SSP Kartikeya K Sharma पटना के लिए जरूरी या नीतीश कुमार की चुनावी मजबूरी, क्यों हटाए गए Avkash Kumar?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है. इसी क्रम में 2014 बैच के आईपीएस कार्तिकेय शर्मा को पटना का नया एसएसपी नियुक्त किया गया है. यह पोस्टिंग राजनीतिक रणनीति, जातीय समीकरण और उनके पिछले अनुभवों के आधार पर मानी जा रही है. हालांकि, पुलिस सेवा से जुड़े पूर्व वरिष्ठ अधिकारी उन्हें शांत, सुलझा हुआ और टीमवर्क में विश्वास रखने वाला अफसर बताते हैं. चुनावी माहौल में पटना जैसी राजधानी में पुलिसिंग की जिम्मेदारी एक बड़ी चुनौती होगी.;
अक्टूबर-नवंबर 2025 में बिहार विधानसभा के चुनाव होना संभावित है. इससे पहले ही राज्य की ब्यूरोक्रेसी (Bihar IAS and Bihar IPS) खेमे में हलचल शुरू हो गयी है. यह शुरूआत का 'श्रीगणेश' हुआ है फिलहाल 18 पुलिस अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से. इन 18 में सबसे अहम अदला-बदली मानी जा रही है राजधानी पटना (SSP Patna) के पुलिस मुखिया यानी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाए गए IPS कार्तिकेय शर्मा की. कुछ लोग इसे नीतीश कुमार का चुनाव पूर्व का 'गुणा-गणित' मान रहे हैं. जबकि कुछ लोग इसे नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के हमजोली और सूबे की मौजूदा सत्ता में नंबर-2 माने जाने वाले, कद्दावार नेता लल्लन सिंह (Politician Lalan Singh) द्वारा फेंका गया ‘जातिवाद’ की राजनीति का कथित दांव कह रहे हैं!
आइए जानते हैं कि क्या इससे ऊपर उठकर भी 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी और, पटना के नव-नियुक्त एसएसपी की कोई ‘काबिलियत’ है? जिसके चलते नीतीश कुमार ने 2014 बैच बिहार कैडर के आईपीएस कार्तिकेय शर्मा (SSP Patna IPS Kartikey Sharma) के ऊपर विश्वास जताया है. इस बारे में बात करते हुए बिहार राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक अभयानंद बताते हैं, “इलेक्शन हो या न हो राज्य की सत्ता (नेता-मंत्री) ब्यूरोक्रेसी (आईएएस आईपीएस) को अपने हिसाब, अपने नफा-नुकसान की नजर से हांकती है.
इनकी पोस्टिंग में भी किसी का भला हो रहा होगा!
अभयानंद बताते हैं, पटना, राज्य की राजधानी होने के नाते सूबे में सबसे अहम कहिए या फिर ‘हॉट’ जिला भी है. यहां तो हर हाल में वही ब्यूरोक्रेट नौकरी कर सकता है जो, नेता-मंत्री-विधायक की नब्ज के साथ मिलकर अपना दिल धड़का पाने की काबिलियत-कुव्वत रखता हो. बाकी सब अन्य तमाम काबिलियतें बाद की बात है. जहां तक अभी पटना के एसएसपी बनाए गए जिन आईपीएस कार्तिकेय शर्मा के बारे में आप पूछ रहे हैं कि, इन्हें किस काबिलियत के चलते सूबे की सरकार ने इलेक्शन से दो तीन महीने पहले राज्य की राजधानी के जिला मुख्यालय (पटना) का पुलिस प्रमुख बनाया है? तो इसमें भी सबका अपना-अपना कुछ न कुछ तो भला हो ही रहा होगा.
मैं नहीं जानता पटना SSP कार्तिकेय कौन हैं?
बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक अभयानंद कहते हैं, “हालांकि मेरे साल 2014 दिसंबर महीने में रिटायर होने के दौरान, यह इनका (आईपीएस कार्तिकेय शर्मा) आईपीएस बैच रहा होगा. इसलिए मैं कार्तिकेय की पुलिसिया प्रशासनिक क्षमताओं से पूरी तरह अनिभिज्ञ हूं. न ही मैं इतने जूनियर इस नाम के किसी आईपीएस ही जानता हूं.”
इस बारे में बिहार के रिटायर्ड पुलिस महानिरीक्षक जितेंद्र मिश्र से स्टेट मिरर हिंदी ने बात की. जितेंद्र मिश्र ने पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद प्रशांत किशोर की पार्टी ज्वाइन कर ली. इसलिए उन्हें ब्यूरोक्रेसी और नेता दोनों की नब्ज की गति-धड़कन का पता है. बिहार पुलिस के रिटायर्ड आईजी जितेंद्र मिश्र बोले, “इलेक्शन से ठीक पहले या फिर अपनी मन-पसंद का IPS, आईएएस अफसर लगाने की परिपाटी सिर्फ बिहार में ही नहीं है. यह देश के बाकी तमाम राज्यों में भी फैली हुई है. जिस नेता-मंत्री को अपना ‘खास-अफसर’ पसंद आता है वह, अपनी पसंद के अफसर को अपने संग-संग लेकर घूमता-हांकता है.
व्यक्ति और IPS की नजर से कार्तिकेय काबिल हैं
जितेंद्र मिश्र आगे कहते हैं, “मैं पटना के नव-नियुक्त एसएसपी कार्तिकेय शर्मा के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा. सिवाए इसके कि वह अच्छे सुलझे हुए अफसर हैं. मैं उन्हें तब से जानता हूं जब वह पटना के नगर पुलिस अधीक्षक हुआ करते थे.” बिहार की राजनीति जात-पांत, अगड़ा-पिछड़ा, राजपूत-भूमिहार की धुरी पर टिकी रहती है. नव-नियुक्त एसएसपी पटना कार्तिकेय भी भूमिहार जाति के हैं. कहीं यह जाति का गुणा-गणित ही तो नहीं है इन्हें पटना का पुलिस चीफ बनवाने के पीछे? क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी विधानसभा इलेक्शन (Bihar Election 2025) को ध्यान में रखकर ही तो कहीं कार्तिकेय शर्मा को पटना का नया पुलिस चीफ नहीं बनाया?
पटना की पुलिस कप्तानी आसान नहीं है
पटना के पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अवकाश कुमार के स्थान पर, 2024 बैच के आईपीएस कार्तिकेय के शर्मा (IPS Kartikeya K Sharma SSP Patna) के सामने क्या-क्या चुनौतियां होंगी? पूछे जाने पर राज्य के रिटायर्ड पुलिस महानिरीक्षक और लंबे समय से प्रशांत किशोर की पार्टी के साथ जुड़े जितेंद्र मिश्र कहते है, “सिर्फ कार्तिकेय शर्मा ही क्यों? पटना सूबे की राजधानी है. राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक दृष्टिकोण से इसका अपना अलग ही महत्व है सूबे में. सबसे हॉट जिला कहूं तो भी गलत नहीं होगा. प्रदेश पुलिस सेवा का पूर्व आईजी पुलिस अफसर रहने के चलते कह सकता हूं कि, पटना में एसएसपी या एसपी की पोस्टिंग आसान नहीं होती है. अगर इसको मलाईदार या पावरफुल पोस्टिंग कहा-समझा जाता है. तो यहीं की पुलिस कप्तानी के सिर पर हमेशा कच्चे धागे में बंधी तलवार भी लटकती रहती है. कब जिला पुलिस कप्तान पर किस नेता-मंत्री या मुख्यमंत्री की गाज गिर जाए, पता नहीं होता है.”
पटना के नव-नियुक्त एसएसपी के सामने चुनौतियां
अपनी बात जारी रखते हुए पूर्व पुलिस महानिरीक्षक से अब पॉलिटिशियन बन चुके वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जितेंद्र मिश्र आगे कहते हैं, “पटना में एसएसपी चाहे कार्तिकेय शर्मा बनें या फिर अवकाश कुमार या मैं जितेंद्र मिश्र. नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता है. स्टेट कैपिटल शहर होने के चलते चुनौतियां हर आईपीएस एसएसपी के सामने समान होती हैं. यहां हर लम्हा यातायात-कानून व्यवस्था पर पैनी और सीधी नजर जिला पुलिस कप्तान को ही रखनी पड़ती है. अगर उसकी नजर हटते ही उसके किसी मातहत ने भी कोई गुस्ताखी कर दी, तो गाज जिला पुलिस कप्तान के सिर पर ही गिरेगी.
बात ट्रैफिक-कानून व्यवस्था इंतजाम की तो है ही. इसके अलावा राज्य की राजधानी होने के चलते यहां के पुलिस अफसरान के ऊपर राजनीतिक दबाव हमेशा बना रहता है. पूरे राज्य की ब्यूरोक्रेसी भी यहीं जमी है. कार्तिकेय शर्मा को यहां की कानून-ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. क्योंकि वह यहां पहले एसपी सिटी (पुलिस अधीक्षक नगर) रह चुके हैं. इसलिए शहर के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं. कार्तिकेय शर्मा के सामने पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में सबसे बड़ी चुनौती होगी आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान, पटना में शांति-कानून व्यवस्था बनाए रखने की. और शायद उन्हें दो चार महीने बाद होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही पटना का पुलिस कप्तान भी बनाया गया है.”
बिहार के ‘चाणक्य’ लल्लन सिंह तो कहीं...
सवाल के जवाब में बिहार पुलिस के पूर्व आईजी जितेंद्र मिश्र बोले, “मान लिया जाए कि कार्तिकेय शर्मा भूमिहार हैं भी. तो सूबे के चीफ मिनिस्टर नीतीश कुमार तो भूमिहार नहीं हैं. तो इस मामले में जाति का जुगाड़ तो लगा हुआ नहीं दिखाई देता है.” स्टेट मिरर हिंदी ने जब कहा कि चीफ मिनिस्टर नीतीश कुमार भले ही कार्तिकेय शर्मा (भूमिहार) की कास्ट के न हों लेकिन, नीतीश बाबू के खास-राइटहैंड और मौजूदा हुकूमत के 'चाणक्य' कहे जाने वाले लल्लन सिंह तो हैं भूमिहार? ऐसे में क्या गारंटी कि लल्लन सिंह के इशारे पर ही कार्तिकेय शर्मा को पटना का एसएसपी न लगाया गया हो? जबकि इनसे पहले तक पटना के वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक रहे आईपीएस अवकाश कुमार की पटना पोस्टिंग का टाइम अभी बाकी बचा था?
नेता-ब्यूरोक्रेट सब ‘मृगतृष्णा’ के मारे हैं
सवालों के जवाब में बिहार पुलिस से महानिरीक्षक के पद से रिटायर हो चुके और कई साल से प्रशांत किशोर की पार्टी में शामिल जितेंद्र मिश्र कहते हैं, “देखिए बिहार की राजनीति अगड़ा-पिछड़ा, जात-पांत की धुरी पर बीते कल में भी टंगी थी आज भी और आइंदा भी यही होगा. सिवाय जॉर्ज फर्नांडिस के राजनीतिक काल के. बिहार की जात-पांत, अगड़ा-पिछड़ा की राजनीति के किले में अगर किसी ने सेंध लगाई तो, वह बस एक इकलौते मंगलौर (कर्नाटक) में जन्मे जॉर्ज फर्नांडिस थे. कार्तिकेय शर्मा को नीतीश कुमार ने एसएसपी पटना बनाया या लल्लन सिंह ने बनवाया, इस पर मुझे कुछ नहीं कहना है. जिसे जो जहां अच्छा लगता है. वह नेता-मंत्री उस अफसर को अपनी च्वाइस के हिसाब से पोस्टिंग देता-दिलवाता है. अपने अपने निजी स्वार्थों की ‘मृगतृष्णा’ में भटक सब रहे हैं.
बिहार का ही नाम क्यों बदनाम करते हो
इसमें नया कुछ नहीं है. इससे बिहार ही क्यों? दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश गुजरात, तमिलनाडू, कर्नाटक, केरल, कौन सा ऐसा स्टेट है जो बाकी बचा रह गया हो. हां इतना जरूर है कि ‘पॉवरफुल-पोस्टिंग’ के फेर में फंसा ब्यूरोक्रेट जब दमदार नेता-मंत्री तलाशता है, तो अगर नेता-मंत्री अपनी पसंद के ब्यूरोक्रेट को कहीं ‘फिट’ करता या करवाता है, इसमें कुछ नया नहीं है. जिसकी जहां मृगतृष्णा शांत होती है वह उधर ही दौड़ने लगता है. फिर चाहे नेता हो या ब्यूरोक्रेट. सबकी अपनी-अपनी पसंद सबका अपना अपना जुगाड़.
मलाईदार और सूखी पोस्टिंग का पचड़ा...!
बिहार में जातिवाद के आधार पर ही अफसरों को 'मलाईदार' और 'सूखी-पोस्टिंग' बांटी जाती है? पूछने पर बिहार के एक पूर्व विशेष पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी ने कहा, “अब मैं रिटायर हो चुका हूं, क्या ही बोलूं. पुलिस हो या आईएएस, दोनों ही ब्यूरोक्रेट्स की नौकरियां पॉलिटीशियन चलवाते-चलाते हैं. ऐसा नहीं है कि यह कुरीति सिर्फ बिहार में ही है. ऐसा देश के हर सूबे में होता है. आईएएस आईपीएस की केंद्रीयकृत सेवा सिर्फ 'परीक्षा-पास' करने तक ही तमाम तामझाम के ‘अंतर-फर्क’ से भरी हुई होती है.
कैसे-कैसे आईपीएस अफसरान...?
राज्य में पोस्टिंग मिलते ही सबको (ब्यूरोक्रेट्स) नौकरी वैसे ही करनी पड़ती है जैसी नेता चाहते हैं. फिर वह कार्तिकेय शर्मा हों या फिर मैं अपने बिहार पुलिस सेवा-काल की बात करूं. क्या फर्क पड़ता है. हां, मैंने अपने पुलिस नौकरी के सेवाकाल में जरूर उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्र को किसी बात पर दो टूक कह-सुना दी थी.” कार्तिकेय शर्मा से दो बैच जूनियर एक आईपीएस अधिकारी ने कहा, “आईएएस आईपीएस की सर्विस में अपने लिए कुछ नहीं होता है. सब गवर्नमेंट और जनमानस के लिए होता है. ऐसे में हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम कहां तैनात हैं? हमें सरकार ने जहां ठीक समझा नियुक्त किया है. नियुक्ति पीरियड तक हमें वहीं ईमानदारी से अपनी ड्यूटी पूरी करनी होती है.
राजनीतिक दबाव की 'घुसपैठ' हर जगह है
हां, इतना जरूर है कि पॉलिटिकल इन्फ्लूएंस हर जगह जब होता है, तब फिर हम लोग (ब्यूरोक्रेसी) भी उससे कैसे बचे या दूर रह सकते हैं. फोर्स में तो अनुशासन ही सब कुछ है. जहां तक बात कार्तिकेय शर्मा सर को पटना एसएसपी बनाए जाने का सवाल है. तो जहां तक मैं समझता हूं, वह कुछ साल पहले पटना में नगर पुलिस अधीक्षक भी रह चुके हैं. संभव है कि उन्हें उनके पुरानी तैनाती के दौरान पटना में बेहतर पुलिसिंग के चलते ही अब यहां का जिला पुलिस चीफ बनाया गया हो. उन्हें सूबे के मुख्यमंत्री ने जाति के आधार पर पटना का एसएसपी लगाया होगा, यह आप मीडिया वाले कुछ भी कह सकते हैं. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता हूं.”
कार्तिकेय शर्मा इसलिए पटना SSP बने!
अब से करीब 2 साल पहले कार्तिकेय शर्मा के साथ तैनात रह चुके एक अन्य आईपीएस के मुताबिक, “कार्तिकेय शर्मा पटना में पहले रह चुके हैं. यह तो उन्हें पटना का एसएसपी बनाए जाने की प्रमुख वजह होगी ही. साथ ही सुलझी हुई पुलिसिंग करना भी उन्हें आईपीएस की भीड़ से अलग करता है. वे सामने वाले को सुनने का माद्दा खुद में रखते हैं. फिर कुछ बोलते हैं. उनकी यह खूबी सिर्फ मुझे ही नहीं, पूरे बिहार पुलिस और देश के उनके बैच के हर साथी आईपीएस को पता है. किसी भी निर्णय पर पहुंचकर कोई फैसला लेने से पहले वह अपनी टीम के साथ मश्विरा जरूर करते हैं. उसके बाद फैसला अपने मुताबिक करते हैं.
IPS कार्तिकेय शर्मा का पुलिसिंग 'फंडा'
यह भी उनकी पुलिसिंग का बेहतरीन और उल्लेखनीय बिंदु है. उनके ऊपर चाहे कितना भी दबाव क्यों न हो. कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न सामने खड़ी हो. वे (पटना के नव-नियुक्त एसएसपी कार्तिकेय शर्मा) हमेशा शांत रहते हैं. उनका यही स्वभाव उनके सामने खड़ी हर समस्या का सरल समाधान होता है. किसी भी राज्य की राजधानी की पुलिसिंग के लिए इसी तरह की सोच, मानसिकता के आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति ही शासन और जनहित में होती है.”