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छत्तीसगढ़ में हर दूसरी महिला एनीमिया की शिकार, जानें कैसे फैल रही ये बीमारी

छत्तीसगढ़ में महिलाएं एनीमिया बीमारी की चपेट में आ रही हैं. करीब 61 प्रतिशत महिलाएं और 27% पुरुष इस बीमारी का शिकार हैं. शरीर में खून की कमी के चलते यह बीमारी होती है. साथ ही, सही पोषण न मिलने के कारण एनीमिया होता है.

छत्तीसगढ़ में हर दूसरी महिला एनीमिया की शिकार, जानें कैसे फैल रही ये बीमारी
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( Image Source:  AI Perplexity )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 23 Aug 2025 1:00 PM IST

छत्तीसगढ़ में एनीमिया एक गंभीर और तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य चुनौती बनकर सामने आया है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की हालिया रिपोर्ट ने राज्य की चिंताजनक तस्वीर पेश की है, जिसके मुताबिक यहां बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और पुरुष खून की कमी यानी एनीमिया से पीड़ित हैं.

एक्सपर्ट इसे "साइलेंट हेल्थ इमरजेंसी" मानते हुए कह रहे हैं कि अगर समय रहते सुधार नहीं हुआ, तो इसके दूरगामी परिणाम मातृ और शिशु मृत्यु दर में भारी बढ़ोतरी के रूप में सामने आ सकते हैं.

क्यों छत्तीसगढ़ में बढ़ी रही बीमारी

एनीमिया यानी शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी अब छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुका है. राज्य में हर दूसरी महिला और लगभग हर तीसरा बच्चा इस स्थिति से जूझ रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी जितनी सामान्य लगती है, उतनी ही घातक हो सकती है, खासकर जब यह गर्भवती महिलाओं और बच्चों को अपनी चपेट में लेती है.

गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर सबसे गहरा असर

NFHS-5 के आंकड़ों के अनुसार राज्य की 51.8% गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं. इस कारण उन्हें गर्भावस्था के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें समय से पहले डिलीवरी, कम वजन वाले बच्चे का जन्म और यहां तक कि मातृ मृत्यु का भी खतरा रहता है. वहीं, छह माह से पांच साल तक की उम्र के 67.2% बच्चे खून की कमी से प्रभावित हैं. इससे उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि पर गंभीर असर पड़ता है.

एनीमिया के कारण और लापरवाही

एनीमिया के मूल में पोषण की भारी कमी है. लोहे और विटामिन युक्त आहार की अनुपलब्धता, मलेरिया के संक्रमण, पेट के कीड़े, अशुद्ध पानी और साफ-सफाई की कमी से यह स्थिति और बिगड़ती जाती है. इसके अलावा, काली चाय, कैफीन और फास्ट फूड की बढ़ती खपत भी शरीर में आयरन के अवशोषण को कम करती है.

सरकारी कोशिशें और जन जागरूकता की जरूरत

स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग मिलकर कई प्रयास कर रहे हैं. हीमोग्लोबिन कम होने पर आयरन की गोलियां दी जाती हैं, बच्चों को हर छह महीने में कृमिनाशक दवा और विटामिन-ए की डोज भी दी जा रही है. 2019-21 में विटामिन-ए कवरेज बढ़कर 71.2% हो गया था. साल 2023-24 में लाखों बच्चों को इसकी पहली और नौवीं खुराक दी गई. लेकिन सवाल यह है कि ये प्रयास जमीनी स्तर पर कितना प्रभावी हो पा रहे हैं? क्या लाभार्थी तक ये सुविधाएं समय पर पहुंच रही हैं?

एनीमिया के लक्षण और बचाव

अगर आपको बार-बार थकान और कमजोरी, नाखून व पलकों के अंदर सफेदी, चक्कर आना, सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज होना और त्वचा का पीला या सफेद दिखने लगे, तो तुरंत जांच कराना जरूरी है.

क्या करें बचाव के लिए?

आयरन, विटामिन ए, सी और फोलिक एसिड युक्त आहार लें. लोहे की कढ़ाई में खाना बनाएं ताकि भोजन में आयरन की मात्रा बढ़े. साफ पानी पिएं और साफ-सफाई अपनाएं. काली चाय और कॉफी का अधिक सेवन न करें, खासकर भोजन के साथ.

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