क्यों खाली करवाया जा रहा कैथल का पोलड़ गांव, रावण के दादा से क्या है कनेक्शन?

ASI ने हरियाणा के कैथल स्थित पोलड़ गांव को खाली करने का आदेश दिया है. एएसआई का मानना है कि पोलड़ गांव की जमीन ऐतिहासिक रूप से बहुत अहम है. इस जमीन पर रावण के पूर्वजों से जुड़े अवशेष मिलने की संभावना है. विभाग अब खुदाई करते देखना चाहता है कि इस जमीन में क्या दवा हुआ है. हालांकि गांव वालों ने इसका विरोध किया है.;

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Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 1 Dec 2025 12:52 PM IST

Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले स्थित पोलड़ गांव वालों पर मुसीबत आ गई है. उन्हें सरकार की ओर से घर छोड़कर जाने का आदेश जारी किया गया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की ओर यह आदेश दिया गया है. इसके बाद सभी दुखी हैं. वर्षों से एक ही जगह पर रहना और अचानक घर छोड़कर जाना, यह सब कुछ इतना आसान नहीं है. पूरे गांव में तनाव देखने को मिल रहा है.

ASI ने ग्रामीणों को पूरा गांव तत्काल खाली करने का आदेश दिया है. हर कोई हैरान है कि अचानक ऐसा क्या हुआ जो घर खाली करने को कहा जा रहा है. हर ओर पोलड़ गांव की चर्चा हो रही है कि कहीं यहां कोई खजाना या प्राचीन मूर्तियां तो नहीं. इसका सीधा कनेक्शन रामायण के रावण से जुड़ा हुआ है.

क्यों दिया गांव खाली करने का आदेश?

एएसआई का मानना है कि पोलड़ गांव की जमीन ऐतिहासिक रूप से बहुत अहम है. इस जमीन पर रावण के पूर्वजों से जुड़े अवशेष मिलने की संभावना है. विभाग ने कहा कि यह स्थान रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोभूमि रहा है. इसलिए यहां पर धार्मिक व ऐतिहासिक साक्ष्य जमीन में दबे हुए हैं. हम खुदाई करके उन सभी सबूतों का इकट्ठा चाहते हैं. जहां पर साक्ष्य दबे हैं वहां लोग रह रहे हैं. इसलिए गांव खाली करना जरूरी है.

क्या बोले गांव वाले?

ASI के दावे और जमीन की खुदाई करने की बात से गांव वाले नाराज हैं. उनका कहा है कि यहां पर पहले भी कई बार खुदाई की गई, लेकिन कुछ नहीं मिला. इसके बाद भी कोई मानने को तैयार नहीं है और 200 से ज्यादा घरों का खाली कराने की कोशिश की जा रही है. यह सब गलत हो रहा है. ग्रामीणों ने सरकार के इस रुख का विरोध किया है. हालांकि लोगों ने सरकार से मदद मांगी है. अब देखना होगा कि हरियाणा सरकार क्या रास्ता निकालती है.

धार्मिक आस्था का केंद्र

पोलड़ गांव में दूर-दूर से लोग आते हैं. यहां पर प्राचीन सरस्वती मंदिर और शिवलिंग है, जिसे रावण के दादा पुलस्त्य मुनि के युग से जोड़कर देखा जाता है. नागा साधु महंत देवीदास के मुताबिक, मंदिर का निर्माण राघवदास ने कराया था. उन्हें सपने में इस स्थान के बारे में पता चला था, जो कि दिव्य संकेत था. इतिहासकार का मानना है कि इस गांव को दोबारा बसाया गया है.

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