शिक्षक पढ़ाएं या कुत्तों की रखवाली करें? हरियाणा में ‘Dog Duty’ पर बवाल, AAP ने भाजपा पर उठाए सवाल

हरियाणा में शिक्षकों को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में आवारा कुत्तों की निगरानी की ड्यूटी देने के आदेश पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. कैथल जिले में शिक्षक धरने पर बैठ गए और कहा कि उनका काम बच्चों को पढ़ाना है, न कि कुत्तों की रखवाली करना. आम आदमी पार्टी ने इसे शिक्षा और शिक्षकों के सम्मान के खिलाफ बताया है. पार्टी का आरोप है कि भाजपा सरकार शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक काम करवा रही है, जिससे शिक्षा व्यवस्था और बच्चों का भविष्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं.;

( Image Source:  Sora_ AI )

दिल्ली के बाद अब हरियाणा में भी शिक्षकों को लेकर ऐसा फरमान आया है, जिसने शिक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है. कैथल से रोहतक तक, स्कूल और विश्वविद्यालय अब पढ़ाई के नहीं बल्कि आवारा कुत्तों की निगरानी के केंद्र बनते दिख रहे हैं. आदेश सामने आते ही शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा और कैथल जिले में अध्यापक धरने पर बैठ गए. साफ शब्दों में उन्होंने कहा कि 'हम बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त हुए हैं, कुत्तों की रखवाली के लिए नहीं.'

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यह विवाद सिर्फ एक आदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि उस सिस्टम पर सवाल खड़े करता है जहां पहले से शिक्षक कमी, पढ़ाई का बोझ और संसाधनों की किल्लत है. ऐसे में अध्यापकों पर गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियां थोपना शिक्षा के भविष्य के साथ खिलवाड़ माना जा रहा है.

हरियाणा में ‘Dog Duty’ पर बवाल

कैथल जिले में 24 दिसंबर 2025 को जारी आदेश के मुताबिक हर स्कूल में आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया. यह जिम्मेदारी सीधे तौर पर शिक्षकों पर डाल दी गई. आदेश सामने आते ही अध्यापकों ने मोर्चा खोल दिया और इसे अपमानजनक करार दिया. शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में पहले ही स्टाफ की भारी कमी है, ऊपर से पढ़ाई और परीक्षा का दबाव रहता है. ऐसे में कुत्तों की निगरानी जैसे काम थोपना न सिर्फ अन्याय है, बल्कि शिक्षा के अधिकार पर भी चोट है.

  • 30 हजार पद खाली, फिर भी नई ड्यूटी
  • सरकारी आंकड़े खुद हरियाणा की बदहाली बयां करते हैं.
  • राज्य में करीब 14 हजार सरकारी स्कूल
  • 30 हजार से ज्यादा शिक्षक पद खाली
  • 85 से 90 प्रतिशत स्कूल बिना स्थायी हेडमास्टर
  • कई स्कूलों में 400-500 बच्चों पर सिर्फ एक शिक्षक

इतनी भयावह स्थिति के बावजूद सरकार ने शिक्षकों को पढ़ाने के बजाय निगरानी में झोंक दिया. मामला सिर्फ स्कूलों तक सीमित नहीं है. रोहतक स्थित महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) में भी प्रोफेसरों को परिसर में आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई. इससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या शिक्षा संस्थान अब पढ़ाई के केंद्र रहेंगे या प्रशासनिक चौकी बनकर रह जाएंगे?

AAP का हमला, BJP सरकार पर सवाल

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि “यह फैसला दिखाता है कि भाजपा सरकार न तो शिक्षा की चिंता करती है और न ही अध्यापकों के सम्मान की.” ढांडा ने आगे कहा कि जब 70-75 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में स्थायी चौकीदार तक नहीं हैं, कई जगह एक चौकीदार कई स्कूल संभाल रहा है, तो फिर शिक्षकों पर कुत्तों की निगरानी का बोझ क्यों डाला जा रहा है?

शिक्षक पढ़ाएं या कुत्तों की रखवाली करें?

अनुराग ढांडा ने सरकार से सीधा सवाल किया कि “सरकार तय करे कि हरियाणा में शिक्षक बच्चों को पढ़ाएँ या कुत्तों की देखरेख करें.' उन्होंने कहा कि अध्यापकों को पहले बीएलओ, फिर चौकीदार और अब कुत्तों का रखवाला बनाना, उनके पद की गरिमा पर सीधा हमला है. यह सिर्फ शिक्षकों का नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य का भी नुकसान है. आम आदमी पार्टी ने मांग की है कि आवारा कुत्तों की समस्या के लिए अलग से एनिमल कंट्रोल या पाली स्टाफ की भर्ती की जाए. शिक्षकों को इस “अपमानजनक ड्यूटी” से मुक्त किया जाए. पार्टी का कहना है कि शिक्षा को बोझ और शिक्षक को मजदूर समझने वाली सोच को हरियाणा की जनता अब बर्दाश्त नहीं करेगी.

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