MP पुलिस की शर्मनाक करतूत, 18 साल के युवक को बस से उठा ले गई पुलिस, फिर झूठे ड्रग केस में भेजा जेल, हाईकोर्ट में ऐसे खुला सच
मध्य प्रदेश पुलिस की एक शर्मनाक घटना ने कानून और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. 18 साल के एक युवक को झूठे ड्रग केस में फंसाकर जेल भेज दिया गया, लेकिन जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तो सच सामने आया और युवक की निर्दोषता साबित हुई. यह घटना न केवल पुलिस की कार्रवाई में लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि न्याय व्यवस्था में भरोसा बनाए रखने की चुनौती को भी सामने लाती है.;
मध्य प्रदेश के माल्हारगढ़ में हुई एक चौंकाने वाली घटना ने पूरे प्रदेश की पुलिस की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं. 18 साल के छात्र सोहन को कथित तौर पर 2.7 किलो अफीम के साथ पकड़ा गया बताया गया, जिसके आधार पर उसे जेल भेज दिया गया. लेकिन अब हाईकोर्ट में सामने आई सच्चाई ने इस फर्जी मामले की पोल खोल दी है.
पुलिस ने लड़के को फर्जी केस में फंसाया था. हैरानी की बात यह है कि यह स्टेशन पिछले महीने देश के टॉप दस पुलिस स्टेशनों में नौवें स्थान पर आया था, लेकिन अब हाईकोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले सबूतों ने उसकी छवि धूमिल कर दी है.
पुलिस ने जबरन फर्जी केस में फंसाया
18 वर्षीय कक्षा 12 के छात्र, सोहन, को 29 अगस्त को माल्हारगढ़ पुलिस ने चलते बस से जबरन उतारा. कुछ ही घंटों बाद पुलिस ने दावा किया कि सोहन के पास 2.7 किलो अफीम मिली है और अगले दिन उसे अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. लेकिन सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल वीडियो और गवाहों की बातें पूरी तरह अलग कहानी बयां कर रही थीं. कोई नशा नहीं, कोई चेज़ नहीं, सिर्फ कुछ पुलिसकर्मी बस रोकते हुए छात्र को खींचते और ले जाते दिखे. सवाल उठता है कि क्या इतनी बड़ी घातक कार्रवाई बिना किसी कानूनी आधार के की गई? क्या जिम्मेदार अधिकारियों ने जानबूझकर एक निर्दोष छात्र के भविष्य को खतरे में डाला?
परिवार ने किया हाईकोर्ट का रुख
सोहन के परिवार ने इस गैरकानूनी गिरफ्तारी और झूठे आरोपों के खिलाफ मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के इंदौर बेंच का दरवाजा खटखटाया. परिवार ने दावा किया कि छात्र को जबरन अगवा किया गया और उसे बिना सबूत के फंसाया गया है. सुनवाई के दौरान मंदसौर के पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार मीना को कोर्ट में अपनी गलती माननी पड़ी. उन्होंने माना कि सोहन को पुलिसकर्मियों ने गलत तरीके से उठाया था. शुरुआती रिपोर्ट और वीडियो में बताए गए वक्त और जगह में भारी अंतर था.
पुलिसकर्मी हुए सस्पेंड और जांच
विनोद कुमार मीना ने छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है, जिनमें वे अधिकारी शामिल हैं जिन्होंने छात्र को बस से खींचा. साथ ही विभागीय जांच का आदेश भी दिया गया है. हाईकोर्ट ने अब अपना आदेश सुरक्षित रखा है और कानूनी विशेषज्ञ कड़े कदम की उम्मीद कर रहे हैं.
क्या पुलिस पर भरोसा कर सकती है जनता?
क्या हम पुलिस पर भरोसा कर सकते हैं, जो खुद कानून की धज्जियां उड़ाए? क्या ऐसे फर्जी मामलों को न्याय की कठघरे में लाया जाएगा? और क्या गरीबी और मासूमियत के बीच की यह खाई खत्म हो पाएगी? यह पूरा मामला मध्यप्रदेश पुलिस व्यवस्था की एक बड़ी शर्मिंदगी बनकर उभरा है, जिसने एक बार टॉप पुलिस स्टेशनों की सूची में जगह बनाई थी, वहीं अब गंभीर सवालों में घिर गया है.