गहने-कैश नहीं हथिनी हो गई चोरी, पार्टनर को धोखा देने के लिए 3 लोगों ने रचा खेल, जानें क्या है पूरा मामला
पलामू जिले में हथिनी चोरी की पहली शिकायत ने सबको हैरान कर दिया, लेकिन जांच में सामने आया कि यह चोरी नहीं, बल्कि पार्टनरशिप विवाद था. तीन पार्टनर ने मिलकर चौथे को धोखा देने के लिए पूरी प्लानिंग की थी. अब पुलिस ने हथिनी बरामद कर ली है.;
आमतौर पर पुलिस के पास गाड़ी, गहने या जमीन-जायदाद की चोरी के मामले आते हैं, लेकिन झारखंड के पलामू जिले की पुलिस के सामने अगस्त महीने में ऐसा केस आया जिसने सबको चौंका दिया. यह पहली बार हुआ जब किसी ने हथिनी के चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज कराई. यही वजह रही कि यह मामला झारखंड पुलिस के इतिहास में दर्ज हो गया.
हालांकि, पुलिस को इस मामले में सफलता मिली और 17 दिन बाद हथिनी को बरामद कर लिया गया है. वहीं, पुलिस ने बताया कि यह चोरी का नहीं बल्कि पार्टनरशिप में धोखाधड़ी का मामला है.
हथिनी की चोरी और 27 लाख का सौदा
पुलिस के लिए यह केस आसान नहीं था. हथिनी जैसे बड़े जानवर को चोरी करना फिल्मों की कहानी जैसा लगता था. पलामू पुलिस ने 17 दिन तक लगातार जांच के बाद आखिरकार पता चला कि हथिनी बिहार की ओर ले जाई गई है. पुलिस को पता चला कि हथिनी को पलामू से पैदल बिहार के गोपालगंज तक ले जाया गया. सोचिए, गांव-शहर होते हुए इतनी बड़ी हथिनी सड़क किनारे गुजर रही थी लेकिन असलियत पर किसी ने गौर नहीं किया. गोपालगंज से इसे ट्रक में भरकर छपरा जिले के अमनौर के पहाड़पुर गांव पहुंचाया गया. यहीं से हथिनी का सौदा कर दिया गया. स्थानीय निवासी गोरख सिंह ने इसे 27 लाख रुपये में खरीद लिया. गोरख सिंह पहले से ही दो हाथियों के मालिक थे और यह हथिनी उनकी तीसरी बन गई.
चोरी नहीं, पार्टनर का झगड़ा
पुलिस ने जब कहानी की गहराई में उतरकर छानबीन की, तो असली राज सामने आया. यह हथिनी चोरी नहीं हुई थी, बल्कि पार्टनरशिप में धोखा देने की अनोखी कहानी थी. दरअसल, नरेंद्र कुमार शुक्ला और तीन अन्य लोगों ने मिलकर हथिनी को करीब 40 लाख रुपये में खरीदा था. खरीद के बाद चारों मिलकर उसके खाने-पीने और महावत का खर्च भी उठाते रहे. लेकिन बीच में तीन पार्टनर आपस में मिले और उन्होंने महावत की मदद से शुक्ला को धोखा दे दिया. हथिनी को बेचकर बाकी पार्टनर ने पैसा कमा लिया और शुक्ला के हिस्से में आया सिर्फ धोखे का दर्द.
अब भी बाकी हैं कई सवाल
पुलिस ने हथिनी को बरामद कर लिया है और फिलहाल इसे अमनौर में जिम्मेनामा पर सौंप दिया गया है. लेकिन जांच अभी पूरी नहीं हुई है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार चारों पार्टनरों ने हथिनी को किस उद्देश्य से खरीदा था. साथ ही, जिन लोगों ने मिलकर हथिनी को बेच दिया, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, यह भी पुलिस की अगली जांच पर निर्भर करेगा.