भोपाल में 90 डिग्री वाले पुल की निकली ये सच्चाई, अब क्या करेगी सरकार?

Bhopal News: भोपाल के ऐशबाग पर बने इस ब्रिज 90 डिग्री का नहीं बल्कि 119 डिग्री का है. पुलि की फोटो वायरल होने पर सरकार पर सवाल उठे. अब मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. अदालत में एमपी सरकार ने अपना पक्ष रखा और कोर्ट से अपील की कि वह एक बार वह उन्हें समय दें.;

( Image Source:  @Nitesh_Mp_39 )

Bhopal News: मध्य प्रदेश सरकार ने जनता की सुविधा के लिए भोपाल में 90 डिग्री पुल का निर्माण करवाया. इसके निर्माण की शुरुआत से लेकर बनने का विवाद भी देखने को मिला. अब पुल का मामला हाई कोर्ट पहुंचा गया है. दरअसल कोर्ट में ऐशबाग पर बने इस ब्रिज की जांच रिपोर्ट पेश की गई.

अदालत में भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के एक प्रोफेसर विशेषज्ञ ने रिपोर्ट पेश की, जिसमें बताया कि यह ब्रिज 90 डिग्री का नहीं बल्कि 119 डिग्री का है. सरकार ने पुलि बनाने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने अपने फैसले पर फिर से विचार करने को कहा है.

ब्रिज के एंगल को लेकर विवाद

अदालत में एमपी सरकार ने अपना पक्ष रखा और कोर्ट से अपील की कि वह एक बार वह उन्हें समय दें. सरकार ने पुल बनाने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. इस पर अदालत ने अभी ब्लैकलिस्ट की कार्रवाई पर अस्थायी रूप से रोक लगाकर यह फैसला बरकरार रखा है कि कंपनी को सुरक्षात्मक कदम उठाए बिना दंडित नहीं किया जाए.

कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

हाई कोर्ट ने पुल के मोड़ की एक रिपोर्ट मांगी थी. इस रिपोर्ट में यह पाया गया है कि पुल का मोड़ करीब 118-119 डिग्री का है, 90-डिग्री का नहीं. कंपनी ने कहा है कि सरकार ने ब्लैकलिस्टिंग की कार्रवाई सिर्फ जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कर दी, उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया.

कंपनी ने कहा कि पुल का डिजाइन, निर्माण और सरकारी संशोधन/आदेशों के अनुसार ही काम हुआ. गलत सूचना या सोशल मीडिया की आलोचनाओं के चलते उन्हें गलत ठहराया गया. मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 सितंबर को होगी. इस बीच कंपनी के खिलाफ सरकार कोई एक्शन नहीं ले सकती.

सरकार का बयान

90-डिग्री पुल पर PWD और अन्य संबंधित विभागों की तरफ से कहा गया है कि उस मोड़ का डिजाइन सरकारी GAD) के अनुसार ही तैयार किया गया था. एक अधिकारी ने यह कहा कि जमीन की स्थिति, उपलब्ध जगह की कमी और आसपास के इलाकों का लेआउट ऐसी परिस्थिति के लिए बाधाएं थीं, इसलिए पुल का मोड़ उस तरह बनाया गया जैसा बनाया गया. अब अदालत इस मामले पर क्या फैसला सुनाती है उसके बाद ही पता चलेगा कि गलती किसकी है और किसकी नहीं.

Similar News