बिहार में धर्म के नाम पर वार पलटवार, इस बार 'ताजिया' बनाम 'हिंदुत्व का कार्ड', जानें कौन किस पर भारी
बिहार विधानसभा चुनाव में जाति हमेशा से बड़ा फैक्टर रहा है, लेकिन इस बार अन्य सियासी मसले जाति पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. तेजस्वी यादव ने वक्फ संशोधन विधेयक को कूड़े फेंकने का मुस्लिम समाज से वादा किया है तो बीजेपी ने इसके जवाब में हिंदुत्व कार्ड खेलने के संकेत दिए हैं. अब सवाल ये है कि इस धार्मिक दंगल में किसका पलड़ा भारी पड़ेगा?;
बिहार में चुनावी माहौल धीरे-धीरे गरम हो रहा है. इसके साथ जाति के बदले 'धर्म की राजनीति' चरम पर पहुंचने के संकेत हैं. जबकि बिहार में जातिगत जनगणना के बाद से माना जा रहा था कि 2025 के चुनाव में जातिवाद का मसला जोर पकड़ेगा, लेकिन ये क्या आरजेडी और बीजेपी धर्म के नाम पर वोटों के 'ध्रुवीकरण' को धार देने में जुटी है. इस रणनीति के तहत मुहर्रम के मौके पर आरजेडी की तरफ से ताजिया जुलूस का स्वागत किया गया तो बीजेपी ने गांधी मैदान से हिंदुत्व का कार्ड खेल दिया. ये सब सिर्फ धार्मिक भावनाओं का खेल है या एक सोची-समझी वोट बैंक की पॉलिटिक्स, इसका खुलासा आने वाले दिनों के चुनावी संग्राम का एलान होते ही हो जाएगा.
दरअसल, बिहार में आरजेडी के कुछ नेताओं ने इस बार मुहर्रम के दौरान ताजिया यात्रा को बड़े पैमाने पर आयोजित कर, उसका प्रचार-प्रसार किया था. इस धार्मिक आयोजन को पार्टी के सपोर्ट से जोड़कर देखा गया, जिसके बाद से बीजेपी हमलावर हो गई. बीजेपी ने इसे आरजेडी का 'तुष्टिकरण की राजनीति' बताते हुए तेजस्वी यादव पर सीधा निशाना साधा. जवाब में बीजेपी ने मंदिरों में पूजा-पाठ, भगवा रैलियों और "सनातन संस्कृति" की रक्षा जैसे मुद्दों को तेज कर दिया है. यानी एक तरफ ताजिया का झंडा, तो दूसरी तरफ भगवा ध्वज इस बार अहम मुद्दा है.
नीतीश की चुप्पी पर सवाल ?
नीतीश कुमार अब तक इस धर्म युद्ध में तटस्थ दिखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी चुप्पी भी सियासी हलकों में सवाल बन चुकी है. अब यह धार्मिक ध्रुवीकरण 2025 के विधानसभा चुनाव की स्क्रिप्ट तैयार कर रहा है. आरजेडी मुस्लिम-यादव समीकरण को मजबूत करने की ओर बढ़ रही है. वहीं, बीजेपी हिंदू वोटों को संगठित करने की कोशिश में है. बता दें कि बिहार की राजनीति में अब तक धर्म का असर बहुत कम रहा है.
असल मुद्दे बहस से गायब
इस बार बिहार में ताजिया बनाम हिंदुत्व की सियासत से साफ है कि असली मुद्दे जैसे बेरोजगारी, शिक्षा और पलायन, चुनावी भाषणों से गायब होते जा रहे हैं. धर्म की आंधी में असल विकास कहीं गुम हो गया है. अब देखना है कि बिहार की जनता किसे चुनेगी? धर्म के नाम पर लड़ने वालों को या असल मुद्दों पर बात करने वालों को?
सम्राट चौधरी बोले...
बिहार सरकार में डिप्टी सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता सम्राट चौधरी सनातन महाकुंभ के आयोजन खुद शामिल हुए थे. उन्होंने सनातन महाकुंभ के मंच से डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने भारतीय संविधान को पहले पेज पर मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र को स्थान दिया था. अगर आज दौर में ऐसा होता तो विपक्षी नेता पता नहीं क्या-क्या करते? जबकि रामभद्रार्चा ने कहा कि बिहार के लोग सत्ता उन्हीं को सौपेंगे, जो हिंदुत्व के लिए संघर्ष करेगा. इसी मंच से बाबा बागेश्वर ने हिंदुत्व का जयघोष किया था.