Bihar Elections 2025: दूसरे चरण की 10 VIP सीटें, मनीष कश्यप से लेकर ज्योति सिंह तक टक्कर में, जानें किसमें कितना दम?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में मुकाबला और दिलचस्प हो गया है. 10 वीआईपी सीटों पर दिग्गज उम्मीदवार मैदान में हैं. कहीं पत्रकार से नेता बने मनीष कश्यप चर्चा में हैं, तो कहीं युवा चेहरा और स्टार पावर पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह महिला वोटरों को साध चुनावी जीत हासिल करने की कोशिश में हैं.;
बिहार चुनाव 2025 के दूसरे चरण में सियासी पारा चढ़ गया है. कुल मिलाकर इस फेज की 10 सीटें ऐसी हैं जिन्हें वीआईपी सीट माना जा रहा है. जहां या तो हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार मैदान में हैं या पिछली बार बेहद कांटे का मुकाबला देखने को मिला था. इन सीटों पर मीडिया की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यहां से तय होगा कि जनता एनडीए और महागठबंधन के बीच किस पर भरोसा जता रही है.
दूसरे चरण की 122 सीटों में से जोकीहाट, झंझारपुर, काराकाट, सासाराम, चनपटिया, बेतिया, बेनीपट्टी, नवादा, बेलागंज और वारसलीगंज सहित कई सीट वीआईपी कैटेगरी की हैं. दूसरे चरण में ज्योति सिंह, मनीष कश्यप, नीतीश मिश्रा, रेणु देवी, विनोद नारायण झा, मनोरमा देवी, विभा देवी, शाह आलम, अरुणा सिंह, मनोरमा देवी, विभा देवी, स्नेहलता कुशवाहा जैसे चेहरे मैदान में हैं. आइए जानते हैं, कहां पर किसमें है, कितना दम.
1. जोकीहाट
सीमांचल की मुस्लिम बहुल जोकीहाट सीट पर हर बार की तरह इस बार भी मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं. इस सीट पर मंजर आलम जेडीयू, शाहनवाज आलम आरजेडी और सरफराज आलम जन सुराज हैं. इस सीट पर AIMIM, RJD और JDU के बीच सीधी टक्कर है. ओवैसी की पार्टी ने यहां मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ बनाई है. जबकि RJD अपने परंपरागत वोटरों को साधने में जुटी है. जोकीहाट सीट सीमांचल की राजनीति का थर्मामीटर मानी जाती है. इस सीट पर जनसुरा पार्टी के सरफराज आलम भी चुनावी जीत हासिल कर सबको चौंका सकते हैं.
2. झंझारपुर
मधुबनी जिले की झंझारपुर सीट मिथिला क्षेत्र में राजनीतिक रूप से बेहद अहम है. यह सीट तेजस्वी यादव का चुनाव लड़ने की चर्चा से भी सुर्खियों में रहा था. इस सीट पर मंत्री नीतीश मिश्रा बीजेपी, राम नारायण यादव सीपीआई और केशवचन्द्र भंडारी जन सुराज ये मैदान में हैं. यहां बीजेपी और आरजेडी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलती है. मैथिली भाषी क्षेत्र में विकास, बाढ़ नियंत्रण और रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं. साल 2020 में एनडीए ने बढ़त बनाई थी, लेकिन इस बार विपक्ष के लिए भी माहौल बनता दिख रहा है.
3. काराकाट
काराकाट सीट पर हर चुनाव में जातीय समीकरण हावी रहते हैं. इस बार यहां से पावर स्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह निर्दलीय, महाबली सिंह जेडीयू, अरुण सिंह सीपीआई-एमएल और योगेन्द्र सिंह जनसुराज से चुनावी मैदान में है. काराकाट में कोइरी, यादव और भूमिहार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. पूर्व सांसद उपेंद्र कुशवाहा के प्रभाव के कारण इस सीट पर आरएलएम और जदयू दोनों के समीकरण प्रभावित होते हैं. इस बार महागठबंधन और एनडीए के बीच यह मुकाबला रोचक होने वाला है.
4. सासाराम
ऐतिहासिक सासाराम सीट पर विकास और कानून-व्यवस्था मुख्य मुद्दे हैं. यहां से स्नेहलता आरएलएम-एनडीए, सत्येंद्र शाह आरजेडी और विनय कुमार सिंह जन सुराज के प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. यह क्षेत्र हमेशा से राजनीतिक रूप से सक्रिय रहा है और कई दिग्गज नेता यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. बीजेपी की मजबूत पकड़ के बावजूद विपक्षी दलों ने यहां कड़ी चुनौती पेश की है. दलित-ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग यहां निर्णायक भूमिका में हैं.
5. चनपटिया
चनपटिया सीट सीमावर्ती इलाका होने के कारण यहां का राजनीतिक माहौल हमेशा दिलचस्प रहता है. उमाकांत सिंह बीजेपी, अभिषेक रंजन कांग्रेस और त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप जन सुराज से चुनाव लड़ रहे हैं. एनडीए की ओर से बीजेपी और महागठबंधन की ओर से आरजेडी के बीच यहां परंपरागत मुकाबला होता रहा है. उद्योग, बाढ़ राहत और सीमा सुरक्षा जैसे मुद्दे प्रमुख हैं. युवाओं में रोजगार को लेकर असंतोष भी बड़ा विषय बना है.
6. बेतिया
बेतिया विधानसभा पश्चिम चंपारण की सबसे हाई-प्रोफाइल सीटों में गिनी जाती है. रेणु देवी बीजेपी, वशी अहमद कांग्रेस अनिल और कुमार सिंह जनसुराज के बीच टक्कर है. यहां बीजेपी का मजबूत जनाधार रहा है, लेकिन आरजेडी ने पिछली बार बेहतर प्रदर्शन किया था. गंडक नदी किनारे बसे इस क्षेत्र में बाढ़, सड़क और शिक्षा के मुद्दे मतदाताओं के बीच चर्चा में हैं. महिला मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
7. बेनीपट्टी
इस सीट से पूर्व मंत्री और सिटिंग विधायक विनोद नारायण झा बीजेपी, नलिनी रंजन झा उर्फ रूपन झा कांग्रेस और परवेज आलम जन सुराज से चुनावी मैदान में हैं. विनोद नारायण झा को मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है, लेकिन रूपन झा का चुनावी मैदान में उतरने से उनका समीकरण गड़बड़ा सकता है. ऐसे में जन सुराज के परवेज आलम का किस्मत चमकने की उम्मीद है. बेनीपट्टी सीट पर कांग्रेस और जेडीयू के बीच अक्सर सीधा मुकाबला देखने को मिलता रहा है. मिथिला क्षेत्र की यह सीट बुद्धिजीवियों और शिक्षकों की बड़ी आबादी के कारण राजनीतिक रूप से सजग मानी जाती है. यहां के मतदाता विकास, शिक्षा और सड़क जैसे मुद्दों पर वोट देते हैं, न कि केवल जातीय आधार पर.
8. नवादा
नवादा सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा संघर्ष है. विभा देवी जेडीयू, कौशल यादव आरजेडी, अनुज सिंह जन सुराज से चुनावी मैदान में हैं. जेडीयू प्रत्याशी विभा देवी यहां ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक वोटर संतुलन की भूमिका निभाते हैं. विभा देवी बाहुबली राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं. इस क्ष्द्वोत्र में क्राइम, रोजगार और भ्रष्टाचार के मुद्दे सबसे प्रमुख हैं. बीजेपी की परंपरागत पकड़ के बावजूद विपक्ष ने यहां से मजबूत उम्मीदवार उतारा है, जिससे मुकाबला कड़ा हो गया है. विभा देवी आरजेडी से छोड़कर जेडीयू से चुनाव लड़ रही हैं.
9. बेलागंज
गया जिले की बेलागंज सीट पूर्व मंत्री सुरेंद्र यादव का गढ़ मानी जाती है. इस बार मनोरमा देवी जेडीयू, विश्वनाथ कुमार सिंह आरजेडी और मोहम्मद शहाबुद्दीन जन सुराज से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार एनडीए ने यहां से नए चेहरे पर दांव लगाया है. गया में सूखा और पलायन जैसे मुद्दे प्रमुख हैं. विकास को लेकर जनता के बीच नाराजगी भी देखी जा रही हैत्र
10. वारसलीगंज
वारिसलीगंज सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा की राजनीति के लिहाज से अहम है. जेडीयू परंपरागत रूप से मजबूत स्थिति में है, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस इसे सेंध लगाने की कोशिश में हैं. इस सीट पर अरुणा देवी बीजेपी, अनीता आरजेडी, और उमेश प्रसाद जन सुराज से मैदान में हैं. अनीता बाहुबली अशोक महतो की पत्नी हैं. अशोक महतो जेल ब्रेक कांड में 17 साल सजा काट चुके हैं. जबकि अरुणा देवी 90 और 2000 के दशक के बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी हैं.शिक्षा, रोजगार और स्थानीय उद्योगों का अभाव यहां के मतदाताओं के प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं.