'ग्रीन' पटाखों ने भी प्रदूषण नहीं रोका, दिवाली के बाद Pollution से फुलने लगी दिल्ली! टूट गया पांच साल का पुराना रिकॉर्ड
दिवाली 2025 के बाद दिल्ली की हवा गंभीर रूप से प्रदूषित हो गई है, हालांकि इस साल 'ग्रीन' पटाखों का इस्तेमाल किया गया था. नेशनल कैपिटल में PM2.5 स्तर औसतन 488 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया, जो स्वास्थ्य मानकों से लगभग 100 गुना अधिक है. दिवाली रात सबसे ज्यादा प्रदूषण 675 माइक्रोग्राम पर पहुंचा. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण स्थानीय है और ‘ग्रीन’ पटाखों ने प्रदूषण को रोकने में विफल रहे. ट्रैफिक, इंडस्ट्रीज और धूल जैसी शहरी स्रोत भी प्रदूषण में योगदान दे रही हैं.;
दिल्ली में दिवाली 2025 के बाद वायु गुणवत्ता ने पांच साल का निचला रिकॉर्ड तोड़ दिया है. कृषि अवशेष जलाने में 77.5% की कमी के बावजूद राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुँच गया. मंगलवार सुबह औसत PM2.5 स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुझाई गई सीमा से लगभग 100 गुना अधिक है. दिवाली रात का उच्चतम एकल रिकॉर्ड 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा.
इस साल 'ग्रीन' पटाखों की अनुमति और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बावजूद, वायु में जहरीला धुंआ और रासायनिक गंध जारी रही. प्रदूषण स्तर पिछले तीन वर्षों के उच्चतम रिकॉर्ड पर पहुँच गया. AQI पिछले वर्षों की तुलना में इस बार और भी गंभीर रहा: 2023 में 218, 2022 में 312 और इस बार 488 का औसत दर्ज किया गया.
दिवाली के बाद PM2.5 में तीव्र वृद्धि
Climate Trends की मुख्य शोधकर्ता पलाक बाल्यन के अनुसार, "दिवाली के बाद PM2.5 का औसत 488 रहा, जबकि त्योहार से पहले यह 156.6 था. यह तीन गुना वृद्धि दर्शाता है और 2025 की दिवाली को हाल के वर्षों में सबसे प्रदूषित बनाता है. पिछले वर्षों की तुलना में इस बार वायु प्रदूषण अधिक खतरनाक रहा. कमजोर हवा की गति और तापमान में गिरावट (27°C से 19°C तक) के कारण जहरीला धुआँ जमीन के पास स्थिर रहा.
‘ग्रीन पटाखों’ का मिथक टूटा
दिल्ली सरकार द्वारा बढ़ावा दिए गए ग्रीन पटाखों ने प्रदूषण को नियंत्रित करने में कोई मदद नहीं की. डॉ. एस.के. ढाका, राजधानी कॉलेज के प्रोफेसर ने कहा, "ग्रीन पटाखों ने स्थानीय स्तर पर कण पदार्थ (Particulate Matter) बढ़ाया. प्रदूषण पूरी तरह से स्थानीय है. यह संकेत देता है कि पटाखों की गुणवत्ता की जांच जरूरी है."
पराली जलाने की भूमिका कम, शहरी प्रदूषण प्रमुख
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 77.5% की कमी आई, जिससे दिल्ली में औसत PM2.5 में 15.5% की गिरावट हुई. लेकिन इस बार भी प्रदूषण स्तर 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ऊपर रहा. यह स्पष्ट करता है कि शहर में ट्रैफिक, उद्योग और धूल जैसे शहरी स्रोत लगातार प्रदूषण फैला रहे हैं.