Operation Talaash: किसी का बेटा तो किसी बहन... पुलिस ने महीने भर में 4 हजार से अधिक लोगों को पहुंचाया घर
छत्तीसगढ़ में गुमशुदा लोगों को घर वापस लौटाने के लिए पुलिस ने ऑपरेशन तलाश शुरू किया, जिसके तहत हजारों लोगों को फिर से अपनों का साथ मिला. इस अभियान ने साबित कर दिया कि जब प्रशासन और पुलिस दिल से कोशिश करें, तो बिछड़े हुए रिश्ते फिर जुड़ सकते हैं. पुलिस की ये कोशिश न सिर्फ कानून की ड्यूटी थी, बल्कि एक संवेदनशील समाज की ज़िम्मेदारी भी है.;
किसी अपने का अचानक गुम हो जाना सिर्फ एक इंसान का नहीं, पूरे परिवार की ज़िंदगी का ठहर जाना होता है. ऐसे ही हज़ारों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बना ऑपरेशन तलाश, जिसे छत्तीसगढ़ पुलिस ने राज्य शासन के निर्देश पर पूरे प्रदेश में चलाया, जिसके तहत चार हजार से ज्यादा लोगों को अपने घर पहुंचाया गया.
हर गुमशुदा जब अपने घर लौटा, तो सिर्फ एक इंसान नहीं, पूरी उम्मीद लौटी. किसी मां ने अपने खोए बेटे को गले लगाया, किसी बहन को उसकी बड़ी बहन वापस मिली, तो किसी पिता की आंखों में बेटे को पाकर आंसू छलक गए. यह सिर्फ ऑपरेशन नहीं था, यह इंसानियत की सबसे बड़ी सेवा थी.
बिलासपुर पुलिस बनी मिसाल
इस अभियान में सबसे ज़्यादा शानदार काम बिलासपुर पुलिस ने किया. एसएसपी रजनेश सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने 1,056 गुमशुदा लोगों को ढूंढकर उन्हें उनके परिवारों तक सुरक्षित पहुंचाया. यह पूरे प्रदेश में सबसे ज़्यादा है और वाकई एक मिसाल बन गया.
पूरे देश में की गई तलाश
पुलिस टीमों ने सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, झारखंड, दिल्ली, तमिलनाडु, बिहार, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी और असम तक जाकर 4,472 गुमशुदा लोगों को खोज निकाला. इनमे 3,207 महिलाएं और 1,265 पुरुष शामिल हैं.
एक-एक गुमशुदा की खोज में लगे रहे अफसर
एसएसपी रजनेश सिंह ने डीजीपी के निर्देश पर जिले के सभी थाना प्रभारियों और वरिष्ठ अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए थे कि वे गुमशुदा लोगों को तलाशना अपनी प्राथमिकता बनाएं. इसके बाद हर थाने की टीम ने मेहनत से अलग-अलग राज्यों में जाकर लोगों को खोजा, थानों तक लाया और फिर परिवार वालों को सौंपा. यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था, यह उन परिवारों की मुस्कान लौटाने का ज़रिया था, जो महीनों से अपने अपनों को ढूंढ रहे थे.