लड़ाई-झगड़े मेट्रो में हुए आम, अब पैसेंजर के हाथ लगा कंडोम से भरा डब्बा! वायरल तस्वीर में देखने को मिले मजेदार रिएक्शन

यह कोई नई बात नहीं है, साल 2014 में, कंडोम बनाने वाली बड़ी कंपनी एचएलएल लाइफकेयर ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) के साथ हाथ मिलाया था. इस पार्टनरशिप के तहत कई मेट्रो स्टेशनों पर स्पेशल वेंडिंग मशीनें लगाई गईं.;

( Image Source:  Reddit )
Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 26 Oct 2025 12:14 PM IST

हर रोज़ दिल्ली मेट्रो में यात्रा करने वाले लोग अक्सर कुछ सामान खोया हुआ पाते हैं. जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप (कभी-कभी), या फिर सोते हुए यात्रियों की चीजें। लेकिन एक बड़ा डिब्बा निरोध कंडोम का? यह तो सच में बहुत ही दुर्लभ और हैरान करने वाली बात है! दिल्ली मेट्रो में नियमित रूप से सफर करने वाले एक यात्री को उस दिन कुछ ऐसा अनएक्सपेक्टेड मिला, जो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा. स्टेशन के गेट के ठीक पीछे उन्हें कंडोम का एक बड़ा डिब्बा पड़ा हुआ दिखाई दिया. इस डिब्बे के साथ-साथ कंडोम के कई पैकेट भी बिखरे हुए थे. इस घटना की तस्वीर को एक व्यक्ति ने रेडिट पर शेयर किया, और देखते ही देखते यह पोस्ट पूरी तरह से वायरल हो गई. 

यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई. लोग इसे देखकर तरह-तरह की कॉमेंटस करने लगे. कुछ लोगों ने दिल्ली मेट्रो की पुरानी पहल को याद किया, जब मेट्रो ने पब्लिक हेल्थ कैंपेन के तहत कंडोम बांटने का काम शुरू किया था. वहीं, कुछ लोग तो मजाक उड़ाते हुए सोचने लगे कि दूसरे यात्रियों ने इस डिब्बे को देखकर क्या-क्या अजीब विचार किए होंगे! एक व्यक्ति ने लिखा, 'आज सुबह ही मैंने सुना था कि ऐसे कंडोम बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अन्य सार्वजनिक जगहों पर रखे जाते हैं, जहां बहुत सारे लोग आते-जाते रहते हैं...यह एक अच्छी व्यवस्था है.' 

स्वास्थ्य विभाग शानदार पहल 

एक अन्य यूजर ने गंभीरता से पूछा, 'सच में बताओ, क्या लोग वाकई इन निरोध कंडोम का इस्तेमाल करते हैं? मैं एक मेडिकल छात्रा हूं और मुझे तो अपनी गर्भनिरोधक की क्लास में ही इनके बारे में पता चला. मुझे लगता है कि यह देश के स्वास्थ्य विभाग की एक शानदार पहल है.  लेकिन मैंने कभी किसी को इनका इस्तेमाल करते हुए नहीं सुना. ठीक वैसे ही जैसे माला-डी/एन या अंतरा गोलियां.'

'पॉप-पॉप वाले पटाखे'

किसी ने मजाक में कहा, 'पहले तो मुझे लगा कि यह कोई पॉप-पॉप वाले पटाखे हैं, लेकिन कमेंट्स पढ़ने के बाद पता चला कि यह कंडोम हैं.' एक और टिप्पणी आई, ' ये ग्रामीण इलाकों के लिए सरकारी कंडोम नहीं हैं? अगर आप कर सकें तो इसे किसी सरकारी अस्पताल में वापस लौटा दीजिए.' अंत में एक व्यक्ति ने शक जताया, 'लगता है कि सरकारी योजनाओं के तहत मुफ्त में बांटने के लिए रखे गए कंडोम का गलत इस्तेमाल हुआ है. सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में ऐसी चीजें आम हैं.' 

दिल्ली मेट्रो और कंडोम की पुरानी साझेदारी

यह कोई नई बात नहीं है, साल 2014 में, कंडोम बनाने वाली बड़ी कंपनी एचएलएल लाइफकेयर ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) के साथ हाथ मिलाया था. इस पार्टनरशिप के तहत कई मेट्रो स्टेशनों पर स्पेशल वेंडिंग मशीनें लगाई गईं. इन मशीनों से निरोध कंडोम के अलावा अन्य हेल्थ प्रोडक्ट्स भी बेचे जाते थे, जैसे कि मौखिक गर्भनिरोधक गोलियां (oral contraceptive pills) और सैनिटरी नैपकिन. इसका मुख्य उद्देश्य था कि लोगों को आसानी से और सस्ते दामों पर ये जरूरी चीजें उपलब्ध हो सकें. इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है और लोग सुरक्षित रहते हैं. 

निरोध कंडोम आखिर हैं क्या?

कंडोम भारत में बहुत पुराना और भरोसेमंद गर्भनिरोधक साधन है. इसे 1960 के दशक में पहली बार लॉन्च किया गया था. इसका मुख्य काम है अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकना और यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई) से बचाव करना. ये कंडोम सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर पूरी तरह से मुफ्त में उपलब्ध होते हैं, ताकि हर कोई इन्हें आसानी से ले सके.  खास तौर पर एचआईवी/एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों की रोकथाम के लिए सरकार बड़ा अभियान चलाती है. उच्च जोखिम वाले ग्रुप्स (जैसे सेक्स वर्कर्स या अन्य जोखिम वाले लोग) को लक्ष्य करके मुफ्त कंडोम बांटे जाते हैं. यह काम कई तरीकों से हो

Similar News