सीवान में खौफ! पहले जेडीयू विधायक और अब सांसद विजयलक्ष्मी देवी को आया 10 लाख की फिरौती का कॉल
बिहार के सीवान में इन दिनों राजनीतिक गलियारों में दहशत पसरी हुई है. दो नेताओं जेडीयू सांसद विजयलक्ष्मी देवी और जेडीयू विधायक इंद्रदेव सिंह कुशवाहा को मिली धमकी ने पुलिस को सतर्क कर दिया है. हालांकि, सांसद ने एफआईआर दर्ज करवा दी है और पुलिस जांच में जुट गई है.;
सीवान में इन दिनों भय का माहौल गहराता जा रहा है. पहले जेडीयू विधायक इंद्रदेव सिंह पटेल और अब सांसद विजयलक्ष्मी देवी को एक ही नंबर से 10 लाख रुपये की फिरौती की धमकी ने पूरे जिले की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
रात के सन्नाटे में आया धमकी भरा फोन कॉल न सिर्फ नेताओं को डरा रहा है, बल्कि यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि आखिर इतनी हिम्मत किसी में आ कैसे गई? अगर चुनकर आए प्रतिनिधियों विधायक और सांसद को खुलेआम धमकी दी जा रही है, तो यह किसी बड़े गैंग या संगठित अपराध की ओर इशारा करता है.
फिरौती में मांगे 10 लाख
शुक्रवार की देर रात जब पूरा घर सोने की तैयारी में था, तभी विजयलक्ष्मी देवी के फोन पर एक कॉल आया. घड़ी की सुई 10:38 पीएम पर थी. कॉल पर शख्स ने कहा कि 10 लाख रुपये दो वरना बुरा अंजाम होगा. कॉलर बार-बार तुरंत पैसे भेजने की धमकी देता रहा.
एफआईआर करवाई दर्ज
घटना की गंभीरता को समझते हुए सांसद की प्रतिनिधि मनुरंजन श्रीवास्तव ने थाने में औपचारिक एफआईआर दर्ज की. पुलिस ने कॉल डिटेल और नंबर ट्रैकिंग को लेकर जांच शुरू कर दी है.
जेडीयू विधायक को भी मिल चुकी है धमकी
यह कोई अकेला मामला नहीं था. कुछ ही दिन पहले 3 दिसंबर को जेडीयू विधायक इंद्रदेव सिंह कुशवाहा को फिरौती का कॉल आया था और आरोपी ने भी 10 लाख की मांग की थी. साथ ही, कहा था कि अगर विधायक उनकी डिमांड पूरी नहीं करता है, तो उन्हें इसका भुगतना पड़ेगा. विधायक पटेल ने तुरंत मामले को गंभीरता से लिया और जीबीनगर थाने में FIR दर्ज करवाई. उन्होंने साफ कहा कि यह किसी एक व्यक्ति की हरकत नहीं, बल्कि एक संगठित गैंग का संकेत है जो स्थानीय नेताओं को टारगेट कर रहा है.
साज़िश की गंध और बढ़ती चिंता
दो से तीन दिन के आगे पीछे दोनों सांसद और विधायक को कॉल आना, फिर एक ही रकम की मांग और एक जैसी धमकी, इससे पुलिस भी मान चुकी है कि यह महज संयोग नहीं. सीवान में राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाने की कोशिश ने प्रशासन को अलर्ट मोड पर ला दिया है. अधिकारियों ने कॉल ट्रेसिंग, तकनीकी विश्लेषण और संभावित गिरोहों पर निगरानी बढ़ा दी है.