नर्मदा एक्सप्रेस से लापता हुई अर्चना तिवारी 12 दिन बाद नेपाल बॉर्डर पर मिलीं, गुमशुदगी के रहस्य ने खड़े किए कई सवाल

भोपाल से नर्मदा एक्सप्रेस में सफर कर रही अधिवक्ता अर्चना तिवारी 7 अगस्त को रहस्यमय तरीके से गायब हो गई थीं. 12 दिन बाद वह यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में नेपाल बॉर्डर के पास सकुशल बरामद हुईं. पुलिस जांच में अब कई नए सवाल शामिल हैं – क्या वह अपहृत थीं, किसी गैंग का शिकार या अपनी इच्छा से वहां पहुंचीं. असली रहस्य अभी बाकी है.;

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Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 20 Aug 2025 7:21 AM IST

भोपाल में नर्मदा एक्सप्रेस से 7 अगस्त को अचानक गायब हुई 28 वर्षीय अधिवक्ता अर्चना तिवारी का सुराग आखिरकार 12 दिन बाद मिल गया. उन्हें उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में नेपाल बॉर्डर के पास पलियाकलां से बरामद किया गया. यह स्थान भारत-नेपाल सीमा से बेहद नजदीक है और इस वजह से अधिकारियों में भी हलचल है कि क्या वह खुद वहां तक गई थीं या किसी के दबाव में पहुंचीं.

मंगलवार सुबह अर्चना के मुंहबोले भाई ने जानकारी दी कि उनकी फोन पर अर्चना से बातचीत हुई है. इस कॉल से पूरा परिवार भावुक हो गया और लगातार चल रही अनहोनी की आशंका काफी हद तक खत्म हो गई. हालांकि परिजनों का कहना है कि जब तक पुलिस यह नहीं बताएगी कि अर्चना किन हालात में वहां तक पहुंचीं, वे पूरी तरह निश्चिंत नहीं हो सकते. अर्चना की बरामदगी को परिवार भगवान की कृपा बता रहा है लेकिन रहस्य अभी बरकरार है.

पुलिस की जांच और उठते सवाल

भोपाल रेल पुलिस अधीक्षक राहुल लोढ़ा ने देर रात पुष्टि की कि अर्चना सकुशल मिली हैं और उन्हें पकड़कर सुरक्षित भारत लाया गया है. लेकिन पुलिस ने यह साफ करने से इनकार कर दिया कि अर्चना नेपाल बार्डर तक कैसे पहुंचीं और क्या उनके साथ कोई और मौजूद था. अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को उन्हें पूछताछ के लिए भोपाल लाया जाएगा और तभी पूरे मामले का खुलासा किया जाएगा. पुलिस जांच का फोकस यह है कि यह मामला केवल गुमशुदगी का है या इसके पीछे कोई संगठित साजिश है.

कैसे लापता हुई थी अर्चना?

अर्चना तिवारी मध्य प्रदेश के कटनी जिले की रहने वाली हैं और इंदौर के एक हॉस्टल में रहकर जूडिशियल सर्विस की तैयारी करती थीं. सात अगस्त को वह रक्षाबंधन मनाने के लिए इंदौर से कटनी जाने वाली थीं और इसी लिए नर्मदा एक्सप्रेस से यात्रा कर रही थीं. मगर सफर के दौरान अचानक उनका संपर्क परिवार और दोस्तों से टूट गया. जीआरपी और स्थानीय पुलिस ने कई दिनों तक खोजबीन की लेकिन कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा. इस वजह से अर्चना की गुमशुदगी एक बड़ी पहेली बन गई थी.

सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल

अर्चना की बरामदगी ने जहां परिवार को राहत दी है, वहीं यह मामला रेलवे सुरक्षा और महिलाओं की यात्रा सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है. आखिर कैसे एक अधिवक्ता ट्रेन से गायब हो गईं और 12 दिन तक कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई. क्या बीच में अपहरण या दबाव की स्थिति थी या वह खुद किसी कारणवश वहां तक गईं. फिलहाल सभी सवालों के जवाब पुलिस के पास हैं और आने वाले दिनों में पूछताछ से पूरा सच सामने आने की उम्मीद है.

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