मुस्लिम हूं, इसलिए हुआ ट्रांसफर... सरकार के फैसले के खिलाफ MP हाईकोर्ट पहुंचा अधिकारी
Madhya Pradesh High Court: रतलाम में नाप-तौल विभाग के प्रभारी सहायक नियंत्रक नसीमुद्दीन का 13 मार्च को ट्रांसफर किया गया. इस फैसले के खिलाफ अधिकारी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट पहुंचा. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा, वह मुस्लिम है, इसलिए ट्रांसफर किया गया. कोर्ट ने उसके आरोपों को निराधार बताया और याचिका को खारिज कर दिया.;
Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश सरकार के नाप-तौल विभाग ने हाल ही में एक कर्मचारी का ट्रांसफर किया. सरकार के इस फैसले पर व्यक्ति ने नाराजगी जताई और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट में याचिका दायर कर अदालत से मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है. कर्मचारी का आरोप है कि वह मुस्लिम है, इसलिए ट्रांसफर किया गया.
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आरोपों को निराधार बताया और उसकी अपील को याचिका खारिज कर दी. उसने फैसले की ट्रांसफर के फैसले की वजह राजनीतिक और धार्मिक विचारों को बताया था. कोर्ट ने कहा, अगर ऐसे बेबुनियाद आरोपों पर विचार करने लगे तो सरकारी सिस्टम के काम और व्यवस्था पर सवाल उठने लगेंगे.
अधिकारी का क्या है आरोप?
रतलाम में नाप-तौल विभाग के प्रभारी सहायक नियंत्रक नसीमुद्दीन का 13 मार्च को ट्रांसफर किया गया. अब उनकी ड्यूटी छिंदवाड़ा में हो गई है. उन्होंने सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की. जिसमें नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि उनका ट्रांसफर राजनीतिक से प्रेरित है. उनका कहना है कि भाजपा के एक स्थानीय नेता के कहने पर ट्रांसफर किया गया. क्योंकि वह मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा, यदि किसी समुदाय के चार लोगों का ट्रांसफर किया गया है तो इसे दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया ट्रांसफर नहीं माना जा सकता. जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की सिंगल जज बेंच ने दोनों पक्षों के तर्कों और तथ्यों पर गौर करने के बाद नसीमुद्दीन की याचिका 28 मार्च को खारिज कर दी.
क्या बोला जज साहब?
कोर्ट ने कहा, सांप्रदायिक भेदभाव के आरोप लगाकर ट्रांसफर रुकवाने की कोशिश बेहद निंदनीय है. फैसले मामले की सुनवाई से सरकारी तंत्र पूरी तरह विफल हो सकता है, जिससे अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है. इसलिए याचिका को खारिज किया जा रहा है. राज्य सरकार के वकील ने यह दलील कि अगर किसी समुदाय के चार लोगों का ट्रांसफर किया गया है तो उसे गलत इरादा नहीं बोला जा सकता.
छुट्टी की याचिका पर सुनवाई
जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) घनश्याम सोनी को हाई कोर्ट ने अदालत में पेश होने का आदेश दिया है. यह अवमानना से जुड़ा मामला है. कुछ सेवानिवृत्त शिक्षकों ने आरोप लगाया कि DEO कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से समझा और उन्हें राहत नहीं दी. शिक्षकों ने कहा, 300 दिनों की अर्जित छुट्टी का पैसा नहीं मिला. अदालत ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया.