Bihar Assembly Election 2025: महागठबंधन में सीट बंटवारा तेजस्वी के लिए नहीं आसान! कहां अटका पूरा खेल?

बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर घमासान चरम पर है. पिछली बार सब कुछ तेजस्वी यादव के इशारों पर हुआ था, लेकिन इस बार कांग्रेस और वाम दलों के नेता पहले से ज्यादा ताकत के साथ सौदेबाजी कर रहे हैं. आरजेडी के नेता भी इस बार सतर्कता के साथ कदम आगे बढ़ा रहे हैं. जानिए, सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन में पेंच कहां फंसा है, तेजस्वी किस तरह बैठाएंगे सभी के साथ समीकरण.;

By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 11 July 2025 4:26 PM IST

पांच साल पहले हुए बिहार विधानसभा चुनाव 2025 और आगामी चुनाव को लेकर महागठबंधन में शामिल दलों के बीच सत्ता का समीकरण पूरी तरह से बदल गया है. पांच साल पहले एक दौर था जब महागठबंधन की हर मीटिंग में तेजस्वी यादव की हर बात पत्थर की लकीर मानी जाती थी, लेकिन अब समीकरण बदल चुके हैं. कांग्रेस खुद को 'गौरवशाली वापसी' के मोड में ​दिखाई दे रही है. वाम दल अपनी खोई जमीन को और मजबूत करने की जिद पर अड़े हैं. ऐसे में बिहार के महागठबंधन में शामिल सियासी दलों के बीच 'सीटों का बंटवारा' सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया है, जिससे पार पाना इस बार तेजस्वी यादव के लिए आसान नहीं है.

2020 की तरह सीटों का बंटवारा क्यों नहीं आसान?

साल 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ने कांग्रेस और वाम दलों को सम्मानजनक सीटें दी थीं, लेकिन जब नतीजे आए तो RJD को 75 सीटें मिलीं. जबकि कांग्रेस सिर्फ 19 पर सिमट गई. अब तेजस्वी और उनकी पार्टी इस आधार पर कांग्रेस को कम सीट देना चाहती है, लेकिन कांग्रेस पुरानी स्थिति को नहीं मानती.

क्या चाहती है कांग्रेस?

कांग्रेस इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को आधार बना रही है, जिसमें भले ही सीटें न आई हों, लेकिन वोट शेयर में उन्होंने सुधार कर दिखाया है. अब कांग्रेस INDIA गठबंधन में उसी के आधार पर RJD से सीटें मांग मांग रही है.

लेफ्ट दलों की नई जिद बड़ी चुनौती

कांग्रेस के अलावा CPI, CPI(M) और CPI(ML) जैसी पार्टियां पिछली बार 29 सीटों पर लड़ी थीं और 16 सीटें जीती थीं. महागठबंधन में वाम दलों को स्ट्राइक रेट सबसे अच्छा रहा था. इस आधार पर वे ज्यादा सीटों की मांग कर रही हैं. वाम पार्टियां भोजपुर, आरा और दरभंगा जैसे इलाकों की सीटों पर जोर दे रही है. तेजस्वी इन्हें सीमित रखना चाहते हैं. ताकि RJD का परंपरागत वोट बैंक न कटे.

सबसे बड़ी उलझन - कौन बने ‘बड़ा भाई’?

कांग्रेस और वाम दल चाह रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में RJD अकेले फैसले न ले. कांग्रेस की तरफ से साफ संकेत हैं कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई, तो वे तीसरा विकल्प तलाश सकते हैं. या फिर चुनाव अकेले लड़ सकते हैं. यही धमकी तेजस्वी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.

क्या है इस सियासी समस्या का समाधान?

सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी फिलहाल सभी दलों से अलग-अलग बातचीत कर रहे हैं. साथ ही आखिरी फैसला अगस्त तक टालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, लेकिन अगर सीट बंटवारे में सभी को बराबरी का अहसास नहीं हुआ, तो महागठबंधन टूटने की नौबत भी आ सकती है. ऐसा इसलिए कि सीट बंटवारा अब सिर्फ नंबर गेम नहीं, प्रतिष्ठा, प्रभाव और भविष्य की लड़ाई भी बन गया है.

ऐसे में अगर महागठबंधन सीट बंटवारे के मसले पर एकजुट नहीं रहा, तो बीजेपी को खुला मैदान मिल सकता है. तेजस्वी को अब सिर्फ नेता नहीं, एक राजनीतिक संतुलनकार की भूमिका निभानी होगी.

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