दही चूड़ा पॉलिटिक्‍स क्यों करते हैं बिहार के नेता, इस बार क्यों खास है मकर संक्रांति का भोज?

यह साल विधानसभा चुनाव का साल है, इसलिए राजनीतिक दल पूरी ताकत से चुनावी तैयारी में जुटने वाले हैं. इस दौरान दही-चूड़ा भोज राजनीति में न केवल मेल-मिलाप का माध्यम बनेगा, बल्कि संभावित रणनीतियों की बुनियाद भी तैयार होगी. हालांकि सवाल यह है कि क्या इस बार दही-चूड़ा के साथ कोई बड़ी 'सियासी खिचड़ी' पकने वाली है?;

Curated By :  नवनीत कुमार
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ठंड के कारण बिहार की राजनीति फिलहाल थोड़ी धीमी पड़ गई है, लेकिन मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा के साथ यह फिर से तेज रफ्तार पकड़ने को तैयार है. दही-चूड़ा भोज बिहार की राजनीति में केवल त्योहार मनाने का जरिया नहीं, बल्कि राजनीतिक संवाद और गठजोड़ का एक अहम मंच बन गया है. यह साल विधानसभा चुनाव का साल है, इसलिए राजनीतिक दल पूरी ताकत से चुनावी तैयारी में जुटने वाले हैं. इस दौरान दही-चूड़ा भोज राजनीति में न केवल मेल-मिलाप का माध्यम बनेगा, बल्कि संभावित रणनीतियों की बुनियाद भी तैयार होगी. हालांकि सवाल यह है कि क्या इस बार दही-चूड़ा के साथ कोई बड़ी 'सियासी खिचड़ी' पकने वाली है?

2025 का यह साल बिहार के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है. विधानसभा चुनाव इस साल का सबसे बड़ा राजनीतिक इम्तिहान होगा, जो अगले पांच वर्षों की राजनीति की दिशा तय करेगा. ऐसे में साल के पहले त्योहार मकर संक्रांति पर राजनीति में नए समीकरण बनने की उम्मीद की जा रही है.

एनडीए और महागठबंधन की क्या है तैयारी?

राज्य मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने एनडीए विधायकों और विधान पार्षदों में हलचल पैदा कर दी है. वहीं, दोनों गठबंधनों के संभावित उम्मीदवार दही-चूड़ा भोज में शिरकत कर अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मकर संक्रांति पर कौन से राजनीतिक समीकरण बनते हैं और कौन से पुराने रिश्ते नई दिशा में जाते हैं.

पशुपति पारस करेंगे भोज

15 जनवरी को पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के घर दही-चूड़ा भोज का आयोजन होने वाला है, जहां यह तय हो सकता है कि रालोजपा की गाड़ी इस चुनाव में किसके साथ चलेगी. इस भोज में एनडीए और महागठबंधन दोनों के बड़े नेताओं को आमंत्रित किया गया है. यह भोज रालोजपा के लिए अपने पुराने घाव भरने या नए राजनीतिक समीकरण बनाने का मौका हो सकता है. हालांकि इस भिज इ उन्होंने अपने भतीजे चिराग पासवान को न्योता नहीं दिया है.

राजद का दही-चूड़ा भोज

राजद की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर भी दही-चूड़ा भोज होगा. तेजस्वी यादव के हालिया बयानों ने राजद के इस भोज को लेकर सस्पेंस बढ़ा दिया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस भोज में एनडीए के नेता शामिल होते हैं या नहीं. लालू यादव के समय से ही उनके घर पर होने वाले भोज सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए राजनीतिक संदेश देने का माध्यम रहा है.

कांग्रेस और बीजेपी की क्या है तैयारी?

  • कांग्रेस 14 जनवरी को पटना के सदाकत आश्रम में दही-चूड़ा भोज का आयोजन करेगी
  • बीजेपी की तरफ से पार्टी कार्यालय में मकर संक्रांति भोज का कोई आधिकारिक आयोजन नहीं है
  • उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और अन्य नेता अपने-अपने क्षेत्रों में भोज देंगे
  • चिराग ने कहा- लोग एनडीए में टूट का सपना देख रहे हैं, यह पूरा नहीं होगा

2022 में नीतीश कुमार ने पलटी थी बाजी

2022 में नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ नई सरकार बनाई. इस दौरान भी मकर संक्रांति के मौके पर चूड़ा-दही का कार्यक्रम चर्चा में रहा, जब इसे राजनीतिक एकता और नए समीकरण के संकेत के रूप में देखा गया. 2005 के बाद जब बिहार में नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली, तब चूड़ा-दही के बहाने उन्होंने अपनी पार्टी और जनता के बीच संवाद कायम किया. यह राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण था क्योंकि यह बदलाव लालू प्रसाद यादव के लंबे शासन के बाद हुआ था.

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