JNU के बाद अब जामिया मिलिया इस्लामिया का बड़ा एक्‍शन, तुर्की सरकार से संबद्ध संस्थानों से तोड़ा करार

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के बाद अब जामिया मिलिया इस्लामिया ने भी तुर्की सरकार से जुड़े सभी संस्थानों के साथ अपने संबंध तोड़ने का बड़ा फैसला लिया है.;

By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 15 May 2025 5:40 PM IST

जामिया मिलिया इस्लामिया ने तुर्की के संस्थानों के साथ अपने अकादमिक संबंधों को समाप्त करने वाला ताजा भारतीय विश्वविद्यालय बन गया है. यह कदम तुर्की की वैश्विक नीति को लेकर भारत में बढ़ती असहमति और देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच आया है, जिनमें तुर्की को भारत के प्रति अनुकूल नहीं माना जा रहा है.

जामिया द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि 'जामिया मिलिया इस्लामिया और तुर्की गणराज्य सरकार से संबंधित किसी भी संस्था के बीच हुआ समझौता ज्ञापन (MoU) तत्काल प्रभाव से निलंबित रहेगा, जब तक कि इसके संबंध में कोई नया आदेश नहीं आता. साथ ही विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वह "राष्ट्र के साथ मजबूती से खड़ा है.

यह निर्णय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के तुर्की के संस्थानों के साथ अपने समझौतों को खत्म करने के बाद आया है, जबकि कानपुर विश्वविद्यालय ने भी इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ अपने MoU को निलंबित कर दिया है. यह साफ संकेत है कि भारतीय विश्वविद्यालय अब उन अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं, जिन्हें भारत के हितों के खिलाफ माना जा रहा है.

कानपुर विश्वविद्यालय का कड़ा रुख

कानपुर विश्वविद्यालय ने साफ कहा, 'यह कदम तुर्की के उस कूटनीतिक रुख का सीधा परिणाम है, जिसने एक ऐसे देश के साथ गठजोड़ किया है जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है. विश्वविद्यालय ने यह भी बताया कि किसी भी अकादमिक सहयोग को जारी रखना राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के खिलाफ होगा. उनका संदेश सरल है- अकादमिक साझेदारी स्वागत योग्य है, लेकिन राष्ट्रीय हितों की कीमत पर नहीं.

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