दिल्‍ली में दूसरा विधानसभा चुनाव कराने में क्‍यों लग गए थे 37 साल, कौन बना था सीएम?

दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होंगे. मतगणना 8 फरवरी को होगी. दिल्ली में पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ था, हालांकि, इसके बाद दूसरा चुनाव होने में 37 साल का लंबा वक्त लग गया. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर 37 साल तक दिल्ली बिना सीएम के क्यों रहीं और यहां चुनाव क्यों नहीं कराए गए. आइए, जानते हैं इसकी वजह...;

By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 9 Jan 2025 11:31 PM IST

Delhi Elections:  दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है. वोट 5 फरवरी को डाले जाएंगे, जबकि वोटों की गिनती 8 फरवरी को होगी. इसे देखते हुए सभी दल चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं. दिल्ली में पिछले 10 साल से सत्ता में है. उसकी कोशिश एक बार फिर से सरकार बनाने की है, जबकि कांग्रेस और बीजेपी सत्ता का वनवास खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

दिल्ली में पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ. उस समय विधानसभा की 48 सीटें थी, जबकि मतदाता 7.44 लाख थे. कांग्रेस ने 37 सीटें जीतकर सरकार बनाई और ब्रह्म प्रकाश मुख्यमंत्री बने. उनके बाद दिल्ली को अगला सीएम 1993 में मिला. आखिर इसकी क्या वजह रही, आइए जानते हैं...


दिल्ली में 37 साल तक चुनाव क्यों नहीं हुए?

बता दें कि 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर दिल्ली का राज्य का दर्जा समाप्त कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. पहले इसे नगर पालिका घोषित किया गया, जिसे बाद महानगर परिषद यानी मेट्रोपोलिटन काउंसिल कर दिया गया और इसका प्रमुख उपराज्यपाल यानी लेफ्टिनेंट गवर्नर को बना दिया गया. इसमें 56 निर्वाचित सदस्य और 5 मनोनीत सदस्य थे. हालांकि, इसे कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं था.


साल 1991 में संसद में दिल्ली विधानसभा को बहाल करने का प्रस्ताव पारित हुआ, जिसके बाद 1992 में परिसीमन के बाद दिल्ली में 37 साल बाद चुनाव कराने का रास्ता साफ हुआ. इससे पहले, 1987 में दिल्ली के प्रशासन से जुड़े मामलों के लिए सरकारिया कमेटी बनाई गई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता, लेकिन विधानसभा स्थापित की जा सकती है.

दिल्ली में 1952 के बाद कब चुनाव हुआ?

दिल्ली में 1952 के बाद अगला चुनाव 1993 में किया गया. उस दौरान 58.5 लाख मतदाता थे. सीटों की संख्या बढ़ाकर अब 48 से 70 कर दी गई थी. इस चुनाव में बीजेपी ने 49 सीटों पर जीत दर्ज की, जिसके बाद मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने. हालांकि, वे 1996 तक अपने पद पर रह सके. उनके बाद साहिब सिंह वर्मा को सीएम बना दिया गया, जो 1998 तक अपने पद पर रहे.

सुषमा स्वराज 52 दिन के लिए बनीं सीएम

साहिब सिंह वर्मा के बाद सुषमा स्वराज को सीएम बनाया गया. वे इस पद पर महज 52 दिन तक ही रह सकीं. इसके बाद 1998 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 52 सीटें जीतकर सत्ता पर कब्जा जमाया और शीला दीक्षित सीएम बनीं. वे 2013 तक इस पद पर रहीं. उनके बाद से आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री 2024 तक मुख्यमंत्री थे. उनके जेल जाने के बाद आतिशी सीएम बनीं.


1998 के चुनाव में 1.19 करोड़, जबकि 2020 में 1.47 करोड़ मतदाता थे. वहीं, इस बार 2025 के विधानसभा चुनाव में वोटरों की संख्या बढ़कर 1.55 करोड़ हो गई है. मतदान के लिए 2697 जगहों पर 13033 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं.

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