पढ़ाई के लिए विदेश जाएंगे दलित! आंबेडकर विवाद के बीच केजरीवाल का एलान, चुनाव में कितना फायदा?
Delhi elections 2025: केजरीवाल ने कहा कि जो दलित छात्र विदेश में पढ़ना चाहते हैं उनका सारा खर्चा हमारी सरकारी उठाएगी. इसके लिए हम डॉ. अंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप शुरू करेंगे.;
Delhi elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है. जिसे लेकर पार्टियां अलग-अलग लुभावने एलान कर रही है. वहीं संसद के शीतकालिन सत्र से निकला आंबेडकर विवाद का भी पार्टियों ने पूरा फायदा उठाने की कोशिश की है. ऐसे में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल में भी इसे लेकर चुनावी फायदे के लिए एक बड़ा एलान कर दिया है.
केजरीवाल ने कहा, 'जो दलित छात्र विदेश में पढ़ना चाहते हैं उनका सारा खर्चा हमारी सरकारी उठाएगी. इसके लिए हम डॉ. अंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप (Dr. Ambedkar Samman Scholarship) शुरू करेंगे.' केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने डॉ. अंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप की शुरुआत अमित शाह के संविधान के निर्माता के बारे में दिए गए 'अपमानजनक' बयान के जवाब में की है.
योजना की घोषणा करते हुए एक रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि अगर 'आप' अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव जीतती है तो दिल्ली सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों में एडमिशन लेने वाले दलित छात्रों का पूरा खर्च सरकार उठाएगी.
स्कॉलरशिप एलान का चुनाव में कितना होगा फायदा?
केजरीवाल के इस एलान का दिल्ली विधानसभा चुनाव में फायदे के भी आसार हैं, क्योंकि दिल्ली की कुल 70 में से उन 12 सीटों पर जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. इसमें दलितों की आबादी 16.7 प्रतिशत है. ऐसे में केजरीवाल इन वोटों को पूरी तरह से अपने पाले में लाने के लिए आंबेडकर स्कॉलरशिप वाला मास्टरस्ट्रोक खेला है. सुल्तानपुरी में 44%, करोल बाग में 41% और गोकलपुर, सीमापुरी, मंगोलपुरी, त्रिलोकपुरी और आंबेडकर नगर जैसे निर्वाचन क्षेत्र में 30% दलित रहते हैं. ऐसे में तस्वीर साफ है कि 'आप' की पैनी नजर इन वोटों पर है.
आंबेडकर को बीच में छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई
उन्होंने आगे कहा कि आंबेडकर को लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (LSE) में अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी क्योंकि उनके पास पैसे की कमी थी. उन्होंने कहा, 'वे घर लौट आए और पैसे का इंतजाम किया, जिसके बाद वे LSE वापस चले गए और अपनी पढ़ाई पूरी की.'
क्या है आंबेडकर विवाद?
अमित शाह ने 17 दिसंबर को राज्यसभा में संविधान पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के लिए आंबेडकर का नाम लेना एक 'फैशन' बन गया है. उन्होंने कहा था, 'आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर... इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.' शीतकालीन सत्र से उनके भाषण के क्लिप ने देश में सियासी बवाल खड़ा कर दिया था. विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की.