रेखा गुप्‍ता यूं ही नहीं बनीं RSS की पहली पसंद, दशकों पुराना है संघ से नाता

रेखा गुप्ता ने प्रवेश वर्मा को पीछे छोड़ दिया और सीएम पद के लिए पहली पसंद बन गईं. जैसा कि बीजेपी के सभी बड़े फैसलों में राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (RSS) की भी बड़ी भूमिका होती है, दिल्‍ली में रेखा गुप्‍ता के चुनाव में भी यही परिपाटी दोहराई गई. बीजेपी शासित कई राज्‍यों में मुख्‍यमंत्रियों के चुनाव चौंकाने वाले रहे हैं. आइए इस खबर में जानते हैं कि रेखा गुप्ता कैसे संघ की पंसद बनीं?;

By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 20 Feb 2025 3:00 PM IST

27 साल बाद दिल्ली में कमल खिल गया और यह भाजपा के लिए एक ऐतिहासिक दिन बन गया है. दिल्ली को चौथी महिला मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता मिली हैं. उन्होंने दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है. विधायक दल की बैठक में 19 फरवरी की शाम को उन्हें सर्वसम्मति से चुना गया. विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए कई नाम चर्चा में थे, लेकिन रेखा गुप्ता ने प्रवेश वर्मा को पीछे छोड़ दिया और सीएम पद के लिए पहली पसंद बन गईं. जैसा कि बीजेपी के सभी बड़े फैसलों में राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (RSS) की भी बड़ी भूमिका होती है, दिल्‍ली में रेखा गुप्‍ता के चुनाव में भी यही परिपाटी दोहराई गई. बीजेपी शासित कई राज्‍यों में मुख्‍यमंत्रियों के चुनाव चौंकाने वाले रहे हैं. आइए इस खबर में जानते हैं कि रेखा गुप्ता कैसे संघ की पंसद बनीं?

विधायक दल की बैठक में क्यों सबका फोन हो गया बंद?

19 फरवरी की शाम को विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें सभी 48 विधायकों के फोन बंद करा दिए गए ताकि बैठक के दौरान किसी भी नाम का खुलासा न हो सके. इस दौरान पर्यवेक्षकों ने सतीश उपाध्याय, प्रवेश वर्मा जैसे कुछ विधायकों के साथ अलग से चर्चा की. बैठक में कुल 48 विधायक, 7 सांसद, 2 पर्यवेक्षक—रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़, 3 प्रभारी और सह प्रभारी, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष, दिल्ली महासचिव और संगठन मंत्री उपस्थित थे. गहन विचार-विमर्श के बाद, पर्यवेक्षकों ने रेखा गुप्ता के नाम की घोषणा कर दी. इसके बाद, 20 फरवरी को रेखा गुप्ता ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.

रेखा गुप्ता के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो वह पहली बार विधायक बनी हैं. इससे पहले, उन्होंने 2015 में विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई थीं. हालांकि, इस बार उन्होंने शानदार जीत दर्ज कर विधानसभा में अपना खाता खोला और सीधे मुख्यमंत्री पद तक पहुंच गईं.

रेखा गुप्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के काफी करीब मानी जाती हैं और दिल्ली में संघ की सक्रिय सदस्य भी हैं. उनके छात्र राजनीति के दिनों की बात करें तो वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष और सचिव रह चुकी हैं. इसके अलावा, वे दिल्ली भाजपा की महासचिव और भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं.

संघ की गुड लिस्‍ट में रेखा क्‍यों?

अब इस खबर में बताते हैं कि रेखा गुप्ता संघ की गुड लिस्ट में कैसे आईं. दरअसल, रेखा गुप्ता को RSS से नजदीकी होने का फायदा मिला. 8 फरवरी को जब दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की, तो रेखा गुप्ता का नाम मजबूती से उभरा. इसके अलावा, उनका महिला होना भी उनके पक्ष में गया, क्योंकि इस चुनाव में महिला वोट बड़ी संख्या में भाजपा के खाते में गया था.

भाजपा के किसी भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं थी, इसलिए भी रेखा गुप्ता को प्राथमिकता दी गई. रेखा गुप्ता वैश्य समाज से आती हैं, वहीं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इसी समाज से आते थे. दिल्ली में 8% वैश्य वोटर्स हैं, और भाजपा को उम्मीद है कि इसका असर बिहार जैसे राज्यों में भी दिख सकता है.

1992 से 2025 तक रहीं एक्टिव

रेखा गुप्ता की दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने में RSS की अहम भूमिका रही. संघ के मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान उनकी उपस्थिति ने उनके संघ से करीबी संबंधों को और स्पष्ट कर दिया. संघ ने बीजेपी नेतृत्व के सामने उनके नाम को मजबूती से आगे बढ़ाया, जिसके बाद गृह मंत्री अमित शाह और पीएम मोदी की चर्चा के बाद उनके नाम पर मुहर लगी. विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला हुआ. रेखा गुप्ता संघ की सक्रिय सदस्य रही हैं और उनके पास 30 वर्षों का संघ में कार्य करने का अनुभव है. उनकी बेदाग छवि, महिला नेतृत्व और संघ के समर्थन के चलते वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं.

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