केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, टाटा स्टील को कोयला खोज के लिए मिली हरी झंडी, ये 17 एजेंसियां भी शामिल
केंद्र सरकार ने खनिज खोज और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने टाटा स्टील की नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन को अब कोयला और लिग्नाइट के भंडार खोजने का अधिकार दे दिया है. इससे पहले कंपनी को हर नए भंडार के लिए सरकारी लाइसेंस का इंतजार करना पड़ता था.;
टाटा स्टील के लिए सरकार ने एक बड़ी और राहत भरी घोषणा की है. केंद्र सरकार ने कंपनी की नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन को अब कोयला और लिग्नाइट के भंडार खोजने (सर्वेक्षण) का अधिकार दे दिया है. इससे पहले टाटा स्टील को हर बार नए भंडार खोजने के लिए सरकारी प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस का इंतजार करना पड़ता था, जो समय की लंबी बाधा बन जाता था.
अब इस नई मंजूरी से खनन प्रक्रिया में लगभग छह महीने की बचत होगी, जिससे न केवल टाटा स्टील की ऊर्जा और कच्चे माल की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होगी.
2030 के लक्ष्य और कच्चे माल की सुरक्षा
टाटा स्टील की योजना है कि 2030 तक उत्पादन क्षमता 40 मिलियन टन सालाना तक बढ़ाई जाए. इतने विशाल उत्पादन के लिए निरंतर कोयला और लौह अयस्क की आपूर्ति जरूरी है. वर्तमान में कंपनी के पास नोवामुंडी, झरिया और वेस्ट बोकारो में प्रमुख कोयला खदानें हैं. नए भंडार खोजने के लिए इस मंजूरी से टाटा स्टील को रणनीतिक लाभ मिलेगा और कंपनी स्वयं नए कोल ब्लॉक्स में छिपे खनिजों का पता लगा सकेगी.
निजी कंपनियों के लिए आसान प्रक्रिया
पहले निजी कंपनियों को किसी भी क्षेत्र में खनिज खोजने के लिए बार-बार सरकारी अनुमति और लाइसेंस लेना पड़ता था. यह प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली थी. अब एमएमडीआर एक्ट, 1957 की धारा 4 के तहत 18 एजेंसियों को अधिकृत किया गया है. इसका मतलब है कि कोल ब्लॉक्स पाने वाली कंपनियां अब टाटा स्टील जैसी मान्यता प्राप्त निजी एजेंसियों से भी सर्वेक्षण करवा सकेंगी.
देशभर की 18 एजेंसियों को मिली मंजूरी
सरकार ने टाटा स्टील के अलावा अन्य 17 कंपनियों को भी कोयला और लिग्नाइट खोज के लिए अधिकृत किया है. इसमें कोलकाता की इंडियन माइन प्लानिंग एंड कंसल्टेंट्स, गुरुग्राम की साउथ वेस्ट जियोलॉजिकल एक्सप्लोरेशन, रांची की जेम्स प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद की सीएमएमसीओ टेक्नोलॉजी सर्विसेज, दिल्ली की सुरमाइन कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड समेत कई कंपनियां शामिल हैं. कोयला मंत्रालय का उद्देश्य निजी क्षेत्र की कुशलता और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर एक्सप्लोरेशन की गति बढ़ाना है. इससे भारत में आत्मनिर्भर ऊर्जा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है.