जंगलों में छिपा अनदेखा चमत्कार! 330 मीटर गहराई और अंधेरे में पलती हैं मछलियां; रहस्यों से भरी है कोटमसर गुफा
कोटमसर गुफा, छत्तीसगढ़ की अद्भुत प्राकृतिक गुफा, मानसून के कारण चार महीने के लिए बंद कर दी गई है. बारिश और सुरक्षा कारणों से हर साल ऐसा किया जाता है. यह गुफा न केवल पर्यटकों बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. नवंबर में राज्य स्थापना दिवस पर फिर खुलेगी, जब पर्यटक इसके रहस्य और सौंदर्य को दोबारा महसूस कर पाएंगे.;
प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर छत्तीसगढ़ की कोटमसर गुफा को हर साल की तरह इस बार भी बारिश के मौसम में पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है. वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि भारी बारिश के चलते गुफा में जलभराव और फिसलन जैसी स्थितियां बन जाती हैं, जो पर्यटकों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकती हैं. इस कारण यह गुफा अब चार महीने तक बंद रहेगी और नवंबर में छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर फिर से खोली जाएगी.
कोटमसर गुफा कांगेर वैली नेशनल पार्क के भीतर स्थित है और यह चूना पत्थर से बनी एक प्राकृतिक गुफा है. इसकी गहराइयों में बनीं स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स (stalactites & stalagmites) की आकृतियां इसे और अधिक रहस्यमयी बनाती हैं. करीब 330 मीटर लंबी इस गुफा का केवल एक हिस्सा ही पर्यटकों के लिए खोला जाता है क्योंकि इसके अंदरूनी हिस्से में अत्यधिक अंधेरा और नमी के कारण खतरा बना रहता है.
पर्यटकों का रुझान और नया रिकॉर्ड
इस साल मार्च से लेकर मानसून शुरू होने तक, गुफा में पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ी. वन विभाग के अनुसार अब तक पांच लाख से अधिक पर्यटक इस गुफा को देखने पहुंचे, जिनमें 150 विदेशी पर्यटक भी शामिल थे. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कोटमसर गुफा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आकर्षण का केंद्र बन चुकी है. बस्तर क्षेत्र, जो कभी सिर्फ जंगलों और आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता था, अब प्राकृतिक पर्यटन का नया केंद्र बनता जा रहा है.
जैव विविधता का खजाना
कोटमसर गुफा सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं है, यह एक वैज्ञानिक धरोहर भी है. यहां अंधेरे और नमी वाले वातावरण में जीवित रहने वाले खास जीव पाए जाते हैं. इनमें अंधी मछलियां, चमगादड़ और दुर्लभ कीट शामिल हैं. गुफा के अंदर का तापमान पूरे साल लगभग एक समान (ठंडा और नम) रहता है, जिससे यह जीवों के लिए एक सुरक्षित आवास बनती है. यह स्थल कई जीवविज्ञानियों और भूगर्भशास्त्रियों के लिए अध्ययन का विषय है.
प्राकृतिक प्रकाश और खूबसूरत अनुभव
वन विभाग ने गुफा के भीतरी हिस्सों को कृत्रिम प्रकाश से सजाया है, जिससे प्राकृतिक चूना पत्थर की संरचनाएं और भी अधिक सुंदर लगती हैं. ये रोशनी इस प्रकार लगाई गई है कि न केवल देखने में शानदार लगे, बल्कि गुफा का रहस्यमय वातावरण भी बना रहे. जो पर्यटक पहली बार इस गुफा में आते हैं, वे अक्सर इसकी तुलना किसी जादुई दुनिया से करते हैं.
नवंबर में फिर से खुलेगा प्रवेश द्वार
बारिश के इन चार महीनों के दौरान जब गुफा बंद रहती है, तब वन विभाग इसकी सफाई, मरम्मत और अंदरूनी हिस्सों की सुरक्षा पर काम करता है. यह सुनिश्चित किया जाता है कि जब गुफा फिर से खुले, तो पर्यटकों को न केवल सुरक्षा मिले बल्कि एक बेहतर अनुभव भी दिया जा सके. नवंबर में राज्य स्थापना दिवस पर जब गुफा दोबारा खुलेगी, तो एक बार फिर से रोमांच और रहस्य के प्रेमी वहां लौटेंगे.