मास्क और एयर प्यूरिफायर भी हो रहे बेअसर, दिल्‍ली में “पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी” जैसे हालात -10 बातें

दिल्ली- भारत की राजधानी, सत्ता की नब्ज़ और सपनों का शहर, आज फिर एक ऐसे संकट से गुजर रही है जिसने लाखों लोगों की सांसें भारी कर दी है. हवा ज़हर बन चुकी है, आसमान धुंध से ढका है और हर तरफ वही पुराना सवाल गूंज रहा है-आख़िर दिल्ली कब सांस ले पाएगी?;

( Image Source:  AI SORA )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 21 Nov 2025 12:44 PM IST

पिछले एक हफ्ते से दिल्ली की हवा लगातार ‘बहुत ख़राब’ श्रेणी में दर्ज हो रही है. सुबह के वक़्त जब लोग घर से निकलते हैं तो सूरज की रोशनी भी धुंध की परतों में कैद नज़र आती है. सड़कें साफ दिखती नहीं, हवा में जलन है और अस्पतालों के बाहर लंबी कतारें इस संकट की कहानी बयां कर रही हैं. एक्सपर्ट ने इसे “पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी” घोषित कर दिया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-NCR के लगभग 80% घरों में कम से कम एक सदस्य पिछले एक महीने में जहरीली हवा की वजह से बीमार पड़ा है. यह आंकड़ा न सिर्फ भयावह है, बल्कि इस बात का सबूत भी है कि दिल्ली की हवा अब सिर्फ खराब नहीं, सीधे तौर पर जानलेवा हो चुकी है. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण अब बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी की आयु कम कर रहा है. डॉक्टरों की चेतावनी साफ है -मास्क और एयर प्यूरिफायर अब छोटी-मोटी ढालें हैं, असल लड़ाई नीति-निर्माण से लड़ी जाएगी.

दिल्ली में प्रदूषण को लेकर 10 बड़ी बातें

1. दिल्ली में राहत नहीं, लगातर खतरनाक लेवल पर AQI

दिल्ली ने शुक्रवार सुबह 9 बजे 24 घंटे का औसत AQI 370 रिकॉर्ड किया. यह लगातार आठवां दिन है जब हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े दिखाते हैं कि मंगलवार को AQI 374 था, सोमवार को 351. इससे साफ है कि हवा तेज़ी से ज़हरीली होती जा रही है और यह सिर्फ एक मौसमी उतार-चढ़ाव नहीं, बल्कि एक निरंतर बिगड़ती स्थिति है.

2. ‘सीवियर’ श्रेणी में 18 स्टेशन

दिल्ली के 18 से अधिक मॉनिटरिंग स्टेशन शुक्रवार को AQI 400+ यानी ‘सीवियर’ श्रेणी में दर्ज हुए. इनमें चांदनी चौक, आनंद विहार, बवाना, मुंडका, नरेला, DTU और वजीरपुर प्रमुख हैं. कई इलाकों में AQI 450 के करीब पहुंच गया, जो सामान्य व्यक्ति के लिए भी खतरे की घंटी है.

3. अगले 6 दिन और खराब

मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज़ की चेतावनी के मुताबिक, अगले छह दिन दिल्ली की हवा ‘बहुत खराब’ से ‘सीवियर’ के बीच झूलने वाली है. ठंडी हवाएं रुक गई हैं, प्रदूषक ज़मीन के पास जमा हो रहे हैं और ‘विंटर इन्वर्ज़न’ हवा को स्थिर कर रहा है. इसका मतलब - न तो प्रदूषक ऊपर जा रहे हैं और न ही उड़कर दूर, बल्कि यही जमा होते जा रहे हैं.

4. गाड़ियों के कारण बढ़ता प्रदूषण

IITM के Decision Support System के मुताबिक दिल्ली में PM2.5 प्रदूषण में गुरुवार को 17.3% हिस्सा वाहनों का था और 1.8–2.8% हिस्सा पराली जलाने का. मतलब जितना दोष पराली को दिया जाता है, उसके मुकाबले दिल्ली का अपना धुआं कहीं बड़ा अपराधी है - खासकर वाहन, निर्माण कार्य, रोड डस्ट और औद्योगिक धुआं.

5. पंजाब-हरियाणा में पराली की आग धीमी लेकिन खतरा कायम

सैटेलाइट इमेजेज़ में बुधवार को पंजाब में 16, हरियाणा में 11 और यूपी में 115 फार्म फायर दर्ज किए गए. संख्या भले कम हो, लेकिन स्थिर हवा में यह बैकग्राउंड प्रदूषण बढ़ाने के लिए काफी है.

6. AIIMS डॉक्टरों की चेतावनी

AIIMS के वरिष्ठ विशेषज्ञों ने साफ चेतावनी दी है कि दिल्ली की हवा अब “लाइफ थ्रेटनिंग” स्टेज पर पहुंच चुकी है. डॉ. अनंत मोहन ने कहा, “यह हवा अब गंभीर और जानलेवा स्तर पर है. पिछले 10 साल से यही स्थिति है. बहुत से लोग वेंटिलेटर तक पहुंच रहे हैं. इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की तरह लेना होगा.” उन्होंने बताया कि मरीजों में सांस फूलना, व्हीज़िंग, आंखों में जलन, तेज़ खांसी और COPD के बिगड़ने के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. डॉ. सौरभ मित्तल ने कहा, “दिल्ली की सबसे बड़ी भूल यह है कि वह प्रदूषण को नवंबर की समस्या समझती है. पानी के छिड़काव और स्प्रिंकलर केवल दिखावा हैं. हवा पूरे साल गंदी रहती है - नीति भी सालभर की चाहिए.”

7. क्या मास्क मदद करते हैं?

डॉक्टरों का कहना है कि N95 मास्क कुछ हद तक बचाव देते हैं. एयर प्यूरिफायर से भी सीमित मदद ही मिलती है. लेकिन इनसे समस्या खत्म नहीं होगी, क्योंकि 2.5 माइक्रोन का प्रदूषण शरीर में घुसकर खून तक पहुंच जाता है. इसका असर दिल, दिमाग, फेफड़ों, मानसिक स्वास्थ्य और गर्भ में पल रहे बच्चे तक पर होता है.

8. दिल्ली-NCR के 80% घर प्रदूषण से प्रभावित

LocalCircles के सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ जिसके अनुसार 10 में से 8 घरों में कम से कम एक व्यक्ति बीमार हुआ जबकि 36% घरों में 4 या अधिक लोग प्रभावित हुए. सबसे आम लक्षणों में लगातार खांसी, आंखों में जलन, सिर दर्द, बंद नाक और कंजेशन के साथ ही दमा के मरीजों में अटैक की संख्या बढ़ना शामिल है.

9. "बच्चों को गैस चेंबर में क्यों भेज रहे हैं?"

इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में खेलकूद और आउटडोर इवेंट रोकने को कहा. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की कि बच्चों को इस धुएं में गतिविधियां कराना “गैस चेंबर में ट्रेनिंग देने जैसा” है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि हर महीने प्रदूषण नियंत्रण की समीक्षा हो, राज्य सरकारें CAQM के नियम सख्ती से लागू करें और पराली जलाने पर जीरो-टॉलरेंस अपनाई जाए.

10. पहली बार प्रदूषण के खिलाफ सड़कों पर जनता 

प्रदूषण से परेशान लोग अब सड़कों पर उतर आए और ऐसा पहली बार हुआ जब प्रदूष्‍ण के खिलाफ लोगों ने इंडिया गेट पर प्रदर्शन किया. लोगों का कहना है कि सरकारें सालभर निष्क्रिय रहती हैं, GRAP से मजदूरों पर मार पड़ती है, लेकिन प्रदूषण कम नहीं होता. और ना ही इससे निपटने के लिए कोई दीर्घकालिक योजना नजर आती है. लोगों का गुस्सा साफ है - “अगर सरकारें नहीं जागेंगी तो हमें अपनी सांसों के लिए लड़ना होगा.”

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