केरल नन की गिरफ्तारी का नया पेंच, गवाह का दावा- दबाव में दिया बयान, पुलिस ने भी दिया साथ
दुर्ग से दो केरल की नन को पुलिस ने गिरफ्तार किया. उन पर आरोप है कि उन्होंने जबरन धर्मांतरण करवाया और लड़कियों की तस्करी की कोशिश की जा रही थी, लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आया है. जहां एक महिला ने बताया कि उसने दबाव में बयान दिया था, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है.;
छत्तीसगढ़ में हाल ही में दो ननों की गिरफ़्तारी को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है. ये मामला दुर्ग रेलवे स्टेशन का है, जहां पिछले शुक्रवार को केरल की दो नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस और सुखमन मंडावी नाम के एक शख्स को पुलिस ने पकड़ा था. इन पर आरोप है कि इन्होंने नारायणपुर की तीन महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया और उन्हें बाहर ले जाकर तस्करी की कोशिश की.
ये शिकायत एक बजरंग दल के सदस्य ने की थी, जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया. लेकिन इस पूरे मामले में एक बड़ा मोड़ तब आया, जब इन तीनों में से एक महिला ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उसे जबरन बयान देने के लिए मजबूर किया गया था. उसका कहना है कि जो बातें उससे कहलवाई गईं, वे सच नहीं थीं. अब इस बयान के बाद पूरे मामले पर नए सवाल उठ रहे हैं.
नौकरी का दिया गया था ऑफर
महिला ने बताया कि वह छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले में अपने माता-पिता और चार बहनों के साथ रहती है. हर दिन खेतों में काम करके सिर्फ़ 250 रुपये कमाती थी. उसने सिर्फ 10वीं तक पढ़ाई की थी, लेकिन वो अपनी ज़िंदगी में कुछ अच्छा करना चाहती थी. इसी बीच, सुखमन मंडावी नाम के एक आदमी, जो उसी के चर्च में जाता था, ने उसे एक नौकरी का ऑफर दिया. उसने बताया कि आगरा के एक अस्पताल में रसोइया और मरीज़ों की देखभाल का काम है. तनख्वाह 10,000 रुपये हर महीने मिलेगी और रहने-खाने की सुविधा भी फ्री रहेगी. लड़की इस मौके से बहुत खुश हुई और तुरंत हां कह दी. उसके माता-पिता ने भी उसे इसकी इजाज़त दे दी. तय हुआ कि वो मंडावी और दो और महिलाओं के साथ मिलकर दुर्ग रेलवे स्टेशन से सफर शुरू करेगी.
पहली बार मिली ननों से
30 जुलाई की सुबह करीब 6 बजे वे दुर्ग स्टेशन पहुंचे. दो अन्य महिलाएं भी उनके साथ थीं. नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस कुछ घंटे बाद करीब 9 बजे वहां पहुंचीं. लड़की ने बताया कि वह इन ननों से पहली बार मिल रही थी. सबकुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन तभी माहौल बदल गया.
बजरंग दल के कार्यकर्ता और पुलिस का आना
कुछ ही देर में बजरंग दल का एक कार्यकर्ता और जीआरपी (रेलवे पुलिस) स्टेशन पर पहुंचे. उन्होंने उन सब से सवाल-जवाब शुरू कर दिए. फिर उन्हें थाने ले जाया गया. लड़की बताती है कि वहां ज्योति शर्मा नाम की एक महिला ने उसके साथ मारपीट की और उसे धमकाते हुए कहा कि अगर वह बयान नहीं देगी, तो उसके पूरे परिवार को जेल में डाल दिया जाएगा. इतना ही नहीं, ज्योति ने लड़की के चेहरे पर दो बार मारा था. पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में लड़की ने कहा कि वह अपनी मर्ज़ी से आई है और उसके माता-पिता को भी इसकी जानकारी है, लेकिन पुलिस ने उसकी बात दर्ज नहीं की. एफआईआर बजरंग दल के बताए बयान पर लिखी गई.
नन और मंडावी पर लगे आरोप
पुलिस ने छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता कानून और मानव तस्करी से जुड़े कानूनों के तहत मामला दर्ज किया. आरोप लगाया गया कि नन और मंडावी तीन आदिवासी लड़कियों का जबरन धर्म बदलवा रहे थे और उन्हें बाहर तस्करी के लिए ले जा रहे थे. लेकिन जिस लड़की को लेकर ये आरोप लगे, उसने इन बातों को साफ तौर पर गलत बताया. उसने कहा कि नन और मंडावी बिल्कुल बेगुनाह हैं. मीडिया से बात करते हुए उसने कहा कि उन्हें छोड़ दें , उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.
पुलिस और संगठन क्या कह रहे हैं?
जब बजरंग दल के राज्य समन्वयक ऋषि मिश्रा से पूछा गया कि ये मामला कैसे शुरू हुआ, तो उन्होंने बताया कि एक रिक्शा चलाने वाले को शक हुआ कि कुछ गलत हो रहा है. उसी ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने ये भी कहा कि ज्योति शर्मा बजरंग दल की सदस्य नहीं हैं, बल्कि दुर्गा वाहिनी मातृशक्ति नाम की एक दूसरी संस्था से जुड़ी हैं. इस मामले पर पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी, डीजीपी अरुण कुमार गौतम ने सिर्फ इतना कहा कि 'मामला अब अदालत में है, हम इस पर कुछ नहीं बोल सकते हैं.'