जूता से मारेंगे... भाई वीरेंद्र को नहीं पहचानता है! मनेर विधायक और पंचायत सचिव के बीच तीखी बातचीत का Audio Viral
बिहार के मनेर से आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र का एक धमकी भरा ऑडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे पंचायत सचिव को गालियां देते और ‘जूते से मारने’ की धमकी देते सुनाई दे रहे हैं. सचिव के पलटवार से मामला गरमा गया. विपक्ष ने इसे जंगलराज की मिसाल बताया है, जबकि आरजेडी अब तक चुप है.;
बिहार के मनेर से आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र एक बार फिर विवादों में आ गए हैं. 27 जुलाई 2025 को उनका एक 3 मिनट का ऑडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ जिसमें वे एक पंचायत सचिव को कथित तौर पर धमकाते सुनाई दे रहे हैं. ऑडियो में विधायक मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर सचिव से बात कर रहे थे, लेकिन बातचीत अचानक तीखी बहस में तब्दील हो गई.
वायरल ऑडियो में विधायक कथित तौर पर कहते हैं, "मुझे पूरा हिंदुस्तान जानता है, तुम कैसे नहीं जानते?" जब सचिव ने विधायक की आवाज़ पहचानने से इनकार किया तो भाई वीरेंद्र ने गुस्से में कहा, "जूता से मारेंगे तुमको खींचकर, रिकॉर्ड करो चाहे कुछ करो." उन्होंने आगे कहा, "अब ट्रांसफर नहीं, दूसरा बात हो जाएगा," जिसे कई लोगों ने अप्रत्यक्ष हत्या की धमकी के रूप में लिया.
आपकी धमकी से हम डरने वाले नहीं हैं
इस पूरे विवाद में दिलचस्प मोड़ तब आया जब पंचायत सचिव ने विधायक को सीधे जवाब देते हुए कहा, "आपके धमकी से हम डरने वाले नहीं हैं, काम की बात कीजिए." सचिव की यह दृढ़ प्रतिक्रिया वायरल ऑडियो का सबसे चर्चित हिस्सा बन गई है. इसने पूरे घटनाक्रम को एक आम सरकारी कर्मचारी बनाम सत्ता के दंभ वाले नेता की लड़ाई जैसा रूप दे दिया.
बिहार में 'जंगलराज' की वापसी
ऑडियो वायरल होते ही विपक्षी दलों ने भाई वीरेंद्र और आरजेडी पर तीखा हमला बोला है. बीजेपी नेताओं ने इसे बिहार में 'गुंडा राज' और 'जंगलराज' की वापसी का उदाहरण बताया. दूसरी तरफ, आरजेडी ने ऑडियो की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े किए हैं. अब तक न विधायक की ओर से सफाई आई है, न ही पार्टी ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है.
पहले भी दे चुके हैं भड़काऊ बयान
भाई वीरेंद्र का नाम विवादों से पुराना है. बीते 23 जुलाई को ही उन्होंने विधानसभा में कहा था, "सदन किसी के बाप का नहीं", जिस पर खासा हंगामा हुआ था. अब पंचायत सचिव को धमकाने वाला ऑडियो उनके रवैये और सार्वजनिक संवाद की शैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है. यह मामला केवल राजनीतिक गरिमा नहीं, बल्कि प्रशासनिक मर्यादा से भी जुड़ा है.
सवालों के घेरे में राजद की चुप्पी
इस पूरे घटनाक्रम ने आरजेडी नेतृत्व की ओर भी निगाहें घुमा दी हैं. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या पार्टी इस मामले पर आंतरिक जांच करेगी या फिर इसे नजरअंदाज कर देगी? साथ ही यह मामला कानूनी प्रक्रिया की भी मांग कर रहा है. बिहार में इस तरह का व्यवहार सत्ता के दबदबे और प्रशासनिक स्वतंत्रता की टकराहट को दर्शाता है.