गुरुग्राम में 'घूस की ज़मीन', वाड्रा पर ED का सर्जिकल स्ट्राइक, सत्ता के दम पर खेला गया खेल

रॉबर्ट वाड्रा पर ईडी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने गुरुग्राम में रिश्वत के रूप में जमीन ली है. इतना ही नहीं, प्रियंका ने भी इस संपत्ति के बारे में अपने शपरथ पत्र में जिक्र नहीं किया था. अब इस मामले में अगली सुनवाई 28 अगस्त को है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 9 Aug 2025 1:03 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए गुरुग्राम की एक विवादित जमीन डील को लेकर बड़ा खुलासा किया है. ईडी ने कहा कि उन्हें 3.5 एकड़ जमीन घूस के तौर पर मिली. जांच एजेंसी के मुताबिक, यह डील केवल एक जमीन खरीद का मामला नहीं, बल्कि राजनीतिक रसूख और फर्जी दस्तावेज़ों का जाल है.

ईडी का आरोप है कि OPPL इस उम्मीद में यह ज़मीन SLHPL को ट्रांसफर कर रही थी कि वाड्रा अपने "पारिवारिक और राजनीतिक प्रभाव" का इस्तेमाल कर हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से हाउसिंग लाइसेंस दिला देंगे.

रिश्वत के रूप में मिली ज़मीन?

चार्जशीट के मुताबिक, साल 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी Skylight Hospitality Pvt Ltd (SLHPL) को गुरुग्राम में 3.5 एकड़ की एक बहुमूल्य ज़मीन मिली. वाड्रा ने दावा किया कि इसके बदले उन्होंने 7.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया. हालांकि, ईडी की जांच में सामने आया कि यह ज़मीन Onkareshwar Properties Pvt Ltd (OPPL) ने बिना किसी असली भुगतान के SLHPL को हस्तांतरित की, और इस सौदे के पीछे वजह वाड्रा की राजनीतिक पकड़ और प्रभाव था.

सवालों के घेरे में चेक और पेमेंट

इस ज़मीन की रजिस्ट्री 12 फरवरी 2008 को कराई गई, जिसमें चेक नंबर 607251 के ज़रिए भुगतान दिखाया गया. लेकिन जांच में पता चला कि यह चेक कभी क्लियर नहीं हुआ. असल में छह महीने बाद भुगतान एक दूसरी कंपनी, Skylight Realty Pvt Ltd (SLRPL), के खाते से किया गया, जबकि ज़मीन की खरीदार कंपनी Skylight Hospitality Pvt Ltd (SLHPL) थी.

खाते में 7.5 करोड़ की रकम

इतना ही नहीं, SLHPL की कुल पूंजी केवल 1 लाख रुपये थी और SLRPL के खाते में 7.5 करोड़ की रकम मौजूद ही नहीं थी. इसके अलावा, जमीन की स्टांप ड्यूटी 45 लाख रुपये भी खरीदार ने नहीं, बल्कि बेचने वाले ने दी. ईडी के मुताबिक, ये सब दिखाता है कि ये सौदा एक बेनामी लेन-देन था, जिसमें भुगतान का सिर्फ नाटक किया गया.

58 करोड़ में बेचा, लेकिन हलफनामे में नहीं दिखाया

कुछ समय बाद, रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने यह ज़मीन 58 करोड़ रुपये में रियल एस्टेट कंपनी DLF को बेच दी. लेकिन जब प्रियंका गांधी ने नवंबर 2024 में वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़ा, तो उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में इस सौदे से संबंधित संपत्तियों के बारे में नहीं बताया था.अब इस चूक को लेकर केरल हाईकोर्ट ने प्रियंका को नोटिस जारी किया है, क्योंकि चुनावी दस्तावेज़ों में जानकारी छुपाना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत एक गंभीर अपराध माना जाता है. इस कानून के तहत, अगर किसी उम्मीदवार को दोषी पाया जाता है, तो उसकी उम्मीदवारी रद्द की जा सकती है और उसे जेल की सज़ा भी हो सकती है.

ईडी ने अटैच की करोड़ों की संपत्तियां

16 जुलाई 2025 को ईडी की जांच के बाद वाड्रा से जुड़ी 37 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियां जब्त कर ली गईं. इसके अगले ही दिन, 17 जुलाई को, गुरुग्राम जमीन सौदे मामले में आधिकारिक रूप से चार्जशीट दायर की गई. अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई 28 अगस्त 2025 को विशेष PMLA अदालत में होगी, जहां आरोप तय करने पर निर्णय लिया जाएगा.

कौन-कौन है आरोपियों की सूची में?

इस पूरे मामले में कुल 11 आरोपी बनाए गए हैं, जिनमें प्रमुख नाम रॉबर्ट वाड्रा, OPPL के प्रमोटर सत्यनंद यादव और केवल सिंह विरक हैं. जांच एजेंसियों का मानना है कि यह मामला सिर्फ ज़मीन खरीदने या बेचने का नहीं, बल्कि राजनीतिक रसूख, फर्जीवाड़े, और पारदर्शिता की कमी का बड़ा उदाहरण है.

क्या आगे बढ़ेगा शिकंजा?

अब सबकी नजरें 28 अगस्त की सुनवाई पर टिकी हैं. यदि अदालत आरोप तय करती है और सबूतों को गंभीर मानती है, तो रॉबर्ट वाड्रा और अन्य आरोपियों के लिए मुश्किलें काफी बढ़ सकती हैं और प्रियंका गांधी के राजनीतिक भविष्य पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है.

Similar News