बिहार चुनाव में कांग्रेसियों को क्‍यों याद आ रहीं इंदिरा गांधी, उनके लिए बेलछी यात्रा क्यों बनी सत्ता में वापसी का कारण?

जयराम रमेश ने इंदिरा गांधी को याद करते हुए एक्स पर पोस्ट लिखा है कि कांग्रेस को वर्तमान में वैसे ही नेतृत्व की तलाश है, जो किसी घटना को कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए वजह बना दे. अगर ऐसा हो जाए तो कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सकती है. अपने पोस्ट में उन्होंने जिस घटना का जिक्र किया है वो बिहार के बेलछी से जुड़ा है. बिहार में इन दिनों चुनाव प्रचार चरम पर है.;

By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 1 Nov 2025 2:41 PM IST

एक तरफ बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार चरम पर है, दूसरी तरफ 31 अक्टूबर को इंदिरा की पुण्यतिथि थी. इस मौके पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट कर उन्हें याद किया. उनके पोस्ट से साफ है कि कांग्रेस को वर्तमान में वैसे ही नेतृत्व की तलाश है, जो किसी घटना को कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए वजह बना दे. अगर ऐसा हो जाए तो कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सकती है. अपने पोस्ट में उन्होंने जिस घटना का जिक्र किया है वो बिहार के बेलछी से जुड़ा है. राहुल गांधी उसी राज्य में कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए जद्दोजहद में जुटे हैं.

जयराम के पोस्ट में क्या है?

अपने पोस्ट में जयराम रमेश ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की बेलछी यात्रा का जिक्र करते हुए लिखा, 'वह एक ऐसी नेता थीं जो जातिगत अत्याचारों के बाद पीड़ित दलितों से मिलने के लिए पहले ट्रेन, फिर जीप और उसके बाद अन्य कोई साधन न होने की वजह से हाथी पर सवार होकर बेलछी गांव पहुंची थीं. वहां से उन्होंने दलितों की आवाज बुलंद करने का नारा लगाया था, जो कांग्रेस के लिए राजनीतिक पुनरुत्थान (सियासी संजीवनी) साबित हुआ था. ऐसा इसलिए कि इमरजेंसी की वजह से 1977 के चुनाव में इंदिरा जी सत्ता से बेदखल हो गई थीं.'

जयराम रमेश लिखते हैं, 'वह असाधारण साहस, दृढ़ता और लचीलेपन की धनी थीं' उन्होंने बताया कि कैसे 1977 की बरसात में इंदिरा गांधी दुर्गम इलाकों से होकर "पहले कार, जीप और ट्रैक्टर से जातिवाद से त्रस्त परिवारों से मिलने गईं और फिर हाथी पर सवार होकर बेलछी के सुदूर गांव में अत्याचारों से जूझने गईं."

उनके इस संघर्ष के बाद दलितों का रुझान फिर से कांग्रेस की तरफ हो गया, जिसने 1977 में अपनी चुनावी हार के बाद जनता के साथ उनके जुड़ाव को फिर से जगा दिया.

पटना में जेपी से की थी मुलाकात

जयराम रमेश ने आगे बताया कि एक दिन बाद गांधी ने पटना में अपने "उस समय के सबसे कटु राजनीतिक आलोचक और विरोधी जयप्रकाश नारायण से मुलाकात की और चार दशकों के उनके गहरे व्यक्तिगत जुड़ाव को याद किया था. उन्होंने इंदिरा गांधी का कीचड़ भरे खेतों से होते हुए बेलछी पहुंचने की पुरानी तस्वीरें भी साझा की.

बेलछी यात्रा: इंदिरा के लिए टर्निंग प्वाइंट

बेलछी सिर्फ एक गांव नहीं था बल्कि वह भारत की राजनीति का टर्निंग प्वाइंट बन गया. उनकी इस यात्रा और दलितों की पीड़ा ने सत्ता से बाहर एक नेता को फिर जनता के दिल में बसा दिया. यह घटना भारत के राजनीतिक और सामाजिक इतिहास से गहराई से जुड़ा है. यह घटना सिर्फ दलित उत्पीड़न का प्रतीक नहीं थी, बल्कि इसने इंदिरा गांधी की राजनीतिक वापसी की नींव भी रखी थी.

क्या हुआ था बेलछी में?

बिहार के नालंदा मोकामा (पहले मोकामा) जिले के बेलछी गांव में 25 मई 1977 नरसंहार (Belchi Massacre) हुआ था. बेलछी गांव में जमींदार-भूमिहार और दलितों (मुख्य रूप से पासी और हरिजन समुदाय) के बीच पुराना विवाद हिंसा में बदल गया. उस समय गांव में ऊंची जाति के जमींदारों का दबदबा था और दलित समुदाय मजदूरों के रूप में काम करता था. ऊंची जातियों के दबंग लोगों ने दलित समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी. इनमें 5 पुरुष, 4 महिलाएं और 2 बच्चे शामिल थे. हत्या के बाद उनके शवों को जिंदा जला दिया गया. यह दृश्य बेहद भयावह और दिल दहला देने वाला था.

हत्याकांड की वजह

जांच में सामने आया कि जमीन और मजदूरी को लेकर तनाव भूमिहार और दलित समुदायों के बीच सामाजिक भेदभाव और कम मजदूरी की वजह से पहले जातीय टकराव हुआ और उसके बाद यह नरसंहार में तब्दील हो गई. दलितों के बीच बढ़ती राजनीतिक जागरूकता की वजह ऊंची जातियों की नाराजगी थी.

 इंदिरा गांधी की यात्रा कैसे हुई:

उस समय बेलछी तक पहुंचने का कोई पक्की सड़क नहीं थी. इलाके में कीचड़ और पानी भरा था. ट्रेन और जीप से जितना रास्ता तय हुआ, उतना उन्होंने तय किया. आखिरी 10 किलोमीटर उन्होंने हाथी पर बैठकर बेलछी गांव पहुंचीं. उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की, महिलाओं को सांत्वना दी और न्याय की मांग की.

सियासी असर?

बिहार के बेलछी दौरे ने इंदिरा गांधी की छवि को फिर से जनता के बीच जीवित कर दिया. लोग आपातकाल को भूल सकते हैं. लोग उन्हें फिर से गरीबों का नेता कहने लगे. यह दौरा उनके राजनीतिक पुनर्जन्म की शुरुआत साबित हुआ. दो साल बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी भारी बहुमत से सत्ता में लौट आईं.

बेलछी हत्याकांड का महत्व

बेलछी नरसंहार दलित उत्पीड़न का राष्ट्रीय प्रतीक बना. मानवाधिकार और सामाजिक न्याय की बहस को हवा दी. राजनीतिक जागरूकता और दलित संगठनों की मजबूती में योगदान दिया. इंदिरा गांधी के राजनीतिक करिश्मे की वापसी की शुरुआत यहीं से हुई.

बता दें कि भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1966 से 1977 तक और फिर 1980 से 31 अक्टूबर, 1984 को अपनी हत्या तक इस पद पर रहीं. उनका जन्म 19 नवंबर, 1917 को हुआ था.

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