महुआ सीट में क्या है खास जो हसनपुर सीट छोड़कर यहां से चुनाव लड़ने पर अड़े हैं तेज प्रताप यादव?
बिहार चुनाव से पहले ही तेज प्रताप यादव ने अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है. आरजेडी से निष्कासित होने के बावजूद उन्होंने महुआ सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. सोशल मीडिया पर 'टीम तेज प्रताप' बनाकर वह पार्टी पर दबाव बना रहे हैं. सवाल यह भी है कि अगर टिकट नहीं मिला तो क्या निर्दलीय लड़ेंगे तेज?;
आरजेडी से निष्कासन के बाद एक लंबे सन्नाटे में रहे तेज प्रताप यादव अब फिर राजनीतिक सक्रियता में लौट चुके हैं. उन्होंने ‘टीम तेज प्रताप’ नाम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक नया फ्रंट बनाया है और महुआ विधानसभा सीट से अपनी दावेदारी ठोक दी है. एक इंटरव्यू में उन्होंने साफ कहा, “अगर मुझे टिकट नहीं मिला तो पार्टी हार जाएगी.” यह बयान ऐसे समय आया है जब आरजेडी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों पर विचार कर रही है.
बिहार विधानसभा में जब आरजेडी समेत पूरा विपक्ष काले कपड़े पहनकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था, तेज प्रताप सफेद कुर्ता-पायजामा में अकेले विधानसभा परिसर पहुंचे. वह सदन के भीतर नहीं गए लेकिन परिसर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. यह प्रतीकात्मक उपस्थिति थी, जिसमें उनका संदेश साफ था- पार्टी में भले न हों, लेकिन राजनीति से बाहर नहीं हैं. यह उनकी वापसी का सशक्त संकेत भी है.
क्यों जरूरी है महुआ सीट तेज प्रताप के लिए?
महुआ वही सीट है जहां से तेज प्रताप यादव ने 2015 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. तब उन्होंने आरजेडी के टिकट पर जीत हासिल की थी. बाद में 2020 में उन्होंने ऐश्वर्या राय से तलाक विवाद के चलते हसनपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीते. लेकिन महुआ उनकी राजनीतिक पहचान का आधार रही है. वह दावा करते हैं कि मेडिकल कॉलेज का वादा उन्होंने पूरा कराया और अब इंजीनियरिंग कॉलेज की योजना पर काम चल रहा है.
तेजस्वी के करीब की सीट
महुआ सीट की भौगोलिक स्थिति भी तेज प्रताप के लिए रणनीतिक है. यह तेजस्वी यादव की राघोपुर सीट से सटी हुई है. लालू यादव और राबड़ी देवी भी इस क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे में तेज प्रताप यहां से लड़कर अपनी पारिवारिक विरासत का भी प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं. यादव-मुस्लिम समीकरण और पासवान-रविदास समुदाय की मजबूत मौजूदगी उन्हें उम्मीद देती है कि वह यहां मजबूत दावेदार हैं.
टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय लड़ने के संकेत?
तेज प्रताप ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि अगर आरजेडी उन्हें टिकट नहीं देती तो वह क्या करेंगे. लेकिन उनके बयानों से यह संकेत मिल रहा है कि वह निर्दलीय या किसी छोटे दल के सहयोग से भी चुनाव लड़ सकते हैं. वह लगातार 'पार्टी के भीतर के जयचंदों' पर निशाना साधते आ रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो महुआ सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष और आरजेडी के लिए खतरे की घंटी बज सकती है.
क्या पार्टी में लौटेंगे या करेंगे नई शुरुआत?
महुआ सीट पर तेज प्रताप की वापसी की घोषणा ने आरजेडी की अंदरूनी राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. पार्टी नेतृत्व अब दोराहे पर खड़ा है – तेज को मनाया जाए या उन्हें पूरी तरह अलग रास्ते पर छोड़ दिया जाए. लालू यादव के लिए यह फैसला भावनात्मक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर कठिन होगा. अब देखना होगा कि तेज प्रताप को महुआ सीट से टिकट मिलता है या वह खुद को पार्टी से ऊपर साबित करने की कोशिश करेंगे.