दुविधा में लालू के 'लाल', किस-किस का रखें ख्याल, नीतीश को लेकर नरमी का क्या है राज?

बिहार की राजनीति में कुछ समय से आरजेडी नेता और महागठबंधन की ओर से सीएम फेस के दावेदार तेजस्वी यादव के तेवर सीएम नीतीश कुमार को लेकर बदले-बदले नजर आ रहे हैं. वह, उनके खिलाफ साल 2020 की तुलना में उतने गरम तेवर में नहीं दिखाई देते जितना विपक्ष से चुनाव के दौर में उम्मीद होती है. तो क्या तेजस्वी यादव दुविधा में हैं कि चुनाव के बाद सरकार बना पाएंगे या नहीं. बताया जा रहा है कि वो सियासी विकल्प खुला रखना चाहते हैं.;

By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 16 July 2025 3:32 PM IST

बिहार में चुनाव नजदीक आते ही वहां की राजनीति फिर उसी मोड़ पर खड़ी है जहां से सवाल उठता है, नीतीश कुमार किसके साथ जाएंगे? इस बार राजनीति के इस द्वंद्वभाव से सिर्फ नीतीश ही नहीं लालू के 'लाल' यानी तेजस्वी यादव भी ग्रसित नजर आ रहे हैं. चुनाव बाद महागठबंधन सरकार बनने को लेकर तेजस्वी आश्वस्त तो हैं. यही वजह है कि इस बार वो इंडिया गठबंधन के सहयोगी को साधकर अंतिम समय तक अपने साथ बनाए रखना चाहते हैं. सभी को सीटों समुचित संख्या में देने की बात कर रहे हैं. उनका यह तेवर पांच साल पहले वाले तेवर वे मैच नहीं करता. लेकिन बिहार बंद के बाद पप्पू यादव कांड और कांग्रेस का साथ मिलने के बाद वह नीतीश कुमार पर तीखे वार करने के बदले नरमी क्यों दिखा रहे हैं? क्या राजनीति में संभावनाओं के लिए दरवाजे वह खोल कर रखना चाहते हैं. या बैकडोर से ​नीतीश के साथ खिचड़ी पकाने में जुटे हैं.

दरअसल, तेजस्वी यादव ने हाल ही में संपन्न INDIA ब्लॉक की एक मीटिंग में महागठबंधन के नेताओं से नीतीश कुमार पर अधिक तीखे हमले न करने की बात कही थी. वे चाहते हैं कि बीजेपी नेताओं को टॉप निशाने पर रखा जाए. उसके बाद से ऐसा माना जा रहा है कि तेजस्वी को शायद फिर से महागठबंधन में नीतीश कुमार के लौटने की उम्मीद है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार तेजस्वी यादव ने INDIA ब्लॉक के नेताओं से नीतीश कुमार के प्रति नरम रुख अपनाने की गुजारिश की है. वे चाहते हैं कि बीजेपी नेताओं को अधिक निशाना बनाया जाए, पर ऐसा क्यों?

सीएम नीतीश को बताया था 'अचेत मुख्यमंत्री'

यह वही तेजस्वी यादव हैं, जिन्होंने पटना में हाल ही में एक व्यापारी विक्रम झा की गोली मारकर हत्या की घटना के बाद प्रदेश की सीएम नीतीश कुमार को 'अचेत मुख्यमंत्री' बताया था. उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा कि पटना में व्यवसायी विक्रम झा की गोली मारकर हत्या! DK Tax तबादला उद्योग प्रदेश की अराजक स्थिति का मुख्य कारण... अचेत मुख्यमंत्री क्यों है मौन? प्रतिदिन हो रही सैंकड़ों हत्याओं का दोषी कौन? भ्रष्ट भूजा पार्टी जवाब दे.

नीतीश ने तेजस्वी को बताया था 'भावी सीएम'

तेजस्वी का यह रुख चौंकाने वाला है. ऐसा इसलिए कि नवम्बर 2015 से जुलाई 2017 तक महागठबंधन (JDU RJD और कांग्रेस) की सरकार ने शपथ ली. नीतीश ने तेजस्वी यादव उस समय उप मुख्यमंत्री बनाया था. जब नीतिश कुमार पांचवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. यह गठबंधन 26 जुलाई 2017 को टूट गया. जब नीतिश कुमार NDA में वापस चले गए. साल 2020 में बीजेपी के साथ नीतीश चुनाव लड़े और सीएम भी बने, लेकिन अगस्त 2022 से जनवरी 2024 सरकार चलाने के बाद 10 अगस्त 2022 को नीतिश कुमार ने NDA (BJP-संयुक्त) से अलग होकर RJD-कांग्रेस समेत महागठबंधन के साथ फिर सरकार बनाई और इस गठबंधन में तेजस्वी यादव फिर से उप मुख्यमंत्री बने थे. नीतीश ने तेजस्वी को भावी सीएम भी घोषित किया था. यह सरकार भी 28 जनवरी 2024 को खत्म हुई. जब नीतिश कुमार फिर NDA में लौट गए. अब एनडीए के साथ ही चुनाव लड़ेंगे.

दरवाजा खुला रखने की रणनीति!

दरअसल, तेजस्वी यादव इस बार हाल में सीएम बनना चाहते हैं. उन्हें ऐसा होने की उम्मीद भी है, लेकिन उनका भरोसा हाल की कुछ सियासी घटनाओं की वजह से संभवत: कमजोर पड़ने लगा है. ऐसा इसलिए इस बार उनका रुख शुरू से समझौतावादी है. न केवल गठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं के साथ बल्कि नीतीश कुमार के साथ भी. जह है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एनडीए खेमे में नीतीश कुमार का लौटने के बाद भी उन्होंने अपनी ज़ुबान को सधे रखा. हालिया बयानों में तेजस्वी ने नीतीश पर सीधे हमले करने से बचते हुए सिर्फ नीतियों की आलोचना की है, निजी तौर पर उन पर हमला नहीं बोला है. राजनीति के जानकार इसे ‘दरवाजा खुला रखने की रणनीति’ बता रहे हैं.

मुस्लिम-यादव समीकरण और सीमांचल की चुनौती

सीमांचल क्षेत्र में एआईएमआईएम और कांग्रेस की बढ़ती पकड़ ने आरजेडी के लिए चुनौती खड़ी की है. नीतीश की जेडीयू भी वहां मुस्लिम वोटरों में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में तेजस्वी अगर ज्यादा हमलावर होंगे तो महागठबंधन की पुरानी छवि और वोटर बेस दोनों खिसक सकते हैं.

लालू की ‘लचीली राजनीति’ की छाया

लालू यादव हमेशा से ‘फ्लेक्सिबल’ राजनीति के लिए जाने जाते हैं. चाहे बीजेपी से हाथ मिलाना हो या कांग्रेस से गठजोड़. तेजस्वी भी उसी लकीर पर चलते दिख रहे हैं. वे जानते हैं कि नीतीश कुमार जैसे नेताओं को पूरी तरह नकारना बिहार की राजनीति में ‘खुद के लिए दरवाजा बंद’ करने जैसा होगा.

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