छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: सिंडिकेट के 'बिग बॉस' थे चैतन्य बघेल, व्हाट्सएप ग्रुप से चलती थी करोड़ों की वसूली; 3800 पन्नों चार्जशीट में क्‍या

छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला मामला राज्य की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है. यह कथित घोटाला 2019 से 2022 के बीच कांग्रेस सरकार के समय हुआ बताया जाता है, जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे. जांच एजेंसियों के अनुसार, इसमें अवैध शराब बिक्री, कमीशन वसूली और नीतिगत हेरफेर से राज्य को 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. कुछ रिपोर्ट्स में यह रकम 3500 करोड़ तक बताई जा रही है.;

( Image Source:  Instagram: chaitanyabaghel18 )
Edited By :  रूपाली राय
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छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला मामला काफी चर्चा में है. यह कथित घोटाला 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बताया जा रहा है. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल पर गंभीर आरोप लगे हैं। राज्य की एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने 22 दिसंबर 2025 को रायपुर की विशेष अदालत में एक नई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की.

यह चार्जशीट करीब 3800 पन्नों की बहुत मोटी फाइल है. इसमें कुल आठ चार्जशीट हो चुकी हैं. इस चार्जशीट में दावा किया गया है कि चैतन्य बघेल इस पूरे अवैध सिंडिकेट के मुख्य व्यक्ति थे. उन्हें घोटाले से अपनी हिस्सेदारी के रूप में 200 से 250 करोड़ रुपये मिले. जांच एजेंसियों का कहना है कि चैतन्य ने ही इस वसूली के नेटवर्क को बनाया, चलाया और संरक्षण दिया. 

'बिग बॉस' ग्रुप से चलता था पूरा खेल

जांच के अनुसार, 2018 से 2023 तक कांग्रेस की सरकार में आबकारी विभाग में एक बड़ा वसूली रैकेट चल रहा था. चैतन्य बघेल इस रैकेट में ऊपर के अधिकारियों और नीचे के लोगों के बीच तालमेल बैठाने का काम करते थे. उनके इशारे पर ही अवैध पैसे इकट्ठे होते थे और उनका बंटवारा होता था. चार्जशीट में एक गुप्त व्हाट्सएप ग्रुप का नाम आया है 'बिग बॉस'. इसी ग्रुप के जरिए पूरा सिंडिकेट चलता था. यहां से निर्देश दिए जाते थे कि कितनी वसूली करनी है और पैसे कैसे बांटने हैं. जांच एजेंसियां कहती हैं कि चैतन्य इस ग्रुप में सबसे ऊपर थे और सब कुछ उनके नियंत्रण में था. 

घोटाले का पैसा कैसे छिपाया गया?

एजेंसियों का आरोप है कि चैतन्य ने घोटाले से आए करोड़ों रुपये को छिपाने के लिए अपने भरोसेमंद लोगों और बैंक खातों का इस्तेमाल किया.  शराब कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लों की कंपनियों से पैसे चैतन्य की परिवार वाली कंपनियों तक पहुंचाए गए. यह काला धन रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में लगाया गया, जैसे 'विट्ठल ग्रीन' और 'बघेल डेवलपर्स' जैसे प्रोजेक्ट्स. इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहले ही चैतन्य की 61.20 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है. इसमें 364 आवासीय प्लॉट और कृषि जमीन शामिल हैं. ED का कहना है कि चैतन्य ने घोटाले से आए 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के पैसे को संभाला था. 

क्या हुआ अब तक?

ED ने चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया था. फिर सितंबर में ACB/EOW ने भी उन्हें अपनी हिरासत में लिया. अब तक इस मामले में कई लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जैसे अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया वगैरह. जांच एजेंसियां इसे राज्य के खजाने को 3000 से 3500 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने वाला बड़ा सुनियोजित घोटाला बता रही हैं. 

राजनीतिक प्रतिक्रिया

दूसरी तरफ, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसे पूरी तरह राजनीतिक साजिश कहते हैं. उनका मानना है कि विपक्षी नेताओं को फंसाने के लिए जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. वे कहते हैं कि इन आरोपों में कोई सचाई नहीं है और यह सब बदले की भावना से किया जा रहा है. यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है और जांच जारी है. दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन अंतिम फैसला अदालत करेगी. यह छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है. 

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