नो फेक वोटिंग नो रिपोलिंग : बिहार चुनाव में बना रिकॉर्ड - किसी भी बूथ पर नहीं हुई दोबारा वोटिंग, बना मिसाल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार कुछ ऐसा हुआ जो राज्य के इतिहास में पहली बार देखने को मिला. शांतिपूर्ण मतदान, शून्य रिपोलिंग और अभूतपूर्व मतदाता भागीदारी ने इसे अब तक का सबसे सफल और पारदर्शी चुनाव बना दिया. चुनाव आयोग की निगरानी और सख्त सुरक्षा व्यवस्था के चलते किसी भी बूथ पर दोबारा वोटिंग की जरूरत नहीं पड़ी.;
बिहार की सियासत में पहली बार ऐसा हुआ है जब पूरे राज्य में एक भी बूथ पर दोबारा मतदान नहीं कराने की जरूरत चुनाव आयोग को नहीं पड़ी. न ही किसी दल दल नेता या प्रत्याशी ने रिपोलिंग कराने की मांग की. बिहार चुनाव 2025 की इस घटना को निर्वाचन आयोग ने 'मॉडल पोलिंग ऑपरेशन' तक करार दिया. सुरक्षाबलों की तैनाती, वेबकास्टिंग और बूथों पर रियल टाइम मॉनिटरिंग ने इस बार चुनाव प्रक्रिया को पहले से कहीं अधिक पारदर्शी बना दिया.
ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी केंद्रों तक मतदाताओं ने शांतिपूर्वक मतदान किया, जिससे चुनाव आयोग और प्रशासन दोनों ने राहत की सांस ली. अब लोगों को इंतजार है, तो केवल इस बात की चुनाव परिणाम आ जाए और सरकार का गठन हो जाए, ताकि शासन और प्रशासन की विकासपरक गतिविधियों फिर से पटरी पर आए.
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में लगभग 67.12 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला - जो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में काफी अधिक है. बिहार के मतदाताओं और चुनाव आयोग के लिए यह चौंकाने वाला है. ऐसा इसलिए कि बिहार में कम वोटिंग की परंपरा है.
चुनाव आयोग ने बताया कि इस बार 38 जिलों के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में किसी भी मतदान केंद्र पर हिंसा, गड़बड़ी या तकनीकी कारणों से रिपोलिंग की आवश्यकता नहीं पड़ती. यह उपलब्धि राज्य में विगत कई वर्षों में हुए सुधारों का नतीजा है.
इसके बावजूद एक भी बूथ पर रिपोलिंग न होना बिहार ही नहीं पूरे देश के लिए चौंकाने वाला है. दरअसल, 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को अब तक का सबसे शांतिपूर्ण और तकनीकी रूप से सक्षम चुनाव माना जा रहा है. इस बार एक भी बूथ पर रिपोलिंग (दोबारा मतदान) की जरूरत नहीं पड़ी. इसके पीछे कई ठोस कारण हैं.
क्यों नहीं हुई रिपोलिंग
100% वेबकास्टिंग कवरेज: संवेदनशील बूथों पर लाइव मॉनिटरिंग से फर्जी वोटिंग पर रोक लगी.
सेंट्रल फोर्स की तैनाती: 60,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी हर फेज़ में ड्यूटी पर रहे.
EVM और VVPAT की दोहरी सुरक्षा: सभी मशीनों की रियल-टाइम ट्रैकिंग और सीलिंग सिस्टम ने पारदर्शिता बढ़ाई.
महिला और दिव्यांग बूथों की पहल: 2,000 से अधिक ऐसे बूथ बनाए गए जहां महिलाओं की निगरानी में मतदान हुआ.
मजबूत सुरक्षा प्रबंधन: चुनाव आयोग ने सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) की रिकॉर्ड संख्या में तैनाती की.
फ्लैग मार्च: वोटिंग के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में बूथ-पर-बूथ फ्लैग मार्च, बॉडी कैमरा और ड्रोन से निगरानी हुई.
लोकल पुलिस को बूथ से दूर रखना: स्थानीय पुलिस को मतदान प्रक्रिया से अलग रखकर निष्पक्षता सुनिश्चित की गई.
मतदाताओं में विश्वास और पारदर्शिता
पिछले चुनावों में रिपोलिंग का कारण अक्सर गड़बड़ी, हिंसा या गलत मतदान मुख्य वजह होता था, लेकिन 2025 में तकनीक और पारदर्शी सिस्टम ने वोटरों का भरोसा बढ़ाया. नो फेक वोटिंग - नो रिपोलिंग'' मिशन पर चुनाव आयोग ने गंभीरता से काम किया. बूथ पर महिलाओं, युवाओं और दिव्यांगों की भागीदारी में बढ़ोतरी हुई. आयोग ने इस बार 'सशक्त बूथ - सशक्त मतदाता' योजना लागू की. 2000 से ज्यादा महिला प्रबंधित और दिव्यांग फ्रेंडली बूथ बनाए गए. इनसे वोटिंग का माहौल शांत और उत्सवपूर्ण बना.
बिहार के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बिहार की लोकतांत्रिक परिपक्वता का संकेत है, जहां जनता ने हिंसा और विवाद की राजनीति से ऊपर उठकर वोटिंग की और दूसरे राज्य के मतदाताओं को एक अच्छा संदेश दिया.