन और क्रिप्टो करंसी का इस्तेमाल यह दर्शाता है कि साइबर अपराध अब पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय रूप ले चुका है. मध्यप्रदेश पुलिस और क्राइम ब्रांच ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है.

यह मामला साइबर सुरक्षा के बढ़ते खतरों को भी उजागर करता है, जिसमें ऑनलाइन ठगी और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए तकनीकी उपकरणों का दुरुपयोग किया जा रहा है.

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