'पति को बेरोजगार कहना और ताने मारना मानसिक क्रूरता...' छत्तीसगढ़ HC ने कपल की तलाक की याचिका को दी मंजूरी

Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पति को बेरोजगार कहना और ताने मारना एक तरह की मानसिक क्रूरता है. याचिका में पीड़ित ने बताया कि उसकी पत्नी रोज उसे नौकरी के लिए ताना मारती है.;

( Image Source:  meta ai )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 25 Aug 2025 7:30 AM IST

Chhattisgarh High Court: पुरुषों के कंधों पर घर चलाने से लेकर बीवी बच्चों तक की जिम्मेदारी होती है. एक बार किसी कारण से नौकरी छूट जाए तो पत्नी ताने मारने लगती है. अब ऐसे ही एक मामले पर छत्तीसगढ़ कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि पति को बेरोजगार कहना और ताने मारना एक तरह की मानसिक क्रूरता है.

कोर्ट ने एक 52 साल के वकील का तलाक मंजूर कर लिया. कोविड में आर्थिक तंगी में पति की बेरोजगारी पर उसकी पत्‍नी ताने मारती थी. वह अपमानजनक व्यवहार और कोर्ट की कार्यवाही से दूरी बनाए रखती थी. कोर्ट ने कहा, यह सब मानसिक क्रूरता और त्याग के अंतर्गत आता है.

क्या है मामला?

कपल की 26 दिसंबर 1996 को भिलाई में शादी हुई थी. दोनों की 19 साल की बेटी और 16 साल का बेटा है. पति ने अपनी पत्नी की Ph.D. पूरी करने और उन्हें स्कूल में प्रिंसिपल की पोस्ट दिलाने में मदद की. लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान जब नौकरी पर संकट आया तो पीड़ित को पत्नी ने बेरोजगार कहकर ताना दिया गया और अनावश्यक मांगे की गईं.

अगस्त 2020 में विवाद के बाद पत्नी अपनी बेटी के साथ घर छोड़कर चली गईं. पति और बेटे ने उन्हें वापस लाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मानी. तब से यह दंपति अलग रह रहा है और अदालत ने इसे अपरिवर्तनीय टूट मानते हुए तलाक की मंजूरी दे दी.

निचली कोर्ट का आदेश रद्द

मामले पर सुनवाई करते हुए, हाई कोर्ट के जस्टिस राजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने अक्टूबर 2023 में फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया. जिसमें पति की याचिका खारिज कर दी गई थी. पति ने कहा था कि उसने अपनी पत्नी के करियर बनाने में बहुत मदद की लेकिन सफलता मिलते ही वह बदल गई.

छोटी-छोटी बात पर झगड़ा करती और ताने मारने लगती. यह सब रोज की कहानी हो गई, फिर एक दिन वह घर छोड़कर मायके चली गई. कोर्ट ने पाया कि पत्नी ने बिना किसी कारण बताए अपने पति व बेटे को छोड़ा, आर्थिक कठिनाइयों के दौरान ताना-तनी की और सुनवाई में शामिल नहीं हुई. इसलिए ये सभी क्रूरता और त्याग के कानूनी मानदंडों के तहत आते हैं.

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