गुरु एक नंबरी, चेला 10 नंबरी, आतंक में बसवराज का बाप है 'हिडमा'! क्यों बोले- CRPF के Ex स्पेशल डीजी दीपक मिश्रा?
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगलों में 50 घंटे चली मुठभेड़ में खूंखार नक्सली नेता बसवराज ढेर कर दिया गया. उस पर 10 करोड़ रुपये तक का इनाम था. उसकी मौत से नक्सलवाद को बड़ा झटका लगा है, लेकिन हिडमा जैसे नक्सली अभी भी जिंदा हैं. CRPF के पूर्व DG दीपक मिश्रा ने स्टेट मिरर से बात करते हुए इसे नक्सलवाद के पतन की दिशा में अहम कदम बताया है.;
नक्सलवाद से जूझ रहे छ्त्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ स्थित कर्रेगुट्टा के जंगलों में, बीते बुधवार (21 मई 2025) को हुई 50 घंटे की खूनी मुठभेड़ में खूंखार नक्सल लीडर नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज उर्फ बसवराजू (70) ढेर कर दिया गया. वह बीते कई साल से अपने सिर पर करीब डेढ़ करोड़ की सरकारी इनामी राशि का बोझ लेकर जान बचाने के लिए एक जंगल से दूसरे जंगल में खानाबदोशों की तरह भटक रहा था.
हालांकि, अर्धसैनिक बलों और कुछ राज्य पुलिस मुख्यालयों की मानें तो ढेर किए जा चुके नक्सल नेता बसवराज के सिर पर कुल मिलाकर 10 करोड़ से ज्यादा का इनाम होगा. कुल इनाम मिलाकर कितनी राशि रही है. इसका हिसाब-किताब जोड़ा जाना शुरू कर दिया गया है. इसमें अभी वक्त लगेगा. क्या बसवराज के मारे जाने से देश में नक्सलवाद की समस्या खतम हो गई है?
नक्सलवाद खतम होने में बड़ा ‘रोड़ा’ बाकी
इस अहम सवाल के जवाब के लिए स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम इनवेस्टीगेशन) बात की 1984 बैच अग्मूटी कैडर के देश के पूर्व दबंग आईपीएस दीपक मिश्रा से. एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने कहा, “नहीं ऐसा नहीं है कि बसवराज के एनकाउंटर में खतम होने से देश से नक्सलवाद खतम हो गया. अभी इससे भी खतरनाक नक्सली कमांडर जिंदा है. जिसका नाम है हिडमा उर्फ हिडंबा (Naxal Leader Hidma alias Hidamba) जिंदा बचा है. हिडमा कहने को भले ही ढेर किए जा चुके बसवराज का स्टूडेंट हो. मगर वह गुरु बसवराज से भी खतरनाक है. अब जहां तक मैं समझता हूं बसवराज की मौत से 70 फीसदी नक्सवाद पर हमारे अर्धसैनिक बलों ने सफलता पा लिया है.
बसवराज की तरह हो हिडमा का हाल
वहीं अगर अब जल्दी ही हिडंबा उर्फ हिडमा भी या तो सरेंडर कर दे (जिसकी उम्मीद उससे करना बेईमानी है) या फिर उसका भी हाल उसके गुरु बसवराज उर्फ बसवराजू की तरह कर डाला जाए. तब समझिए कि नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलवाद की नाक और कमर टूटी है. बाकी तो जो जिंदा बचेंगे वह सब मोहरे होंगे. जो हिडमा के निपटने पर खुद ही अपनी जान बचाने के लिए हथियार डाल देंगे.”
नक्सलवाद मिटने के अरमान पूरे होने वाले हैं?
भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने वायदा किया है कि आगामी वर्ष यानी साल 2026 के अंत तक नक्सलवाद को काबू कर लेगें? क्या देश की हुकूमत के इस वायदे को बसवराजू की मौत बल देती है? पूछे जाने पर सीआरपीएफ के रिटायर्ड विशेष निदेशक और पूर्व आईपीएस दीपक मिश्रा बोले, “नहीं ऐसा नहीं है. मैं अपनी हुकूमत के किसी वायदे या काम पर सवालिया निशान नहीं लगा सकता हूं. हुकूमत हमेशा देश हित में बात करती है. हां, मैं इतना जरूर कहूंगा कि जिस तरह से बीते कुछ महीनों में हमारे अर्धसैनिक बल नक्सलियों की तबाही का सबब बनते जा रहे हैं, वह नक्सलवाद और नक्सलियों के ताबूत में जल्दी ही और कभी भी आने वाले वक्त में आखिरी सरकारी कील साबित हो सकता है. जोकि बेहद सकारात्मक संकेत हैं.”
कौन हैं CRPF के स्पेशल डीजी दीपक मिश्रा?
1984 बैच अग्मूटी कैडर के देश के पूर्व दबंग आईपीएस दीपक मिश्रा न केवल देश के मशहूर एनकाउंटर स्पेलिस्टों के जन्मदाता रहे हैं. अपितु वह कई साल तक विभिन्न पदों पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ (Ex IPS Retired Special DG CRPF Deepak Mishra) जैसे दुनिया के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल के विशेष निदेशक भी रह चुके हैं.