‘अगर पति आवारा हो, कंडोम ही सहारा हो’ और ‘परदेस नहीं जाना बलम जी, एड्स न लाना बलम जी’, समस्‍तीपुर में दिखा अजब नजारा

विश्व एड्स दिवस के मौके पर बिहार के समस्तीपुर सदर अस्पताल में GNM की छात्राओं ने जागरूकता रैली निकालकर “अगर पति आवारा हो, कंडोम ही सहारा हो” और “परदेस नहीं जाना बलम जी, एड्स न लाना बलम जी” जैसे नारे लगाकर समाज को जागरूक करने का काम किया है.;

( Image Source:  X/@jpsin1 )
Edited By :  विशाल पुंडीर
Updated On : 3 Dec 2025 11:17 AM IST

विश्व एड्स दिवस के मौके पर बिहार के समस्तीपुर सदर अस्पताल में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने न सिर्फ स्थानीय लोगों को चौंकाया बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया. यहां GNM की छात्राओं ने जागरूकता रैली निकालकर ऐसे नारे लगाए, जिन्होंने लोगों को पहले हंसाया, फिर सोचने पर मजबूर कर दिया.

रैली में छात्राओं के हाथों में पोस्टर, लाल रिबन और चेहरे पर झिझक छोड़ बेबाकी साफ दिख रही थी. उनके नारों “अगर पति आवारा हो, कंडोम ही सहारा हो” और “परदेस नहीं जाना बलम जी, एड्स न लाना बलम जी” ने यह साफ कर दिया कि वे समाज की चुप्पी को तोड़ने निकली हैं. अस्पताल प्रशासन, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की मौजूदगी ने इस रैली को और प्रभावशाली बना दिया.

चौंकाने वाले मगर जागरूकता से भरे नारे

छात्राओं द्वारा लगाए गए ये नारे भले ही सुनने में मज़ाकिया लगे हों, लेकिन उनके पीछे एक गंभीर संदेश छिपा था. वे यह संदेश देना चाहती थीं कि बाहर काम करने जाने वाले पुरुष सिर्फ कमाई ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी घर लेकर आएं. महिलाओं को भी शर्म छोड़कर स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की जरूरत है.

शहरभर में रैली का आकर्षण

यह रैली सदर अस्पताल गेट से निकलकर पटेल गोलंबर, कलेक्ट्रेट और ओवरब्रिज होते हुए वापस अस्पताल पहुंची. रास्ते में हर चौराहे पर लोग रुककर पोस्टर पढ़ते, पर्चे लेते और तस्वीरें खींचते नजर आए. राहगीरों ने भी इन साहसी नारों की जमकर तारीफ की.

छात्रों के साथ पूरा मेडिकल स्टाफ रहा मौजूद

इस जागरूकता रैली में छात्राओं के साथ डॉक्टर, नर्स और अस्पताल कर्मी लगातार मौजूद रहे. उनकी मौजूदगी ने इस अभियान को और मजबूती दी, जिससे यह एक बड़े सामाजिक आंदोलन का रूप लेता दिखा.

छात्राओं का संदेश

रैली के दौरान छात्राओं ने कहा कि एड्स को शर्म या गाली की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. यह एक जानलेवा बीमारी है, जिसका इलाज और रोकथाम दोनों संभव हैं. इसके लिए सबसे जरूरी है जागरूकता और सुरक्षित व्यवहार. छात्राओं के इस बेबाक रवैये ने साबित कर दिया कि बिहार में अब लोग स्वास्थ्य संबंधी संवेदनशील विषयों पर भी खुलकर चर्चा करने लगे हैं. समस्तीपुर की इस रैली ने न सिर्फ एड्स दिवस मनाया, बल्कि समाज में सालों से चली आ रही चुप्पी को तोड़ने की ऐतिहासिक पहल की.

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