दिल्ली में नर्सरी एडमिशन के बदले नियमों का क्या होगा असर?
Delhi Nursery Admission: अपने बच्चों की शिक्षा शुरू करने के लिए उत्साहित अभिभावकों के लिए खुशखबरी है. शिक्षा निदेशालय ने 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए नर्सरी में एडमिशन का ऑफिशियल अनाउंसमेंट कर दिया है. इस बार खास ये है कि शिक्षा निदेशालय ने कई बेफिजुल मानकों को हटा दिया है, जिसे बच्चों को उस आधार पर एडमिशन से नहीं रोका जा सकता है.;
Delhi Nursery Admission: आज स्कूलों के भारी-भरकम फीस तो फीस, नियम भी कई छोटे बच्चों के एडमिशन में मुश्किल पैदा कर देती है. कई बार लाचार पैरेंट्स अपने चहेते स्कूल में बच्चों इस नियम की वजह से पढ़ा नहीं पाते हैं. इसे लेकर शिक्षा निदेशालय ने अब हाई-फाई स्कूलों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. शिक्षा निदेशालय ने 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए नर्सरी में एडमिशन को लेकर ऑफिशियल अनाउंसमेंट तक दिया है.
शिक्षा निदेशालय की ये घोषणा शिक्षा में कदम रखने वाले नए बच्चों के लिए खुशखबरी है. इससे वे औपचारिक शिक्षा में अपना पहला कदम रख रहे हैं. पेरेंट्स 28 नवंबर से सामान्य श्रेणी के दाखिलों के लिए छह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए शहर के प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी, केजी और कक्षा 1 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं. प्री-प्राइमरी क्लास में एडमिशन के लिए उम्र की सीमा 5 साल , पहली क्लास के लिए उम्र 6 साल रखी गई है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), वंचित समूह (DG) के छात्रों और दिव्यांग बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें रिजर्व रहेंगी.
एडमिशन को लेकर हटाए गए हैं यह मानक
शिक्षा निदेशालय ने जिन मानकों को हटाया है, उनमें नॉन स्मोकर, नॉन अल्कोहलिक, वेजिटेरियन, वर्किंग, स्कूल परिवहन, इंटरव्यू, मैनेजमेंट कोटा, जॉइंट फैमिली, लिंग, भाषा, इकॉनोमिकल स्टेटस, स्कॉलर स्टूडेंट, माता-पिता दोनों का वर्किंग होना, पहले आओ पहले पाओ, पहला बच्चा, ट्रांसफर केस, पेरेंट्स की योग्यता, बच्चे का स्टेटस, म्यूजिक-स्पोर्ट्स में पैरेंट्स की अचीवमेंट्स, पेरेंट्स का उसी स्कूल की दूसरी ब्रांच में वर्किंग होना, अडॉप्टेड बच्चा, जुड़वां बच्चे, दिल्ली यूनिवर्सिटी का स्टॉफ, चचेरा भाई-बहन आदि शामिल हैं.
बदले नियमों का क्या होगा असर?
इन नियमों में बदलाव कई तरह से पैरेंट्स को राहत देगा. वो भी अपने बच्चों का एडमिशन आसानी से करा सकते हैं. माना जाता है कि इन मानकों का बच्चों के पढ़ाई-लिखाई से कोई भी लेना देना नहीं है. प्राइवेट स्कूल फैमिली स्टेट्स को मापने के लिए ऐसे फिजूल मानक का उपयोग करते हैं. कई जगहों पर इन मानकों के आधार पर बच्चों के एडमिशन को रोक देते हैं, जो बच्चों को पढ़ाई के उनके हक से दूर करता है. ऐसे शिक्षा निदेशालय के उठाए गए इस कदम को आने वाले समय के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है.