Delhi MCD Bypolls 2025: कम वोटिंग बड़े संदेश, BJP की बढ़ी परेशानी तो AAP को राहत, कांग्रेस-AIFB ने चौंकाया!
Delhi MCD Bypolls 2025 में BJP ने 12 में से 7 सीटें जीतकर बढ़त बनाए रखी, जबकि AAP को 3, कांग्रेस और AIFB को एक-एक सीट मिली. मात्र 38.5% मतदान के साथ कम वोटर टर्नआउट चर्चा का विषय बना रहा. एमसीडी उपचुनाव ने दिल्ली की नगर राजनीति के बदलते समीकरण और स्थानीय मुद्दों के असर का साफ संकेत दिया है.;
दिल्ली के MCD बाईपोल 2025 ने राजधानी की सियासत को नया ट्विस्ट दे दिया है. कम वोटिंग के बावजूद नतीजों का संदेश साफ है कि BJP अपनी पकड़ और मजबूत कर चुकी है. AAP कुछ वार्डों में वापसी तो दिखाती है पर अपनी साख की लड़ाई अब भी जारी है. इसी बीच कांग्रेस और AIFB की एंट्री ने मुकाबले को बहुकोणीय बना दिया, ये संकेत देते हुए कि दिल्ली की सियासी जमीन धीरे-धीरे बदल रही है. कम वोटिंग का साइलेंट मैसेज भी बड़ा है. चुनाव परिणाम मतदाता mood shifting का है.
MCD उपचुनाव परिणाम - कौन-कहां से जीता?
कुल 12 सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी 7 सीटें जीतने में कामयाब हुई. आम आदमी पार्टी 3 सीटें जीतने में सफल रही. एक सीट पर दिल्ली कांग्रेस और एक सीट पर एआईएफबी को जीत मिली. एमसीडी उपचुनाव में BJP अपनी पॉलिटिकल पकड़ कायम रख ने में कामयाब रही है, लेकिन 2022 में 12 से 9 सीटें बीजेपी के पक्ष में गई थी. इस लिहाज से बीजेपी को दो सीटों का नुकसान है. जबकि AAP अपनी तीन सीटें बरकरार रखने में कामयाब हुई. कांग्रेस व AIFB ने एक-एक सीट जीतकर अपनी स्थिति दर्ज कराई, जो दोनों के लिए शुभ संकेत हैं .
उपचुनाव के सियासी मायने
BJP की 7 सीटों पर जीत दिखाती है कि दिल्ली में उसकी नगर-स्तर पर अभी भी मजबूत वोट बैंक और संगठनात्मक पकड़ है. यह स्थानीय शासन और नागरिक सुविधाओं को लेकर उसकी विश्वसनीयता से जुड़ा हो सकता है. हालांकि 2020 चुनाव की तुलना में यह बीजेपी के दो सीटों का नुकसान देने वाला रहा है.
आम आदमी पार्टी 3 सीटों पर सीमित सफलता मिली. 2025 में हुई विधानसभा चुनावों में बड़ी हार के बाद, यह जीत शायद पार्टी के लिए थोड़ा संतोषजनक माना जा सकता है, लेकिन अब भी उसकी पकड़ मजबूत नहीं दिख रही.
कांग्रेस और AIFB की एक-एक सीट पर जीत यह संकेत है कि दिल्ली की राजनीति सिर्फ दो बड़े दलों (BJP और AAP) तक सीमित नहीं है. एमसीडी चुनाव स्थानीय मुद्दों, उम्मीदवारों या समीकरणों के आधार पर तीसरे विकल्पों को भी लोग वोट करना पसंद करते हैं. खासकर AIFB की जीत इस बात का उदाहरण है कि स्थानीय दल और छोटी पार्टियां भी जनहितों पर काम करे तो दिल्ली में अपनी जगह बना सकती हैं.
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बीजेपी की चुनौतियां
एमसीडी उपचुनाव में कम मतदान दर लोकतंत्र की सफलता के लिहाज से सवाल खड़ा करती है. पार्षद-चुनाव तभी सफल कहे जा सकते हैं जब पर्याप्त जन-भागीदारी हो. लोग उपचुनाव को शायद उतना महत्वपूर्ण नहीं समझते, जितना बड़ी विधानसभा या लोकसभा चुनावों को. इससे नागरिकों की भागीदारी और स्थानीय शासन में जवाबदेही कम होती है.
BJP ने उन वार्डों पर फोकस किया जहां हिंदू बहुल बूथों पर नाराज़गी कम थी और नगर-स्तरीय मुद्दे अपेक्षाकृत नरम थे, लेकिन यहां भी यह साफ दिखा कि महज केंद्रीय नेतृत्व की छवि अब MCD की लड़ाई में पर्याप्त नहीं है.
बीजेपी के लिए ताजा चुनाव परिणाम इस बात के संकेत हैं कि उसने विधानसभा चुनाव में मिली जीत के वादों को पूरा नहीं करेगी तो लोग अन्य विकल्पों पर आगे विचार करेंगे. अगर नागरिकों की अपेक्षाएं पूरी नहीं हुईं तो अगली बार लोग किसी और सियासी दल को मौका दे सकते हैं.
मतदान को लेकर निराशाजनक रहा रुझान
38.51% की मतदान दर बताती है कि अधिकांश मतदाताओं ने इस उपचुनाव में भाग नहीं लिया. मतलब मतदाता उत्साह अपेक्षित से कम रहा. 2022 की तुलना में इस बार वोटिंग काफी कम हुई. इससे यह संकेत मिलता है कि कई लोग या तो निराश थे, या उन्हें यह चुनाव महत्वपूर्ण नहीं लगा.
हालांकि, कुछ वार्डों जैसे चांदनी महल में मतदान अच्छा रहा, लेकिन कई इलाकों में खासकर अधिक आबादी वाले या रिहायशी क्षेत्रों में कम भागीदारी देखने को मिली.
30 नवंबर 2025 को दिल्ली के 12 वार्डों में MCD के लिए उपचुनाव हुए थे. ये सीटें इसलिए रिक्त हुई थीं, क्योंकि पहले चुनावी विजेता कुछ पार्षदों का विधानसभा या अन्य चुनाव में जीत कर लोकसभा और विधानसभा पहुंच गए. मतदान शांतिपूर्ण रहा था. कुल वोटिंग प्रतिशत लगभग 38.51% दर्ज हुआ, जो 2022 के MCD चुनावों में हुए 50.47% के मुकाबले कम है. सबसे ज्यादा मतदान Chandni Mahal Ward में 55.93% हुआ था. जबकि Greater Kailash Ward में सबसे कम 26.76%) रहा था.