शाम 6 बजे के बाद महिलाओं का बाहर जाना Unsafe... बिहार चुनाव के बीच नीतीश कुमार का दावा, बोले- 2005 में यही था राज्य एक हाल
Bihar Election 2025: चुनाव माहौल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा 2005 से महिलाओं के लिए शाम 6 बजे के बाद घर से निकलना तो उनके लिए सेफ नहीं था. उस पर स्थिति इतनी ज्यादा खराब थी कि लड़कियों को स्कूल-कॉलेज जाने में भी 10 बार सोचना पड़ता था. क्योंकि वह राज्य में सेफ फील नहीं करती थीं.;
Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल गरमाया हुआ है. 5 नवंबर को पहले फेस की वोटिंग हुई और 11 तारीख को दूसरे चरण के लिए मतदान होगा. इस चुनावी चहल-पहल के बीच राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है, जो वायरल हो रहा है.
नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए अपनी सरकार में किए गए कामों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 2005 से पहले बिहार में महिलाओं की प्रगति के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए जाते थे. महिलाओं के लिए शाम 6 बजे के बाद घर से निकलना तो उनके लिए सेफ नहीं था.
बिहार में महिलाएं थी अनसेफ
सीएम नीतीश ने कहा कि बिहार में 2005 से पहले महिलाएं घर से बाहर निकलने में भी असुरक्षित महसूस करती थीं और शाम छह बजे के बाद उनका सड़क पर दिखना बेहद मुश्किल था. उनका दावा है कि उनकी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए, जिससे स्थिति में बड़ा बदलाव आया.
स्कूल-कॉलेज जानें में लगता था डर
उन्होंने कहा कि उस पर स्थिति इतनी ज्यादा खराब थी कि लड़कियों को स्कूल-कॉलेज जाने में भी 10 बार सोचना पड़ता था. क्योंकि वह राज्य में सेफ फील नहीं करती थीं. अगर कोई बेटी पढ़ने जाती थी, तो माता-पिता तब तक बेचैन रहते थे जब तक वह सुरक्षित घर नहीं लौट आती.
नीतीश कुमार ने आगे कहा कि लड़कियों की पढ़ाई के लिए न तो अलग से कोई व्यवस्था थी और न ही पर्याप्त संख्या में बेटियां शिक्षा हासिल कर पाती थीं. खासकर ग्रामीण इलाकों में, प्रतिभाशाली बच्चियां प्राथमिक स्तर के बाद अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाती थीं. समाज में महिलाओं को न तो उचित प्रतिनिधित्व मिलता था और न ही वह सम्मान जो उन्हें मिलना चाहिए था. इसके अलावा उन्होंने हेल्थ और सामाजिक बदलाव की भी बात की.
कब बदली बिहार की तस्वीर?
नीतीश कुमार ने बताया कि 24 नवंबर 2005 को नई सरकार बनने के बाद राज्य में महिलाओं की शिक्षा, रोज़गार और विकास को लेकर लगातार पहलें की गईं. फिर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए, जिसका असर अब साफ दिखता है. अब महिलाएं न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं, बल्कि प्रदेश की तरक्की में भी अहम भूमिका निभा रही हैं.
सरकार ने सबसे बड़ा बदलाव 2006 में पंचायतों में और 2007 में नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण देकर किया. तब से लेकर अब तक चार चुनाव हो चुके हैं और बड़ी संख्या में महिलाएँ मुखिया, सरपंच, पंच, जिला परिषद प्रमुख, वार्ड सदस्य, नगर परिषद अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के पदों पर चुनी जा चुकी हैं.