बिहार में क्यों नहीं बदली सम्राट-विजय की जोड़ी? नीतीश कुमार की रणनीति ने बदल दिया BJP का पूरा गेम
बिहार की नई सरकार गठन से ठीक पहले बीजेपी दो नए चेहरों को उपमुख्यमंत्री बनाने की तैयारी में थी, जिसमें एक महिला का नाम भी शामिल था. लेकिन अंतिम क्षणों में नीतीश कुमार की रणनीति ने पार्टी का पूरा समीकरण बिगाड़ दिया. नीतीश ने सम्राट चौधरी के नाम पर अपनी सहमति स्पष्ट करते ही बीजेपी को दुविधा में डाल दिया—अगर सिर्फ एक चेहरा बदलते, तो पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ सकता था. अंततः भाजपा ने जोखिम से बचते हुए दोनों पुराने उपमुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को ही दोहराने का फैसला लिया. अब आज यानी 20 नवंबर को नीतीश कुमार 10वीं बार CM पद की शपथ लेंगे.;
बिहार की नई सरकार के गठन से पहले ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी इस बार अपने दोनों उपमुख्यमंत्रियों को बदलकर नए चेहरे लाएगी, खासकर एक महिला को इस पद पर लाने की चर्चा तेज थी. लेकिन अंतिम क्षणों में पूरी तस्वीर बदल गई. बीजेपी की यह रणनीति भले ही तैयार थी, पर नीतीश कुमार की एक चाल ने पूरा खेल पलट दिया.
जैसे ही जेडीयू विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार ने सम्राट चौधरी के नाम पर अपनी सहमति कैंप के सामने रखी, बीजेपी के लिए नया संकट खड़ा हो गया. पार्टी इस दुविधा में फंस गई कि क्या अपनी योजना पर कायम रहे या नीतीश की पसंद को नज़रअंदाज़ कर आंतरिक असंतोष का जोखिम उठाए. इसी असमंजस ने भाजपा को पुराने दो चेहरों को ही दोहराने के लिए मजबूर कर दिया.
BJP की योजना धरी की धरी क्यों रह गई?
बीजेपी शुरू से चाहती थी कि नई सरकार में बदलाव स्पष्ट दिखे. दो नए उपमुख्यमंत्री एक पुरुष और एक महिला के साथ पार्टी नए सामाजिक समीकरण बनाना चाहती थी. लेकिन नीतीश कुमार की प्राथमिकता इससे बिल्कुल अलग थी. उन्होंने साफ संकेत दिया कि सम्राट चौधरी पर उनकी सहमति पहले से है और बदलाव अभी उचित नहीं होगा. इस स्थिति में भाजपा को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी.
भाजपा में असंतोष का डर
अगर बीजेपी सिर्फ एक उपमुख्यमंत्री बदलती, तो पार्टी के भीतर सवाल उठते क्यों सिर्फ एक को हटाया गया? क्यों दूसरे को बरकरार रखा गया? इससे गुटबाजी और नाराजगी बढ़ सकती थी. इसलिए आखिरी निर्णय यह लिया गया कि न तो एक को हटाया जाए और न किसी नए चेहरे को लाया जाए. परिणाम- दोनों उपमुख्यमंत्री पुनः तय.
सम्राट चौधरी–नीतीश की ‘वर्किंग बॉन्डिंग’ बड़ी वजह
नीतीश कुमार हमेशा गठबंधन में किसी एक भरोसेमंद चेहरे पर निर्भर रहते हैं. जैसे कभी सुशील मोदी उनके ‘फिक्स्ड कॉम्पेनियन’ थे, वैसे ही अब यह भूमिका सम्राट चौधरी निभा रहे हैं. 2017 में भी भाजपा सुशील मोदी को हटाना चाहती थी, लेकिन नीतीश के वीटो ने समीकरण ही बदल दिया था. इस बार भी सम्राट चौधरी के लिए नीतीश की पसंद निर्णायक साबित हुई.
नीतीश कुमार की 10वीं पारी तय
एनडीए विधायक दल की बैठक में सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया. इसके बाद औपचारिक रूप से नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता चुना गया. 20 नवंबर को नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. यह उनकी ऐतिहासिक 10वीं पारी होगी.
विधानसभा भंग और समर्थन पत्र सौंपा
नीतीश कुमार ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपते ही मौजूदा विधानसभा को भंग करने का अनुरोध भी किया. इसके साथ ही उन्होंने एनडीए विधायकों के समर्थन पत्र भी सौंप दिए, जिससे नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया. 22 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होना था, इसके पहले ही सब प्रक्रियाएं पूरी कर ली गईं.
शपथ ग्रहण में दिग्गज नेता होंगे शामिल
नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होगा. सुबह 11 से 12:30 के बीच आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री सहित एनडीए के कई शीर्ष नेता शामिल होंगे. नीतीश कुमार 11:30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.