बिहार चुनाव में एनडीए की बंपर जीत के 5 बड़े नायक- कौन, कैसे और क्यों?

बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की बंपर जीत के कई प्रमुख कारण रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय अपील, नीतीश कुमार का सामाजिक समीकरण, चिराग पासवान का युवा प्रभाव, अमित शाह की चुनावी रणनीति और महिला वोटरों का भारी समर्थन, इन पांच नायकों ने मिलकर एनडीए को निर्णायक बढ़त दिलाई. महागठबंधन के मुद्दे और आरोप मतदाताओं को आकर्षित नहीं कर सके, जबकि एनडीए का गठजोड़ पूरे प्रदेश में प्रभावी साबित हुआ.;

( Image Source:  state )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 14 Nov 2025 6:01 PM IST

Bihar Election 2025 NDA Victory: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, वह हालिया राजनीतिक इतिहास में एक बड़ा मोड़ माने जाने योग्य है. शुरुआती रुझानों से लेकर लगभग तय नतीजों तक, एनडीए ने न सिर्फ सत्ता में वापसी की, बल्कि विपक्ष के मजबूत दावों को भी ध्वस्त कर दिया... लेकिन इस बड़ी जीत के पीछे सिर्फ 'मोदी फैक्टर' की कहानी नहीं है, बल्कि कई चेहरों, रणनीतियों और समीकरणों का गहरा योगदान रहा है...

आइए जानते हैं कि एनडीए की बंपर जीत के 5 सबसे बड़े नायक कौन हैं... और उनकी भूमिका कैसी रही...

1- नरेंद्र मोदी: राष्ट्रीय नेतृत्व की निर्णायक पकड़

एनडीए की जीत के सबसे ऊपरी पायदान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम स्वाभाविक रूप से आता है. मोदी की रैलियां इस बार बेहद सीमित थीं, लेकिन उनका प्रभाव असीमित रहा. केंद्र की योजनाएं, उज्ज्वला, पीएम आवास, गरीब कल्याण अन्न योजना, सीधे ग्राउंड पर वोट में बदलीं. महागठबंधन के 'स्थानीय मुद्दों' बनाम एनडीए के 'राष्ट्रीय नेतृत्व' की लड़ाई में मोदी की ब्रांड वैल्यू भारी पड़ी... क्योंकि बिहारी मतदाताओं ने इस बार भी मोदी की स्थिरता और सुरक्षा की अपील पर भरोसा जताया. मोदी ने जिन जगहों पर रैलियां की, वहां से करीब-करीब हर उम्मीदवार को जीत मिली.

2- नीतीश कुमार - 'साइलेंट इंजीनियर' जो फिर साबित हुए किंगमेकर

भले ही सीटों के हिसाब से जेडीयू शीर्ष पर न हो, लेकिन एनडीए की जीत का असली आर्किटेक्चर नीतीश कुमार का सामाजिक समीकरण ही था. महिलाओं और अति–पिछड़ा वर्ग (EBC) में नीतीश की पकड़ अब भी बेहद मजबूत है. जेडीयू का संगठन और गांव–स्तर का नेटवर्क एनडीए का वोट ट्रांसफर इंजन बना. 'डबल इंजन' के भरोसे और नीतीश के प्रशासनिक अनुभव ने ग्रामीण वोटर को एनडीए की तरफ मोड़ा.. उनके बिना एनडीए की सामाजिक इंजीनियरिंग अधूरी पड़ जाती.

3- चिराग पासवान-'राजनीतिक रॉकेट' जिनकी दिशा बदली और समीकरण भी

चिराग पासवान इस चुनाव के सबसे दिलचस्प चेहरा रहे. पिछली बार एनडीए से बाहर रहकर जेडीयू को भारी नुकसान कराने वाले चिराग ने इस बार एनडीए में रहकर जेडीयू को ताकत दी. युवा वोटरों, खासकर पासी–दुसाध बेल्ट में चिराग की पकड़ मजबूत हुई है. LJP(R) ने अपने वोट बिखरने से रोके, जिससे BJP–JDU को डायरेक्ट फायदा मिला. उनकी रणनीतिक वापसी ने एनडीए की सीटें बढ़ाईं और विपक्ष का समीकरण बिगाड़ा.

4- अमित शाह- बैकएंड मास्टरस्ट्रैटेजिस्ट

अमित शाह ने बिहार में करीब 20 रैलियों को संबोधित किया. उनका स्ट्राइक रेट करीब 100 फीसदी का रहा. उन्होंने जिन-जिन सीटों पर रैलियां की, उनमें से लगभग हर सीट पर एनडीए उम्मीदवार को जीत मिली. सीट–शेयरिंग फॉर्मूला, उम्मीदवार चयन और माइक्रो–मैनेजमेंट का ऑपरेशन शाह–स्टाइल में हुआ. सीमांचल, मिथिला और मगध में बीजेपी की री–एंट्री अमित शाह की रणनीति का सीधा परिणाम है. बूथ मैनेजमेंट, पन्ना प्रमुख मॉडल और कैडर–एनर्जी को रिचार्ज करने में शाह की भूमिका निर्णायक रही... चुनावी प्रबंधन और रणनीति के स्तर पर शाह की पकड़ आज भी अपराजेय दिखती है.

5- बिहार की महिला वोटर – एनडीए की “साइलेंट स्ट्राइक फोर्स”

इस चुनाव के सबसे कम चर्चा में रहने वाले, लेकिन सबसे निर्णायक नायक रही बिहार की महिला मतदाता... सरकारी योजनाओं से सीधा लाभ पाने वाली महिलाओं ने बड़ी संख्या में एनडीए को वोट दिया.. शराबबंदी, सुरक्षा, राशन–आवास जैसी योजनाएँ अब भी महिलाओं के बीच नीतीश–मोदी की विश्वसनीयता बढ़ाती हैं... कई सीटों पर महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से 10–15% अधिक रहा, जिसने परिणामों की दिशा तय कर दी... उन्होंने साइलेंट लेकिन निर्णायक वोटिंग कर एनडीए की जीत को पक्का किया.

बिहार में एनडीए की जीत सिर्फ एक राजनीतिक जीत नहीं, बल्कि रणनीति, नेतृत्व, सामाजिक समीकरण और वोटर साइकोलॉजी का मिश्रित परिणाम है. मोदी की राष्ट्रीय अपील, नीतीश का सामाजिक संतुलन, चिराग का युवा प्रभाव, शाह की रणनीति और महिला वोटरों की शांत लहर, इन पांच ताकतों ने मिलकर इस चुनाव को एनडीए की ओर मोड़ दिया... बिहार BJP प्रभारी विनोद तावड़े ने कहा कि बिहार की जनता ने NDA को ऐतिहासिक जीत दी है. PM मोदी के GYAN- गरीब, युवा, अन्नदाता, नारी, मॉडल पर काम का ही यह परिणाम है. योजनाओं का लाभ बिना जाति-धर्म देखे पहुँचा और जनता ने आशीर्वाद दिया.

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