Bihar Elections 2025: दूसरे चरण में छह सीटों पर महागठबंधन में 'फ्रेंडली फाइट', RJD की प्रतिष्ठा दांव, NDA न मार ले बाजी!
Bihar Elections 2025 Second Phase: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में महागठबंधन के अंदर ‘फ्रेंडली फाइट’ ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. छह सीटों पर RJD, कांग्रेस और वाम दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं, जिससे NDA को अप्रत्यक्ष बढ़त मिल सकती है. जानिए महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच फ्रेंडली फाइट को किसे मिलेगा लाभ.
बिहार चुनाव 2025 के दूसरे चरण की जंग और दिलचस्प होने की संभावना है. जहां एक ओर एनडीए तालमेल के साथ एकजुट होकर लड़ चुनाव मैदान में है, वहीं महागठबंधन के भीतर मतभेद सामने आने लगे हैं. छह सीटों पर आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के बीच सीधी टक्कर हो रही है. इसे ‘फ्रेंडली फाइट’ कहा जा रहा है, लेकिन असल में यह गठबंधन की अंदरूनी कमजोरी चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर सामने आ गई है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसका लाभ एनडीए को हो सकता है. हालांकि, अंतिम परिणाम को लेकर दावे के अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. इन सीटों पर कौन जीतेगा, इस पता 14 नवंबर को अंतिम परिणाम आने से पता चलेगा.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा और अंतिम चरण कल (11 नवंबर) को होने जा रहा है, लेकिन महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-VIP-CPI-ML) की एकजुटता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. ये सीटें कैमूर, रोहतास, पश्चिम चंपारण, जमुई और भागलपुर में हैं, जहां जुबानी जंग से लेकर पोस्टर वार तक हो रहा है.
1. चैनपुर:
चैनपुर सीट पर VIP चीफ मुकेश सहनी ने गोविंद बिंद को उतारा है. जबकि RJD ने बृजकिशोर बिंद को. दोनों उम्मीदवार बिंद समुदाय से हैं, जो सीट का वोट बैंक है. जेडीयू प्रत्याशी जमा खान हैं. फ्रेंडली फाइट के लिए सहनी ने RJD पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया है. दूसरी तरफ RJD का दावा है कि नाम वापसी हो जाएगी, लेकिन स्थानीय स्तर पर पोस्टर युद्ध तेज है. यहां पर NDA को फायदा मिल सकता है. ऐसा इसलिए कि 2020 में RJD ने यहां जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार वोट स्प्लिट से खतरा. 2020 बीजेपी ने प्रत्याशी उतारा था. आरजेडी विधायक जमा खान चुनाव जीतने के बाद जेडीयू में शामिल हो गए. नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री बनाया था. यही वजह है कि उन्होंने ये सीट इस बार बीजेपी से अपने ले ली.
चैनपुर विधानसभा सीट ग्रामीण और खेतिहर आबादी वाली सीट है. 2020 में इस सीट पर बीएसपी के मोहम्मद जमा खान ने जीत हासिल की थी. वह बाद में जेडीयू में शामिल हो गए थे. स्थानीय स्तर पर जातीय समीकरण और किसान-आय से जुड़े मुद्दे तय करते हैं. राजनीतिक तौर पर यह सीट बीजेपी, JDU, BSP व अन्य प्रतिद्वंद्वियों के बीच टक्कर वाली मानी जाती है. विकास, रोजगार और जल संचयन जैसे मुद्दे चुनावी बहस के केंद्र रहे हैं.
2. करगहर
सासाराम जिले की करगहर पर CPI ने महेंद्र प्रसाद गुप्ता को टिकट दिया, तो कांग्रेस ने संतोष कुमार मिश्रा को. संतोष कुमार सिटिंग विधायक भी हैं. जेडीयू प्रत्याशी वशिष्ठ सिंह हैं. इस सीट पर कांग्रेस और सीपीआई के बीच दोस्ताना लड़ाई की वजह से मुकाबला है. इसका लाभ एनडीए प्रत्याशी को मिल सकता है. महागठबंधन से CPI-ML ने 20 सीटें मांगी, लेकिन कांग्रेस ने 70 की हठधर्मिता दिखाई.
रोहतास जिले की करगहर विधानसभा सीट काफी हद तक ग्रामीण है और 2008 के परिसीमन के बाद यह अस्तित्व में आई थी. 2010 से 2020 के चुनावी रिकॉर्ड से यहां पर जेडीयू, कांग्रेस व अन्य क्षेत्रीय दलों का प्रभाव रहा है. पिछली बार यानी 2020 में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की थी. पार्टी को इस बार भी जीत की उम्मीद है. इस सीट पर स्थानीय मुद्दे मध्यमवर्गीय कृषि उत्पादकों, सड़क-बुनियादी सुविधाओं और सिंचाई से जुड़ी रहती हैं.
3. नरकटियागंज
पश्चिम चंपारण की इस सीट पर RJD के दीपक यादव और कांग्रेस के शाश्वत केदार गुप्ता आमने-सामने हैं. बीजेपी से संजय कुमार पांडेय चुनावी मैदान मैं है. इस सीट पर भी एनडीए को वोटर कन्फ्यूजन का लाभ मिलने की संभावना है.
नरकटियागंज विधानसभा सीट वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. 2020 में यह सीट बीजेपी के पक्ष में गई थी. सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण भूमिहीन आबादी, छोटी खेती से जुड़े आर्थिक मुद्दे, कानून–व्यवस्था और बुनियादी सेवाएं यहां के प्रमुख चुनावी मुद्दे बने रहते हैं. इस सीट पर हर बार जातीय व सामाजिक गठजोड़ का भी खास असर दिखता है.
4. सिकंदरा
जमुई के सिकंदरा सीट पर RJD के उदय नारायण चौधरी और कांग्रेस के विनोद कुमार चौधरी के बीच भिड़ंत है. दोनों चौधरी उपनाम से हैं, जो स्थानीय प्रभाव दिखाता है. हम पार्टी के प्रफुल्ल कुमार मांझी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस नेता ने कहा RJD का दबदबा खत्म हो गया है. RJD ने खाजिर कर दिया था. ये सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है, जहां गठबंधन वोट बंटवारे से हार सकता है.
5. कहलगांव
कहलगांव में कांग्रेस के प्रवीण सिंह vs RJD के रजनीश भारती चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि जेडीयू प्रत्याशी शुभानंद सिंह मैदान में हैं. यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला है. सुल्तानगंज में RJD के चंदन कुमार सिन्हा vs कांग्रेस के ललन कुमार मुख्य मुकाबला है. 2020 में RJD ने यह सीट जीती थी. अब महागठबंधन वोट में स्प्लिट की पूर्वानुमान है.
कहलगांव विधानसभा सीट भागलपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. ऐतिहासिक रूप से यहां की राजनीति में स्थानीय व्यापार, नदी-सम्बंधित और ग्रामीण विकास के मुद्दे अहम होते हैं. यहां के मतदाता समुदायों में अल्पसंख्यक, मछुआरा-समुदाय और कृषि-निर्भर आबादी की अच्छी संख्या में है, चुनाव नतीजों पर असर डालती है.
6. सुल्तानगंज
चंदन कुमार सिन्हा (RJD) vs ललन कुमार (कांग्रेस) के बीच जंग है. चंदन के पक्ष में तेजस्वी ने रोड शो किया है. इसके बावजूद कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी को पीछे नहीं किया. दूसरी तरफ इस सीट पर जेडीयू से ललित मंडल चुनाव लड़ रहे हैं.
भागलपुर जिले की सुल्तानगंज विधानसभा सीट है और यह सांस्कृतिक-धार्मिक महत्व के स्थानों (अजगैवीनाथ श्रावणी मेले के कारण काफी लोकप्रिय है. 2005 के बाद से यह अक्सर JDU का गढ़ मानी जाती रही है और 2020 में भी JDU की जीत हुई थी. यहां जातीय-धार्मिक समीकरण, तीर्थयात्रा-सम्बन्धी अर्थव्यवस्था और नदी-बाँध/बुनियादी ढांचे जैसे लोकल मुद्दे चुनाव परिणाम तय करते हैं. इस सीट पर स्थानीय सांसद की नाराजगी का नुकसान जेडीयू को हा सकता है.
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 20 जिलों की 122 सीटों पर 1,302 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करीब पांच करोड़ मतदाता करेंगे. इस चरण में RJD की सबसे ज्यादा 71 सीटें दांव पर हैं. गठबंधन की सीट-शेयरिंग में देरी और आपसी खींचतान के चलते 6 सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो रही है.





