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पुलिस अंकल मुझे बचा लीजिए... गोद ली 9 साल की बच्ची से दरिंदगी, जबरन कराते थे देह व्यापार; आपबीती सुनकर उड़े होश

बालिका को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया, जहां से उसे बाल गृह भेजा गया. उसकी काउंसलिंग की व्यवस्था की गई ताकि वह इस सदमे से उबर सके. गीता उसे दो साल पहले 60,000 रुपये में खरीदकर लाई थी. यह खुलासा सुनकर पुलिस भी सन्न रह गई.

पुलिस अंकल मुझे बचा लीजिए... गोद ली 9 साल की बच्ची से दरिंदगी, जबरन कराते थे देह व्यापार; आपबीती सुनकर उड़े होश
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( Image Source:  freepik )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 25 Jun 2025 8:00 AM

आगरा के सदर क्षेत्र की संकरी गलियों में, जहां रोज़मर्रा की ज़िंदगी की भागदौड़ चल रही थी, एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने न केवल वहां के लोगों, बल्कि पुलिस और समाजसेवियों के दिलों को भी झकझोर कर रख दिया. यह कहानी है एक नौ साल की मासूम बालिका की, जिसके नन्हे कंधों पर अकल्पनीय दर्द और क्रूरता का बोझ लाद दिया गया था. उसकी आंखों में डर, शरीर पर चोटों के निशान और आत्मा में गहरे घाव लिए वह भागी थी छत से कूदकर, अपनी जान जोखिम में डालकर, केवल इस उम्मीद में कि कोई उसे इस नरक से बचा लेगा.

शनिवार की शाम थी, ग्वालियर मार्ग पर भारतीय किसान यूनियन स्वराज के जिलाध्यक्ष अजय सिंह किसी काम से जा रहे थे. सूरज ढल चुका था, और सड़क पर हल्का अंधेरा छाने लगा था. तभी उनके सामने एक छोटी सी बच्ची दौड़ती हुई आई. उसका चेहरा आंसुओं से भीगा था, कपड़े फटे हुए थे, और शरीर पर जगह-जगह चोटों के निशान साफ दिख रहे थे. सिर और हाथों से खून रिस रहा था. वह अजय के पैरों में गिर पड़ी, हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगी, 'प्लीज मुझे बचा लो... वो मुझे मारते हैं... गलत काम कराते हैं.' अजय स्तब्ध रह गए उनके सामने खड़ी थी एक ऐसी बच्ची, जिसकी मासूमियत को कुचल दिया गया था. वह उसे शांत करने की कोशिश करने लगे, पानी पिलाया, और धीरे-धीरे उससे बात की. बच्ची ने जो बताया, उसे सुनकर अजय की रूह कांप गई.

सिगरेट से दागा जाता है

बालिका ने बताया कि वह गीता नाम की एक महिला के चंगुल में फंसी थी, जो उसे देह व्यापार के लिए मजबूर करती थी. गीता का बेटा अमित और अन्य लोग—मोहित, दिलीप कुमार, और शोहिल उसके साथ मारपीट करते थे. अगर वह विरोध करती, तो उसे सिगरेट से दागा जाता, पीटा जाता, और उसका मुंह बांध दिया जाता ताकि उसकी चीखें बाहर न जाएं. उसे घर में कैद रखा जाता था, न बाहर निकलने की इजाज़त थी, न ही किसी से बात करने की. घर का सारा काम भी उसी से करवाया जाता. आखिरकार, उसने हिम्मत जुटाई और छत से कूदकर भाग निकली, इस उम्मीद में कि कोई उसे बचा लेगा.

60,000 रुपये में खरीदी गई थी नाबालिग

अजय ने तुरंत बालिका को लेकर सदर थाने पहुंचे, जहां से मामला चौकी बुंदू कटरा भेजा गया. पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू की. डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि बालिका से पूछताछ में दिल दहला देने वाले तथ्य सामने आए.मेडिकल जांच में उसके शरीर पर चोटों और दुष्कर्म की पुष्टि हुई. बालिका ने बताया कि गीता और उसके बेटे अमित ने उसके साथ सबसे पहले दुष्कर्म किया था. गीता उसे दो साल पहले 60,000 रुपये में खरीदकर लाई थी. यह खुलासा सुनकर पुलिस भी सन्न रह गई. यह मामला केवल एक बच्ची की पीड़ा तक सीमित नहीं था; यह एक बड़े मानव तस्करी गिरोह की ओर इशारा कर रहा था.

पैसे के लालच में घिनौना काम

पुलिस ने तुरंत गीता को हिरासत में लिया पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसने बालिका को शालू और कुनाल नाम के लोगों से खरीदा था, जो उसे जयपुर के एक व्यक्ति, महेंद्र, से लाए थे. गीता की कहानी और भी भयावह थी उसने तीन शादियां की थीं और वर्तमान में अपने तीसरे पति मानिक चंद के साथ रहती थी. उसके तीन बच्चे थे, जिनमें से एक बेटी की शादी हो चुकी थी. पुलिस ने गीता की बेटी से भी पूछताछ की, जिसने बताया कि उसकी मां रुपये के लालच में ऐसा घिनौना काम कर सकती थी.

बाल गृह भेजी गई पीड़िता

बालिका को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया, जहां से उसे बाल गृह भेजा गया. उसकी काउंसलिंग की व्यवस्था की गई ताकि वह इस सदमे से उबर सके. डीसीपी सोनम कुमार ने कहा, 'इस बच्ची के साथ ऐसा करने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलाई जाएगी. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे न्याय मिले.' पुलिस ने गीता, अमित, मोहित, दिलीप कुमार, और शोहिल के खिलाफ देह व्यापार निवारण अधिनियम और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया. गीता का नाबालिग बेटा, जो मारपीट में शामिल था, भी जांच के दायरे में है.

परिवार से संपर्क करने की कोशिश

पुलिस की पड़ताल में यह भी सामने आया कि बालिका को दो साल पहले, जब वह केवल सात साल की थी, राजस्थान से खरीदकर आगरा लाया गया था. उसके माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. बालिका ने केवल इतना बताया कि उसके घर में एक बड़ा सा गेट था, लेकिन वह अपने माता-पिता या घर का पता नहीं बता पा रही थी. पुलिस अब उसकी मदद से उसके परिवार का पता लगाने की कोशिश कर रही है.

इन आरोपियों की हो रही तलाश

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी सदर के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई है. यह टीम शालू, कुनाल, और महेंद्र की तलाश में जुट गई है. पुलिस को शक है कि यह एक बड़े मानव तस्करी गिरोह का हिस्सा हो सकता है. महेंद्र कौन है? वह कहां रहता है? क्या उसने इस तरह का कोई संगठित गिरोह बना रखा है? इन सवालों के जवाब उसकी गिरफ्तारी के बाद ही मिल पाएंगे.

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