झारखंड के जंगल में शहीद हुआ ‘साइलेंट सोल्जर’, नक्सलियों की IED साजिश में CRPF का ‘हीरो डॉग’ ने दी जान

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान IED ब्लास्ट में CRPF का प्रशिक्षित डॉग शहीद हो गया, जबकि उसका हैंडलर घायल हुआ. सुरक्षाबल अब इलाके में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं ताकि अन्य IED बमों का पता लगाया जा सके. यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि नक्सलवाद के खिलाफ जंग में सुरक्षा बल किस हद तक अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं.;

( Image Source:  X/argus )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 9 Nov 2025 8:40 AM IST

झारखंड के जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान ने एक बार फिर सुरक्षा बलों की बहादुरी और बलिदान की कहानी लिख दी है. पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में नक्सल विरोधी सर्च ऑपरेशन के दौरान एक IED ब्लास्ट में CRPF का प्रशिक्षित डॉग शहीद हो गया, जबकि उसका हैंडलर गंभीर रूप से घायल हुआ. यह सिर्फ एक विस्फोट नहीं था. यह इस बात का सबूत था कि नक्सलियों की चालें चाहे कितनी भी घातक क्यों न हों, हमारे सुरक्षाकर्मी और उनके साथी हर कीमत पर देश की सुरक्षा के लिए खड़े हैं.

झारखंड सरकार और केंद्रीय बलों की संयुक्त मुहिम ने राज्य को “नक्सल-मुक्त” बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन हर कदम पर खतरे मौजूद हैं. हालिया घटना ने दिखाया कि नक्सलियों के बिछाए गए ‘IED ट्रैप’ आज भी जमीनी सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं.

छोटानागरा के जंगलों में गूंजा धमाका

पश्चिमी सिंहभूम जिले के छोटानागरा थाना क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान यह ब्लास्ट हुआ. सुरक्षाबल इलाके में छिपे विस्फोटक उपकरणों की तलाश कर रहे थे. तभी जमीन में दबे एक IED में धमाका हुआ. विस्फोट इतना जोरदार था कि वहां मौजूद CRPF का प्रशिक्षित स्वान (डॉग) मौके पर ही शहीद हो गया और उसका हैंडलर जवान गंभीर रूप से घायल हो गया.

ऑपरेशन तेज, जंगल में लगातार सर्च अभियान

ब्लास्ट के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया और बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया. बम निरोधक दस्ते और स्निफर डॉग्स की मदद से आसपास के क्षेत्र में अन्य IEDs की तलाश जारी है. अधिकारियों के मुताबिक, यह इलाका लंबे समय से नक्सलियों की सक्रियता का गढ़ रहा है और यहां भूमिगत विस्फोटक उपकरण लगाना उनकी पुरानी रणनीति रही है.

नक्सलियों की पुरानी रणनीति – ‘IED जाल’

झारखंड में नक्सली अक्सर जंगलों के रास्तों और सुरक्षाबलों के मूवमेंट ट्रैक पर IED बिछा देते हैं. 10 अक्टूबर को भी सारंडा जंगल में इसी तरह के IED ब्लास्ट में CRPF 60 बटालियन के हेड कॉन्स्टेबल महेंद्र लश्कर शहीद हो गए थे. यह घटना साबित करती है कि नक्सली अब सीधी मुठभेड़ के बजाय ‘छिपे हमले’ और ‘IED जाल’ से सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं.

घायल जवानों की हालत और सुरक्षा व्यवस्था

इस बार के ब्लास्ट में घायल हुए जवान को गंभीर अवस्था में हेलिकॉप्टर से रांची एयरलिफ्ट किया गया. पिछले महीने हुए ब्लास्ट में घायल सीआरपीएफ इंस्पेक्टर कौशल कुमार मिश्रा की 30 अक्टूबर को दिल्ली AIIMS में मौत हो गई थी. लगातार बढ़ती घटनाओं को देखते हुए गृह मंत्रालय ने प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त जवानों की तैनाती और एंटी-IED स्क्वॉड्स को बढ़ाने का निर्णय लिया है.

शहीद डॉग को दी गई अंतिम सलामी

शहीद CRPF डॉग को चाईबासा कैंप में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. जवानों ने कहा कि वह सिर्फ एक डॉग नहीं था बल्कि टीम का “साइलेंट सोल्जर” था जिसने कई बार IEDs को डिटेक्ट कर बड़ी दुर्घटनाओं को टाला था. उसकी बहादुरी ने एक बार फिर दिखाया कि इंसान और जानवर दोनों मिलकर आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.

नक्सल सफाई अभियान पर फोकस बढ़ा

घटना के बाद झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों ने पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला और लातेहार जिलों में नक्सल विरोधी अभियान तेज कर दिया है. सूत्रों के अनुसार, सुरक्षाबल अब “टारगेटेड ऑपरेशन” के तहत उन इलाकों को साफ करने की तैयारी में हैं, जहां नक्सलियों ने IED प्लांट किए होने की आशंका है. यह लड़ाई सिर्फ बंदूकों की नहीं, बल्कि धैर्य, तकनीक और जान की बाजी लगाने वाली जंग है.

Similar News